देहरादून: यूक्रेन में फंसे भारतीय अपनों से भारत सरकार पर उन्हें सुरक्षित निकालने का दवाब बनाने के लिए कह रहे हैं. यूक्रेन में हालत बेकाबू होते जा रहे हैं. गुरुवार से शुरू हुई बमबारी के बाद करीब 20000 भारतीय बड़े धैर्य से यूक्रेन से बाहर निकलने के इंतजार में हैं.
रूसी सेना की तरफ से लगातार हो रहे हवाई हमले से कई लोगों की मौत हो चुकी है. सड़कों पर रुसी सेना के टैंक घूमते नजर आ रहे हैं. ऐसे में लोग अपनी जान बचाने के लिए माइनस 2 डिग्री के तापमान में मेट्रो स्टेशन और सर्द बेसमेंट में छिपने को मजबूर हैं. वहीं, भारत सरकार का कहना है कि उसके पास यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों को वेस्टर्न बॉर्डर से सुरक्षित निकालने का प्लान है. हालांकि, कुछेक भारतीय ही ऐसे हैं जो वेस्टर्न बॉर्डर के नजदीक हैं.
वहीं, अधिकांश भारतीय नागरिक यूक्रेन की राजधानी कीव और उसके आसपास के इलाके खार्किव, नीपर, ओडेसा, सुमी, जाप्रोजे आदि में फंसे हैं, जो वेस्टर्न बॉर्डर से हजारों किलोमीटर दूर हैं, जिन्हें अपनी सुरक्षित बचने की कोई उम्मीद नहीं है. इनके पास न तो कार है और ना ही इन परिस्थितियों में ट्रेन-बसों का संचालन हो रहा है कि वे सुरक्षित वेस्टर्न बॉर्डर तक पहुंच पाए. ऐसे में समय बीतने के साथ-साथ हालात और भी नाजुक हो रहे हैं. लोगों के पास खाने-पीने का सामान भी धीरे-धीरे खत्म हो रहा है.
यूक्रेन में फंसे भारतीयों ने अपने संगे संबंधियों से दिल्ली में स्थित रुसी दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन करने की अपील की है ताकि पूरे विश्व की मीडिया का ध्यान इस तरफ आकर्षित हो सके कि यूक्रेन में अभी क्या हालात हैं. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि इससे भारत और रूसी सरकारों पर उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता देने और उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने की योजना बनाने के लिए दवाब बढ़ेगा.
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लिहाजा, यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों ने भारत सरकार से अपील की है कि वह इस मसले पर गंभीरता दिखाते हुए जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाए. ताकि सभी लोग सुरक्षित स्वदेश लौट सकें जो पार्किंग स्थलों और बेसमेंट में युद्ध के चलते अपने परिवार के साथ शरण लिए हुए हैं.