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आज है 72वां भारतीय थल सेना दिवस, जानिए क्या है इस दिन का इतिहास

भारतीय थल सेना दिवस हर साल 15 जनवरी को मनाया जाता है. 71 साल से चली आ रही इस परंपरा के पीछे एक रोचक कहानी है. आइए जानते हैं, क्या है इस दिन का इतिहास.

थल सेना दिवस
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Published : Jan 15, 2020, 6:03 AM IST

देहरादून: साल 1949 से हर साल 15 जनवरी भारतीय थल सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस खास दिन को मनाने का मुख्य कारण ये है कि 200 साल के अंग्रेजी शासन काल के बाद इसी दिन लेफ्टिनेंट जनरल केएम करिअप्पा ने पहली बार भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण किया था.

आज है 72वां भारतीय थल सेना दिवस

भारतीय थल सेना दिवस के मौके पर हर साल देश के विभिन्न सेना मुख्यालयों में सैन्य परेड के साथ ही सैन्य प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है. वहीं, बात देश की राजधानी दिल्ली की करें तो दिल्ली छावनी के करिअप्पा परेड ग्राउंड में भी सैन्य परेड और प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है. जिसकी सलामी खुद थल सेना अध्यक्ष लेते हैं. गौरतलब है कि किसी भी देश की सेना की तरह ही भारतीय थल सेना का कर्तव्य भी राष्ट्र सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता को सुनिश्चित करना है. लेकिन इस कार्य की जिम्मेदारी लेने के लिए भारतीय सेना के जवानों को कई महत्वपूर्ण चुनौतियों और कठिन प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है.

पढ़ेंः बेजुबानों को ठंड से बचाने के लिए जू प्रबंधन ने किये खास इंतजाम, बढ़ाई खुराक

भारतीय सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल बीएस छेत्री बताते हैं कि भारतीय सेना में जुड़ने से ज्यादा गौरवान्वित करने वाली कोई दूसरी देश सेवा नहीं हो सकती. उन्होंने बताया कि इस देश सेवा में जुड़ने का मतलब सिर्फ देश प्रेम हैं. इस सेवा का हिस्सा बनने से पहले एक व्यक्ति को मानसिक तौर पर काफी कठोर बनना पड़ता है. वहीं, भारतीय सेना के जवानों के कठिन प्रशिक्षण को लेकर सेवानिवृत्त कर्नल डीएस खड़का बताते हैं कि जो प्रशिक्षण भारतीय सेना का हिस्सा बनने वाले युवाओं को दिया जाता है. वह बेहद कठिन और कठोर होता है. लेकिन इस कठिन और कठोर प्रशिक्षण से गुजरने के बाद ही एक आम युवक देश की सुरक्षा के लिए तैयार हो पाता है.

पढ़ेंः डिप्टी कमिश्नर ने किया तहसील का निरीक्षण, लंबित वादों को निपटाने के दिए आदेश

देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी में युवा कैडेट्स को प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षु बताते हैं कि ट्रेनिंग के दौरान कई बार युवक उम्मीद हारने लग जाते हैं. ऐसे वक्त में उन्हें कड़ी मशक्कत के बाद प्रशिक्षण के लिए तैयार किया जाता है. यदि आप भी भारतीय सेना में अधिकारी बनने के इक्छुक हैं तो एनडीए एग्जाम के अलावा भी आपके पास कई दूसरे विकल्प हैं. आप एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी), सीडीएस (कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज), टीईएस (टेक्निकल एंट्री स्कीम) और इंडियन आर्मी टैंकनिकल एंट्री फोर एंगिनीर्स में से किसी भी एक एग्जाम में अच्छी रैंकिंग हासिल कर सेना में अधिकारी बन सकते हैं.

देहरादून: साल 1949 से हर साल 15 जनवरी भारतीय थल सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस खास दिन को मनाने का मुख्य कारण ये है कि 200 साल के अंग्रेजी शासन काल के बाद इसी दिन लेफ्टिनेंट जनरल केएम करिअप्पा ने पहली बार भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण किया था.

आज है 72वां भारतीय थल सेना दिवस

भारतीय थल सेना दिवस के मौके पर हर साल देश के विभिन्न सेना मुख्यालयों में सैन्य परेड के साथ ही सैन्य प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है. वहीं, बात देश की राजधानी दिल्ली की करें तो दिल्ली छावनी के करिअप्पा परेड ग्राउंड में भी सैन्य परेड और प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है. जिसकी सलामी खुद थल सेना अध्यक्ष लेते हैं. गौरतलब है कि किसी भी देश की सेना की तरह ही भारतीय थल सेना का कर्तव्य भी राष्ट्र सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता को सुनिश्चित करना है. लेकिन इस कार्य की जिम्मेदारी लेने के लिए भारतीय सेना के जवानों को कई महत्वपूर्ण चुनौतियों और कठिन प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है.

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भारतीय सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल बीएस छेत्री बताते हैं कि भारतीय सेना में जुड़ने से ज्यादा गौरवान्वित करने वाली कोई दूसरी देश सेवा नहीं हो सकती. उन्होंने बताया कि इस देश सेवा में जुड़ने का मतलब सिर्फ देश प्रेम हैं. इस सेवा का हिस्सा बनने से पहले एक व्यक्ति को मानसिक तौर पर काफी कठोर बनना पड़ता है. वहीं, भारतीय सेना के जवानों के कठिन प्रशिक्षण को लेकर सेवानिवृत्त कर्नल डीएस खड़का बताते हैं कि जो प्रशिक्षण भारतीय सेना का हिस्सा बनने वाले युवाओं को दिया जाता है. वह बेहद कठिन और कठोर होता है. लेकिन इस कठिन और कठोर प्रशिक्षण से गुजरने के बाद ही एक आम युवक देश की सुरक्षा के लिए तैयार हो पाता है.

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देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी में युवा कैडेट्स को प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षु बताते हैं कि ट्रेनिंग के दौरान कई बार युवक उम्मीद हारने लग जाते हैं. ऐसे वक्त में उन्हें कड़ी मशक्कत के बाद प्रशिक्षण के लिए तैयार किया जाता है. यदि आप भी भारतीय सेना में अधिकारी बनने के इक्छुक हैं तो एनडीए एग्जाम के अलावा भी आपके पास कई दूसरे विकल्प हैं. आप एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी), सीडीएस (कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज), टीईएस (टेक्निकल एंट्री स्कीम) और इंडियन आर्मी टैंकनिकल एंट्री फोर एंगिनीर्स में से किसी भी एक एग्जाम में अच्छी रैंकिंग हासिल कर सेना में अधिकारी बन सकते हैं.

Intro:Special Story

please Note- pkg में 1st byte- सेवानिवृत्त कर्नल डीएस खड़का की है।

2nd byte- सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल बी. एस छेत्री की है



देहरादून- साल 1949 से हर साल 15 जनवरी को भारतीय थल सेना दिवस मनाया जाता है । इस खास दिन को मनाने का मुख्य कारण यह है की 200 साल की अंग्रेजी शासन काल के बाद इसी दिन लेफ्टिनेंट जनरल के. एम करिअप्पा ने पहली बार भारतीय थल सेना के शीर्ष कमांडर का पदभार ग्रहण किया था ।

भारतीय थल सेना दिवस के मौके पर हर साल देश के विभिन्न सेना मुख्यालयों में सैन्य परेड के साथ ही सैन्य प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है। वही बात देश की राजधानी दिल्ली की करें तो दिल्ली छावनी के करिअप्पा परेड ग्राउंड में भी सैन्य परेड और प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता है । जिसकी सलामी खुद थल सेना अध्यक्ष लेते हैं।

गौरतलब है कि किसी भी देश की सेना की तरह ही भारतीय थल सेना का कर्तव्य भी राष्ट्र सुरक्षा और राष्ट्रवाद की एकता को सुनिश्चित करना है । लेकिन इस कार्य की जिम्मेदारी लेने के लिए भारतीय सेना के जवानों को कई महत्वपूर्ण चुनौतियों और कठिन प्रशिक्षण से गुजरना पड़ता है ।

भारतीय सेना के सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट कर्नल बी. एस छेत्री बताते हैं कि भारतीय सेना में जुड़ने से ज्यादा गौरवान्वित करने वाली कोई दूसरी देश सेवा नहीं हो सकती । उन्होंने बताया कि इस देश सेवा में जुड़ने का मतलब सिर्फ देश प्रेम है । इस सेवा का हिस्सा बनने से पहले एक व्यक्ति को मानसिक तौर पर काफी कठोर बनना पड़ता है।




Body:वहीं दूसरी तरफ भारतीय सेना के जवानों को दिए जाने वाले कठिन प्रशिक्षण को लेकर सेवानिवृत्त कर्नल डीएस खड़का बताते हैं कि जो प्रशिक्षण भारतीय सेना का हिस्सा बनने वाले युवाओं को दिया जाता है वह बेहद कठिन और कठोर होता है। लेकिन इस कठिन और कठोर प्रशिक्षण से गुजरने के बाद ही एक आम युवक देश की सुरक्षा के लिए तैयार हो पाता है।

देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी में बीते कई सालों से युवा कैडेट्स को प्रशिक्षण देने वाले पशिक्षु बताते हैं कि ट्रेनिंग के दौरान कई बार युवक उम्मीद हारने लग जाते हैं । ऐसे वक्त में उन्हें कड़ी मशक्कत के बाद प्रशिक्षण के लिए तैयार किया जाता है ।

यदि आप भी भारतीय सेना में अधिकारी बनने के इक्छुक हैं तो एनडीए एग्जाम के अलावा भी आपके पास कई दूसरे विकल्प हैं । आप एनडीए ( नेशनल डिफेंस एकेडमी), सीडीएस ( कंबाइंड डिफेंस सर्विसेज ) , टीईएस ( टेक्निकल एंट्री स्कीम ) , इंडियन आर्मी टैंकनिकल एंट्री फोर एंगिनीर्स , में से किसी भी एक एग्जाम में अच्छी रैंकिंग हासिल कर सेना में अधिकारी बन सकते है ।











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