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भारतीय वायुसेना दिवस: केदारनाथ आपदा के दौरान जांबाजों ने निभाई थी अहम भूमिका, बचाई थी लाखों जान

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Published : Oct 8, 2019, 12:03 PM IST

Updated : Oct 8, 2019, 12:39 PM IST

भारतीय वायु सेना ने साल 2013 में आयी भीषण आपदा में दौरान दूत बनकर लोगों की जान बचाई. लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक भुगतान नहीं किया है. जो भविष्य में उत्तराखंड राज्य के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है.

भारतीय वायुसेना दिवस

देहरादून: आज पूरा देश भारतीय वायु सेना का 87वां स्थापना दिवस मना रहा है. 8 अक्टूबर 1932 को भारतीय वायु सेना की स्थापना की गई थी. इन 87 सालों में वायु सेना ने अपनी क्षमता से तो तमाम उपलब्धियां हासिल की है. इसके साथ ही केदारघाटी में साल 2013 में आयी भीषण आपदा के दौरान भी केदारनाथ, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब में फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकालने में भारतीय वायु सेना ने अहम भूमिका निभायी थी. बावजूद इसके उत्तराखंड सरकार ने आपदा, राहत और बचाव कार्य में जुटी वायुसेना को अभीतक भुगतान नहीं किया है.

भारतीय वायुसेना दिवस 2019

बता दें, साल 2013 में आपदा के दौरान उत्तराखंड सरकार और वायु सेना के बीच एक समझौता हुआ था. उत्तराखंड नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर इस बारे में पहले ही बता चुके हैं कि आपदा राहत, और बचाव कार्य के एवज में राज्य सरकार द्वारा वायुसेना को करीब 20 करोड़ रुपये का भुकतान किया जाना था. जिसमें लगभग 17 करोड़ रुपये का भुगतान आपदा विभाग और करीब 3 करोड़ का भुगतान सिविल एविएशन कॉरपोरेशन, उकाडा द्वारा किया जाना है.

पढ़ें- सड़क पर जंग खा रही लाखों की मशीनें, रखवाली कर रहे चौकीदार को बांट दिए लाखों

आपदा के दौरान राहत बचाव कार्य में आये खर्च के भुगतान को लेकर भारतीय वायु सेना ने बीते दिनों उत्तराखंड शासन को पत्र भेजकर अपना हिसाब भी मांगा था. जिसके बाद शासन स्तर पर भुगतान को लेकर हलचल तभी तेज हो गयी थी. लेकिन त्रासदी को 6 साल से ज्यादा का वक्त बीते जाने के बाद भी वायु सेना को भुगतान नहीं हो पाया है. ऐसे में ये भी चिंता का विषय है कि आने वाले समय में अगर आपदा जैसी स्तिथि बनती है तो कहीं वायु सेना अपने हाथ खड़े न कर दे.

देहरादून: आज पूरा देश भारतीय वायु सेना का 87वां स्थापना दिवस मना रहा है. 8 अक्टूबर 1932 को भारतीय वायु सेना की स्थापना की गई थी. इन 87 सालों में वायु सेना ने अपनी क्षमता से तो तमाम उपलब्धियां हासिल की है. इसके साथ ही केदारघाटी में साल 2013 में आयी भीषण आपदा के दौरान भी केदारनाथ, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब में फंसे यात्रियों को सुरक्षित निकालने में भारतीय वायु सेना ने अहम भूमिका निभायी थी. बावजूद इसके उत्तराखंड सरकार ने आपदा, राहत और बचाव कार्य में जुटी वायुसेना को अभीतक भुगतान नहीं किया है.

भारतीय वायुसेना दिवस 2019

बता दें, साल 2013 में आपदा के दौरान उत्तराखंड सरकार और वायु सेना के बीच एक समझौता हुआ था. उत्तराखंड नागरिक उड्डयन सचिव दिलीप जावलकर इस बारे में पहले ही बता चुके हैं कि आपदा राहत, और बचाव कार्य के एवज में राज्य सरकार द्वारा वायुसेना को करीब 20 करोड़ रुपये का भुकतान किया जाना था. जिसमें लगभग 17 करोड़ रुपये का भुगतान आपदा विभाग और करीब 3 करोड़ का भुगतान सिविल एविएशन कॉरपोरेशन, उकाडा द्वारा किया जाना है.

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आपदा के दौरान राहत बचाव कार्य में आये खर्च के भुगतान को लेकर भारतीय वायु सेना ने बीते दिनों उत्तराखंड शासन को पत्र भेजकर अपना हिसाब भी मांगा था. जिसके बाद शासन स्तर पर भुगतान को लेकर हलचल तभी तेज हो गयी थी. लेकिन त्रासदी को 6 साल से ज्यादा का वक्त बीते जाने के बाद भी वायु सेना को भुगतान नहीं हो पाया है. ऐसे में ये भी चिंता का विषय है कि आने वाले समय में अगर आपदा जैसी स्तिथि बनती है तो कहीं वायु सेना अपने हाथ खड़े न कर दे.

Intro:नोट - विसुअल ftp से भेजे जा रहे है.....
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देश में हर साल 8 अक्टूबर को भारतीय वायु सेना दिवस मनाया जाता है। दरअसल 8 अक्टूबर 1932 को भारतीय वायु सेना की स्थापना की गई थी। लिहाजा आज भारतीय वायु सेना का 87वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। वायु सेना ने अपनी क्षमता से तो तमाम उपलब्धिया हाशिल की है। इसके साथ ही वायु सेना का उत्तराखंड में आपदा के दौरान भी बड़ा योगदान रहा है। 








Body:उत्तराखंड के केदारघाटी में साल 2013 में आयी भीषण आपदा के दौरान केदारनाथ, बद्रीनाथ और हेमकुण्ड साहिब में फसे यात्रियों को सुरक्षित निकालने में भारतीय वायु सेना ने अहम भूमिका निभायी थी। यही नही साल 2013 में चली सबसे लंबी वायु रेस्कयू के दौरान आपदा में भारतीय वायु सेना ने ही सारी कमान संभाली थी। बावजूद इसके उत्तराखंड सरकार, आपदा राहत और बचाव कार्य में जुटी वायुसेना के खर्च का भुकतान अभी तक नही कर पाई है। 


उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक परिस्थितियां अन्य राज्यो से भिन्न है। यही वजह है कि प्रदेश में आपदा जैसी स्तिथि बननी आम बात है। वायु सेना ने न सिर्फ 2013 में आयी भीषण आपदा में दौरान दूत बनकर लोगो की जानें बचाई बल्कि उसके बाद भी जब जब वायु सेना की राज्य को जरूरत पड़ी तब तब वायु सेना ने बढ़चढ़ कर अपनी भागीदारी निभाई। लेकिन राज्य सरकार द्वारा वायु सेना का समय से भुकतान ना करना कही न कही भविष्य में मुसीबत भी बन सकती है। 


आपको बता दे कि साल 2013 में आपदा के दौरान उत्तराखंड सरकार और वायु सेना के बीच एक समझौता हुआ था। उसके तहत आपदा राहत, और बचाव कार्य के एवज में राज्य सरकार द्वारा वायुसेना को करीब 20 करोड़ रुपये का भुकतान किया जाना है। जिसमे लगभग 17 करोड़ रुपये का भुकतान आपदा विभाग और करीब 3 करोड़ का भुकतान सिविल एविएशन कॉरपोरेशन, उकाडा द्वारा किया जाना है। 




Conclusion:भीषण आपदा के दौरान राहत बचाव कार्य मे आये खर्च के भुकतान को लेकर भारतीय वायु सेना ने बीते दिनों उत्तराखंड शासन को पत्र भेजकर अपना हिसाब भी मांगा था। जिसके बाद शासन स्तर पर भुकतान को लेकर हलचल तेज भी हो गयी थी। लेकिन साल 2013 में आयी त्रासदी को 6 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन अभी तक वायु सेना को भुकतान नही हो पाया है। ऐसे में एक बाद चिंता का विषय है कि आने वाले समय मे अगर कही आपदा जैसी स्तिथि बनती है तो वायु सेना अपने हाथ खड़े न कर दे।
Last Updated : Oct 8, 2019, 12:39 PM IST
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