देहरादून: उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष के बढ़ते मामले सरकार के लिए चिंता का विषय बनते जा रहे हैं. इस चुनौती से निपटने के लिए राज्य में मानव वन्य जीव संघर्ष से सम्बन्धित देश का पहला प्रशिक्षण केन्द्र खोला जायेगा. जिसकी घोषणा गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक कार्यक्रम में की.
दरअसल, उत्तराखंड के स्कूलों में मौजूदा आधुनिक और वातावरणीय स्थितियों के लिहाज से बदलाव की जरूरत को देखते हुए सस्टेनेबल एनवायरमेंट एण्ड इकोलॉजिकल सोसायटी (सीड्स) और हनीवेल सेफ स्कूल कार्यक्रम को चलाया जा रहा है. जिसमें गुरुवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी शिरकत की थी. इसी दौरान वहां अपने संबोधन में सीएम त्रिवेंद्र ने कहा कि विद्यालयों में शिक्षा के अनुकूल माहौल से छात्रों में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने के साथ ही उनके मानसिक विकास में मदद मिलती है. हमारी प्राचीन शिक्षा प्रणाली में गुरूकुलों का बड़ा महत्व रहा है.
उत्तराखंड सरकार और सस्टेनेबल एनवायरमेंट एण्ड इकोलॉजिकल सोसायटी (सीड्स) एवं हनीवेल सेफ स्कूल के बीच सरकारी स्कूलों में बेहतर माहौल और वातावरणीय बदलाव को लेकर हुए समझौते को क्रियान्वित किया जा रहा है. इसी से जुड़े कार्यक्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्कूल के भवनों के रूपान्तरण के साथ ही वहां पर शिक्षा एवं सुरक्षा का बेहतर वातावरण उपलब्ध कराने से ही हम छात्रों का वर्तमान के साथ ही भविष्य सुरक्षित करने में सफल होने की बात कही.
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से संवदेनशील राज्य है. इसीलिए यहां के विद्यालयों में छात्रों और शिक्षकों को प्राकृतिक आपदा से बचाव की जानकारी भी समय-समय पर दी जानी चाहिए. राज्य में मानव-वन्य जीव संघर्ष की भी चुनौती बन रहा है. इसे ध्यान में रखते हुए राज्य में मानव-वन्य जीव संघर्ष से सम्बन्धित देश का पहला प्रशिक्षण केन्द्र खोला जायेगा. उत्तराखण्ड आपदा प्रबन्धन का अलग से मंत्रालय गठित करने वाला भी पहला राज्य है.
मुख्यमंत्री ने विद्यालयों के रूपान्तरण के साथ ही छात्रों का सकुशल और सुरक्षित स्कूल के लिए आवश्यक सहयोग एवं सहायता के लिये सीड़स एवं हनीवेल के प्रयासों को सराहनीय बताया. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री की मौजूदगी में सीड्स एवं हनीवेल द्वारा देहरादून व हरिद्वार के 4 विकास खंडों के 15 स्कूलों का रूपान्तरण के बाद अपर निदेशक शिक्षा मुकुल सती और वन्दना गर्ब्याल, एडिशनल प्रोजेक्ट डायरेक्टर को सौंपा गया.
इस मौके पर डॉ. मनु गुप्ता सह-संस्थापक सीड्स ने कहा कि हनीवैल सेफ स्कूल कार्यक्रम शुरू करने से पहले सीड्स ने इन 100 स्कूलों पर एक आधार स्तर का सर्वेक्षण किया था. जिससे यह पता चला कि लगभग 40 प्रतिशत स्कूलों के भवनों को भूस्खलन, भूकंप और बाढ़ से उत्पन्न होने वाले संरचनात्मक खतरों का सामना करना पड़ता है. संरचनात्मक नवीनिकरण का उद्देश्य इन जोखिमों को कम करना होता है. 2019 में शुरू किए गए हनीवैल सेफ स्कूल कार्यक्रम के ज़रिए हरिद्वार और देहरादून ज़िलों के 100 सरकारी स्कूलों में 11,000 से अधिक विद्यार्थियों, 3,000 अभिभावकों और 900 शिक्षकों को स्कूल की सुरक्षा पर प्रशिक्षण दिया गया. देहरादून और हरिद्वार में राज्य सरकार के 15 के स्कूलों का जीर्णोद्धार, मरम्मत और विस्तारण किया.