देहरादून: प्रदेश में कोविड-19 के चलते सामान्य मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ा है. लॉकडाउन के दौरान जहां मरीज सरकारी और निजी अस्पतालों से महरूम रहे हैं तो वहीं लॉकडाउन खुलने के बाद मरीजों को निजी अस्पतालों में महंगी जांच करवाने के लिए मजबूर हैं. यही नहीं ऑपरेशन के लिए भी फिलहाल मरीज अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
देहरादून में दून मेडिकल कॉलेज प्रदेश के उन गिने-चुने अस्पतालों में शामिल है, जहां पर तमाम जांचें सरकारी रेट पर होती हैं. केवल देहरादून ही नहीं उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों और पहाड़ी जिलों से भी यहां पर मरीज खुद की चिकित्सीय परामर्श लेने के लिए पहुंचते हैं. लेकिन मार्च से लॉकडाउन लगने के बाद दून मेडिकल कॉलेज को कोविड-19 अस्पताल के रूप में तब्दील किया गया है. ऐसे में मरीजों को न केवल जांच के लिए निजी अस्पतालों में जेब ढीली करनी पड़ रही है. बल्कि विभिन्न बीमारियों में ऑपरेशन के लिए भी निजी अस्पतालों का भी रुख करना पड़ रहा है. उधर लॉकडाउन के दौरान निजी अस्पतालों में भी ऑपरेशन न हो पाने के चलते बड़ी संख्या में मरीज ऑपरेशन के लिए सरकारी अस्पतालों में अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
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बता दें कि दून मेडिकल कॉलेज में करीब 250 से 300 ऑपरेशन हर महीने होते थे, लेकिन कोविड-19 होने के चलते यह ऑपरेशन नहीं हो पा रहे हैं. लिहाजा बड़ी संख्या में ऐसे मरीज मौजूद है जो ऑपरेशन को लेकर वेटिंग में है. देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज में एमआरआई, सीटी स्कैन, विभिन्न तरह के एक्सरे, और हड्डियों से जुड़ी जांच होती हैं और यह जांच काफी महंगी होती हैं. जिन्हें सरकारी अस्पताल में काफी कम रेट पर किया जाता है, लेकिन दून मेडिकल कॉलेज के कोविड-19 अस्पताल बनने के कारण यह जांच फिलहाल नहीं हो पा रही है.
अस्पताल में ओपीडी समेत ऑपरेशन भी नहीं किए जा रहे हैं. ऐसे में काफी पहले ही मेडिकल कॉलेज की तरफ से ओपीडी खोले जाने के लिए प्रस्ताव दिया जा चुका है, शासन से ऑपरेशन और विभिन्न जांच को फिर से आम लोगों के लिए अस्पताल खोलने के लिए भी इजाजत मांगी गई है. हालांकि अब तक शासन में इसके लिए मंजूरी नहीं दी है, लेकिन लोगों की बढ़ती मांग के चलते जल्द ही अस्पताल में आम मरीजों के लिए खोले जाने की उम्मीद है.