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पूर्व डीजीपी सिद्धू के केस में नत्थूमल नाम के तीन शख्स बने पहेली, जांच बनी जंजाल

उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू का केस पुलिस के लिए टेढ़ी खीर जैसा है. एसएसपी कह रहे हैं कि तथ्यों के आधार पर जांच और कार्रवाई होगी, लेकिन सबसे बड़ी समस्या पूर्व डीजीपी के केस से जुड़े नत्थूमल नाम के तीन शख्स हैं. इनमें से एक शख्स की मौत इस केस से पहले ही हो चुकी है. बाकी के दो कहां हैं किसी को नहीं पता.

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BS सिद्धू समाचार
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Published : Nov 4, 2022, 12:49 PM IST

Updated : Dec 5, 2022, 7:05 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के खिलाफ देहरादून के राजपुर स्थित वन विभाग की भूमि पर पेड़ काटने और जमीन जाने के मामले में 10 साल बाद दर्ज मुकदमे के बाद जांच पुलिस के लिए टेढ़ी खीर से कम नहीं है. दरअसल इस केस में सबसे रोचक पहलू नत्थूमल नाम के उन तीन व्यक्तियों का जिक्र है, जिनका रहस्य उजागर करना पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. यही कारण है कि मुकदमा दर्ज होने के बावजूद जांच टीम अब तक इसमें कुछ खास नहीं कर पाई है.

तीन-तीन नत्थूमल बने पहेली: दरअसल इस केस की जानकारी के अनुसार वन विभाग की जमीन की रजिस्ट्री नत्थूमल नाम के शख्स ने ही पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू को की थी. लेकिन आज नत्थूमल नाम का एक व्यक्ति भी पुलिस के सामने ही नहीं आया है.

एक नत्थूमल की 1983 में हो चुकी मौत: जानकारी मुताबिक एक नत्थूमल की मौत 1983 में ही हो चुकी है. उसको पुराने दस्तावेजों के अनुसार इस प्रॉपर्टी का वास्तविक हकदार बताए जाता है. हालांकि बाद में वही जमीन ऑन पेपर फॉरेस्ट लैंड की बताई गई. वहीं दूसरी तरफ इस केस में दो अलग-अलग नत्थूमल का नाम भी सामने आया. इनमें से एक मेरठ निवासी नत्थूमल ने वर्ष 2012 में डीजीपी को जमीन की रजिस्ट्री की.
ये भी पढ़ें: पूर्व DGP बीएस सिद्धू की गिरफ्तारी पर HC ने लगाई रोक, जानिए कोर्ट ने क्या कहा

फिलहाल खाली हैं पुलिस के हाथ: चौंकाने वाली बात है कि आज उस नत्थूमल का भी पता नहीं है. वहीं तीसरे नत्थूमल का क्या रोल था और वह कहां है यह भी पता नहीं. ऐसे में भले ही इस मामले को किन्हीं कारणों के चलते 10 साल बाद मुकदमा दर्ज कर नए सिरे से जांच करने की बात कही जा रही हो, लेकिन फिलहाल पुलिस के हाथ खाली हैं.

हर पहलू की इन्वेस्टिगेशन जारी- एसएसपी: उधर इस मामले में देहरादून एसएसपी दलीप सिंह कुवर का कहना है कि हर एंगल और नए सिरे से गहराई से जांच करने के लिए टीम बनाई गई हैं. सीओ डालनवाला के नेतृत्व में इन्वेस्टिगेशन जारी है. जो भी इस केस के फैक्ट होंगे उनमें विधिसंगत कार्रवाई की जाएगी. एसएसपी के मुताबिक सभी तरह के डाक्यूमेंट्स एविडेंस की विवेचना चल रही है. इतना ही नहीं पूर्व में हुई जांच पड़ताल को भी संज्ञान में लेकर हर पहलू की गहराई में जाकर जो भी यथा उचित कार्रवाई होगी, उसको सुनिश्चित कराया जाएगा.

तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी- एसएसपी: वहीं दूसरी तरफ पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पहले ही कह चुके हैं कि चार न्यायालयों के निर्णय की अनदेखी कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.10 सालों से आज तक इस केस में कोई नया और पुख्ता सबूत सामने नहीं आया है. इसलिए उनके ऊपर किया गया मुकदमा बेबुनियाद है. वहीं इस मामले में देहरादून एसएसपी दलीप सिंह कुंवर का कहना है कि कोर्ट के निर्णय का जिस तरह से हवाला दिया जा रहा है, उन सब बातों को भी संज्ञान में लिया जा रहा है. ऐसे में सभी तरह के तथ्यों को जांच परख कर ही जो नियमसंगत होगा उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी.

क्या है पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू का मामला: उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू के खिलाफ राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है. सिद्धू पर सरकारी जमीन कब्ज़ाने और पेड़ काटने का आरोप है. जानकारी के अनुसार, सिद्धू ने वर्ष 2012 में मसूरी वन प्रभाग में वीरगिरवाली गांव में 1.5 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी. इस जमीन से मार्च 2013 में साल के 25 पेड़ काट लिए गए.
ये भी पढ़ें: देहरादून: जमीन हड़पने के मामले में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू सहित सात पर मुकदमा

सूचना मिलने पर वन विभाग ने इसकी जांच कराई तो पता चला कि संबंधित पेड़ जिस जमीन पर हैं, वह रिजर्व फॉरेस्ट है. सिद्धू ने अवैध तरीके से जमीन खरीदी. साल के पेड़ भी काट दिए. इस मामले में वन विभाग ने उनके खिलाफ जुर्माना किया था. बाद में जमीन की सिद्धू के नाम की गई रजिस्ट्री भी कैंसिल की गई.

इस मामले में कुछ समय पूर्व ही वन विभाग ने सिद्धू पर रिजर्व फॉरेस्ट में जमीन कब्जाने और पेड़ कटान के आरोप में आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाने की अनुमति शासन से मांगी थी. शासन से अनुमति मिलने के बाद मुकदमा दर्ज हुआ है.

सिद्धू की गिरफ्तारी पर रोक: फिलहाल आज 4 नवंबर 2022 को उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने सिद्धू से जांच में सहयोग करने के लिए कहा है. सिद्धू ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि इसी आरोप में उनके खिलाफ 2013 में भी मुकदमा दर्ज है, जो विचाराधीन है.
ये भी पढ़ें: मुकदमा दर्ज होने पर पूर्व डीजीपी ने उठाए सवाल, कहा- कोर्ट के निर्णयों की अनदेखी की गई

देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के खिलाफ देहरादून के राजपुर स्थित वन विभाग की भूमि पर पेड़ काटने और जमीन जाने के मामले में 10 साल बाद दर्ज मुकदमे के बाद जांच पुलिस के लिए टेढ़ी खीर से कम नहीं है. दरअसल इस केस में सबसे रोचक पहलू नत्थूमल नाम के उन तीन व्यक्तियों का जिक्र है, जिनका रहस्य उजागर करना पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. यही कारण है कि मुकदमा दर्ज होने के बावजूद जांच टीम अब तक इसमें कुछ खास नहीं कर पाई है.

तीन-तीन नत्थूमल बने पहेली: दरअसल इस केस की जानकारी के अनुसार वन विभाग की जमीन की रजिस्ट्री नत्थूमल नाम के शख्स ने ही पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू को की थी. लेकिन आज नत्थूमल नाम का एक व्यक्ति भी पुलिस के सामने ही नहीं आया है.

एक नत्थूमल की 1983 में हो चुकी मौत: जानकारी मुताबिक एक नत्थूमल की मौत 1983 में ही हो चुकी है. उसको पुराने दस्तावेजों के अनुसार इस प्रॉपर्टी का वास्तविक हकदार बताए जाता है. हालांकि बाद में वही जमीन ऑन पेपर फॉरेस्ट लैंड की बताई गई. वहीं दूसरी तरफ इस केस में दो अलग-अलग नत्थूमल का नाम भी सामने आया. इनमें से एक मेरठ निवासी नत्थूमल ने वर्ष 2012 में डीजीपी को जमीन की रजिस्ट्री की.
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फिलहाल खाली हैं पुलिस के हाथ: चौंकाने वाली बात है कि आज उस नत्थूमल का भी पता नहीं है. वहीं तीसरे नत्थूमल का क्या रोल था और वह कहां है यह भी पता नहीं. ऐसे में भले ही इस मामले को किन्हीं कारणों के चलते 10 साल बाद मुकदमा दर्ज कर नए सिरे से जांच करने की बात कही जा रही हो, लेकिन फिलहाल पुलिस के हाथ खाली हैं.

हर पहलू की इन्वेस्टिगेशन जारी- एसएसपी: उधर इस मामले में देहरादून एसएसपी दलीप सिंह कुवर का कहना है कि हर एंगल और नए सिरे से गहराई से जांच करने के लिए टीम बनाई गई हैं. सीओ डालनवाला के नेतृत्व में इन्वेस्टिगेशन जारी है. जो भी इस केस के फैक्ट होंगे उनमें विधिसंगत कार्रवाई की जाएगी. एसएसपी के मुताबिक सभी तरह के डाक्यूमेंट्स एविडेंस की विवेचना चल रही है. इतना ही नहीं पूर्व में हुई जांच पड़ताल को भी संज्ञान में लेकर हर पहलू की गहराई में जाकर जो भी यथा उचित कार्रवाई होगी, उसको सुनिश्चित कराया जाएगा.

तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी- एसएसपी: वहीं दूसरी तरफ पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू पहले ही कह चुके हैं कि चार न्यायालयों के निर्णय की अनदेखी कर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.10 सालों से आज तक इस केस में कोई नया और पुख्ता सबूत सामने नहीं आया है. इसलिए उनके ऊपर किया गया मुकदमा बेबुनियाद है. वहीं इस मामले में देहरादून एसएसपी दलीप सिंह कुंवर का कहना है कि कोर्ट के निर्णय का जिस तरह से हवाला दिया जा रहा है, उन सब बातों को भी संज्ञान में लिया जा रहा है. ऐसे में सभी तरह के तथ्यों को जांच परख कर ही जो नियमसंगत होगा उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी.

क्या है पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू का मामला: उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू के खिलाफ राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है. सिद्धू पर सरकारी जमीन कब्ज़ाने और पेड़ काटने का आरोप है. जानकारी के अनुसार, सिद्धू ने वर्ष 2012 में मसूरी वन प्रभाग में वीरगिरवाली गांव में 1.5 हेक्टेयर जमीन खरीदी थी. इस जमीन से मार्च 2013 में साल के 25 पेड़ काट लिए गए.
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सूचना मिलने पर वन विभाग ने इसकी जांच कराई तो पता चला कि संबंधित पेड़ जिस जमीन पर हैं, वह रिजर्व फॉरेस्ट है. सिद्धू ने अवैध तरीके से जमीन खरीदी. साल के पेड़ भी काट दिए. इस मामले में वन विभाग ने उनके खिलाफ जुर्माना किया था. बाद में जमीन की सिद्धू के नाम की गई रजिस्ट्री भी कैंसिल की गई.

इस मामले में कुछ समय पूर्व ही वन विभाग ने सिद्धू पर रिजर्व फॉरेस्ट में जमीन कब्जाने और पेड़ कटान के आरोप में आईपीसी की धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाने की अनुमति शासन से मांगी थी. शासन से अनुमति मिलने के बाद मुकदमा दर्ज हुआ है.

सिद्धू की गिरफ्तारी पर रोक: फिलहाल आज 4 नवंबर 2022 को उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने सिद्धू से जांच में सहयोग करने के लिए कहा है. सिद्धू ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि इसी आरोप में उनके खिलाफ 2013 में भी मुकदमा दर्ज है, जो विचाराधीन है.
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Last Updated : Dec 5, 2022, 7:05 PM IST
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