देहरादून: उत्तराखंड दुनियां भर में अपनी खूबसूरती के साथ लोकपर्वों के लिए जाना जाता है. उत्तराखंड का ऐसा ही एक लोकपर्व है, घी संक्रांति जिसे घ्यू संक्रांत और ओलगिया भी कहते हैं. उत्तराखंड में आज 17 अगस्त को घी संक्रांति मनाया जा रहा है. आज के दिन घी खाने का विशेष महत्व है. उत्तराखंड के तमाम बड़े नेता सोशल मीडिया पर प्रदेशवासियों को घी संक्रांति की बधाई दे रहे हैं.
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आप समस्त प्रदेशवासियों को देवभूमि उत्तराखण्ड के लोकपर्व घी संक्रांति (घ्यू/ओल्गिया त्यार) की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। भगवान सूर्य देव से कामना करता हूं कि आप सभी का जीवन सुख, समृद्धि और यश से परिपूर्ण हो। pic.twitter.com/quug9JEhz8
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) August 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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घी संक्रांति यानी सिंह संक्रांति का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. मान्यता के अनुसार जब सूर्य अपनी प्रिय राशि सिंह में प्रवेश करता है तो सिंह संक्रांति मनाई जाती है. इस दिन पवित्र नदियों के स्नान करने के बाद सूर्य देव की पूजा और स्नान करने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि ऐसा करने से सूर्य देव रूठी किस्मत को भी चमका देते हैं.
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आप सबको उत्तराखंड के लोक पर्व घी त्यार "#घी_संक्रांति" की बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।#uttarakhand pic.twitter.com/UvBj92Gj8H
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) August 17, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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कहा जाता है कि इस दिन घी का सेवन करना शुभ और फालदायी होता है. इसी दिन घी का इस्तेमाल करने के कारण ही इसे घी संक्रांति कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो लोग घी संक्रांति पर घी नहीं खाते हैं, वो अगले जन्म में घोंघा बनते हैं.
घी संक्रांति से जुड़ी मान्यता: उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में घी संक्रांति के दिन मक्खन और घी के साथ बेड़ू रोटी (उड़द की दाल की पिट्टी भरी रोटी) खाने का रिवाज है. घी संक्रांति भादो मास की प्रथम तिथि को मनाया जाता है. इन दिन महिलाएं घरों में अपने बच्चों के सिर पर ताजा मक्खन मलती हैं और दीर्घजीवी होने की कामना करती हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घी संक्रांति के अवसर प्रदेशवासियों की बंधाई संदेश दिया है.