देहरादून: कोरोना वायरस जिस तेजी से बढ़ रहा है, हर कोई इससे बचने का उपाय कर रहा है. कोरोना काल में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने के लिए लोग तरह-तरह के प्रयास कर रहे हैं. कोई आयुर्वेदिक नुस्खा अपना रहा तो कोई विटामिन की गोलियां और जूस पीकर इम्यूनिटी बढ़ाने में जुटा है.
उत्तराखंड में कोरोना मरीजों की आंकड़ा 13,636 हो गया है और मृतकों की संख्या 187 हो गया है. प्रदेश में तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों के बीच लोग अब होम्योपैथिक और आयुर्वेद की तरफ बढ़ रहे हैं. उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति सुनील जोशी बताते हैं कि आयुर्वेदिक प्रोडक्ट को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ गई है. इसी के चलते आयुर्वेदिक प्रोडक्ट के बाजार में करीब 40 से 50% फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
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वहीं, उत्तराखंड सरकार भी आयुर्वेद को बढ़ावा दे रही है. सरकार की तरफ से करीब 2.38 करोड़ रुपए आयुष की दवा के लिए सरकार ने जारी किए हैं. इन दवाओं में खासतौर पर इम्यूनिटी बूस्टर शामिल हैं. इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए लोग आयुष काढ़ा, गिलोय, अश्वगंधा, हल्दी की गोलियां, तुलसी ड्रॉप और च्वयनप्राश का इस्तेमाल रोज कर रहे हैं. यही नहीं, विटामिन सी और डी की गोलियों की खपत भी आम दिनों की तुलना में दस गुना बढ़ गई है. आलम यह है कि बाजार में ऐसी चीजें आते ही खत्म हो जा रही हैं. इम्यूनिटी बढ़ाने वाले प्रमुख उत्पाद जैसे च्यवनप्राश, गिलोय, अश्वगंधा और हेल्थ सप्लिमेंट्स अब लोग पहले के मुकाबले कहीं अधिक खरीद रहे हैं.
देहरादून में आयुर्वेद दवाएं बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि कोरोना संकट के बीच गुरुचि, अश्वगंधा, हनीटस हॉ सिप, ब्राह्मी, अमलकी, शिगरू, त्रिफला, योगी कंठिका, यष्टीमधु, गिलोय, शंखवटी आदि की बिक्री बढ़ गई है. कोरोना काल में लोगों की न सिर्फ जीवन शैली बदली है. बल्कि, खाने-पीने की शैली भी बदल गई है. कोरोना के दौरान आम लोगों की तरफ से आयुर्वेदिक प्रोडक्ट का इस्तेमाल खास तौर पर रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जा रहा हैं. लिहाजा, कोरोना की कोई दवाई न होने के चलते अब लोग आयुर्वेद पर ही भरोसा कर रहे हैं.