देहरादून: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (indian medical association) और बाबा रामदेव (Baba Ramdev) के बीच उठा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. बाबा रामदेव पहले ही 25 सवालों के साथ आईएमए (IMA) को चुनौती दे चुके हैं. वहीं, अब आईएमए उत्तराखंड (IMA uttarakhand) ने रामदेव और उनकी टीम को पत्र भेजकर खुली बहस की चुनौती दी है.
IMA ने दी बाबा रामदेव को खुली बहस की चुनौती
आईएमए उत्तराखंड के सचिव डॉ. अजय खन्ना ने बाबा रामदेव को पत्र भेजकर खुली बहस की चुनौती दी है. उन्होंने लिखा है कि बाबा और उनकी टीम के सदस्य आचार्य बालकृष्ण (Acharya Balkrishan) आईएमए के डॉक्टर्स के साथ खुली बहस करें. इस खुली बहस में जहां आईएमए के डॉक्टर बाबा के 25 सवालों का जवाब देंगे. वहीं, बाबा को भी आईएमए के डॉक्टरों के सवालों का जवाब देना होना. वहीं, बहस कब होगी इसकी तिथि बाबा को निर्धारित करने को कहा गया है, लेकिन यह बहस कहां आयोजित की जाएगी यह आईएमए निर्धारित करेगा.
रामदेव ठीक हुए मरीजों की सूची दें: IMA
पत्र में आईएमए सचिव डॉ. अजय खन्ना ने बाबा रामदेव से सवाल किया है कि वो और उनके साथी आचार्य बालकृष्ण ने अब तक सरकार को अपनी क्वॉलिफिकेशन के बारे में नहीं बताया है. वहीं, बाबा की ओर से एक नेशनल टेलीविजन की चर्चा में यह भी कहा गया है कि उन्होंने अपने प्रोडक्ट का ट्रायल (Product trail) एलोपैथी अस्पताल (Allopathic hospital) के हजारों मरीजों में किया है. आखिर वह अस्पताल कौन से हैं. बाबा इसकी भी सूची आईएमए उत्तराखंड को भेजें, जिससे बाबा ने अपने प्रोडक्ट का जो ट्रायल किया है, वह कहां तक सही है, इसकी पड़ताल हो सके.
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रामदेव और IMA में बढ़ता विवाद
गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर (Corona second wave) में जहां लोग लगातार इसकी चपेट में आ रहे हैं. वहीं, इस संक्रमण काल में बाबा रामदेव और आईएमए (Ramdev and IMA dispute) के बीच छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है. बाबा रामदेव ने एलोपैथ को स्टूपिड साइंस करार दिया और अपने 25 प्रश्नों को एलोपैथ के चिकित्सकों से पूछा है. वहीं, अब आईएमए ने बाबा रामदेव की तरफ से वैक्सीनेशन (vaccine) पर दिए गए बयान और एलोपैथ के 1000 चिकित्सकों को प्रत्येक साल आयुर्वेद में कन्वर्ट करने के उनके बयान पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी है.
बाबा को एलोपैथ की जानकारी नहीं: IMA
आईएमए के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और केंद्रीय समिति के सदस्य डॉ. डीडी चौधरी ने बाबा रामदेव के इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव को दरअसल एलोपैथ की जानकारी नहीं है. इसलिए वह इस तरह की बात कर रहे हैं कि वैक्सीनेशन (vaccination) के बाद भी डॉक्टरों की मौत हो रही है. उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी वैक्सीन की 100 परसेंट गारंटी नहीं होती है. उन्होंने कहा कि वैक्सीनेशन से कोई मौत नहीं हो रही है. उन्होंने बाबा रामदेव के इस बयान को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि वैक्सीनेशन के बाद कई फैक्टर होते हैं, जिसका ज्ञान बाबा रामदेव को नहीं है.
IMA की लोगों से वैक्सीनेशन कराने की अपील
डॉक्टर डीडी चौधरी के मुताबिक कैंसर, हाई शुगर, हाई ब्लड प्रेशर और अन्य बीमारियों के मरीजों को यदि कोरोना संक्रमण (Corona infection) होता है तो उनमें मोबिलिटी के चांस ज्यादा रहते हैं. आईएमए के पदाधिकारियों ने लोगों से अधिक से अधिक वैक्सीनेशन कराने की अपील की है. साथ ही कहा है कि कोरोना के साथ ही लोगों को जीने की आदत डालनी होगी, कोरोना वर्तमान में है और आगे भी रहेगा. यह संक्रमण कब तक रहेगा इसके बारे में कोई भी साइंटिस्ट नहीं बता सकता है.
8वीं पास बाबा रामदेव में ज्ञान की कमी: IMA
डॉक्टर डीडी चौधरी का कहना कि बाबा रामदेव ने कक्षा 8 तक ही पढ़ाई की है, इसलिए उनको कोई ज्ञान नहीं है. ऐसे में वो क्या बयान दे रहे हैं इसे आईएमए गंभीरता से नहीं लेता है. उन्होंने कहा कि एलोपैथी चिकित्सक कोरोना काल में अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी निर्वाह कर रहे हैं. ऐसे में रामदेव के बयानों को नजरअंदाज करना ही मुनासिब होगा. क्योंकि शिक्षित समाज के लोग अपना काम कर रहे हैं. ऐसे में समाज भी सब समझ जाएगा कि इस संक्रमण काल में कौन बेहतर काम कर रहा है.
सार्वजनिक रूप से बहस की चुनौती
दरअसल बाबा रामदेव और आईएमए के बीच तल्खियां बढ़ती जा रही हैं. एलोपैथी को लेकर बाबा रामदेव की तरफ से किए गए 25 सवालों के जवाब को लेकर अब आईएमए भी बाबा रामदेव को खुली बहस की चुनौती दी है. एसोसिएशन का कहना है कि दोनों तरफ पांच-पांच विशेषज्ञ बैठकर सार्वजनिक रूप से बहस करें. आईएमए पदाधिकारियों ने बाबा रामदेव की शैक्षिक योग्यता को आधार बनाया है और उनमें एलोपैथ को लेकर ज्ञान की कमी बताया है.