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वन विभाग की मिलीभगत से जंगल में बन रही थी शराब, महिलाओं ने हल्लाबोल तोड़ी दर्जनों भट्ठियां

ऋषिकेश में वन विभाग की मिली भगत से जंगलों में शराब बनाई जा रही है. प्रशासन की लापरवाही को देखते हुए स्थानीय महिलाओं ने जंगल में जाकर दर्जनों भट्ठियों को तोड़ हजारों लीटर कच्ची शराब नष्ट कर दिया.

rishikesh
अवैध शराब
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Published : Feb 5, 2020, 8:43 PM IST

ऋषिकेश: तीर्थनगरी ऋषिकेश में शराब पूर्णत: प्रतिबंध होने के बावजूद भी क्षेत्र में शराब माफिया के हौसले बुलंद हैं. ऋषिकेश में अवैध शराब बनाने और बेचने का काम धड़ल्ले से चल रहा है. बावजूद प्रशासन बेखबर है. ताजा मामला ऋषिकेश के ग्राम गुमानिवाला के पास जंगल का है, जहां बड़े जोर शोर से कच्ची शराब बनाने का काम हो रहा है. प्रशासन की लापरवाही को देखते हुए स्थानीय महिलाओं ने जंगल में जाकर दर्जनों भट्ठियों को तोड़ हजारों लीटर कच्ची शराब नष्ट कर दिया.

ऋषिकेश के ग्रामीण क्षेत्र गुलरानी गुमानिवाला के पास के जंगलों में कच्ची जहरीली शराब बनाने वाले दर्जनों भट्ठियां लगाकर शराब बना रहे हैं. जिससे गांव का महौल खराब हो रहा है. बावजूद आबकारी विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. आज ग्रामीण महिलाओं ने शराब बनाने वालों के खिलाफ अभियान चलाते हुए दर्जनों भट्ठियां, हजारों लीटर लहन और शराब बनाने का सामान नष्ट कर दिया.

महिलाओं ने तोड़ी अवैध शराब की भट्ठियां.

ये भी पढ़े: ऋषिकेश: प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से हो रही शराब की बिक्री, ETV Bharat ने खोली पोल

महिलाओं का कहना था कि जंगल में खुलेआम चल रहे इस धंधे में वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत है. वहीं मौके पर पहुंचे वन विभाग के कर्मचारी कैमरे से बचते नजर आये और कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. स्थानीय लोगों का कहना था कि यहां तैनात वनकर्मी पिछले कई वर्षों से तैनात हैं और उनकी मिलीभगत से ही यह कार्य किया जा रहा है.

ऋषिकेश: तीर्थनगरी ऋषिकेश में शराब पूर्णत: प्रतिबंध होने के बावजूद भी क्षेत्र में शराब माफिया के हौसले बुलंद हैं. ऋषिकेश में अवैध शराब बनाने और बेचने का काम धड़ल्ले से चल रहा है. बावजूद प्रशासन बेखबर है. ताजा मामला ऋषिकेश के ग्राम गुमानिवाला के पास जंगल का है, जहां बड़े जोर शोर से कच्ची शराब बनाने का काम हो रहा है. प्रशासन की लापरवाही को देखते हुए स्थानीय महिलाओं ने जंगल में जाकर दर्जनों भट्ठियों को तोड़ हजारों लीटर कच्ची शराब नष्ट कर दिया.

ऋषिकेश के ग्रामीण क्षेत्र गुलरानी गुमानिवाला के पास के जंगलों में कच्ची जहरीली शराब बनाने वाले दर्जनों भट्ठियां लगाकर शराब बना रहे हैं. जिससे गांव का महौल खराब हो रहा है. बावजूद आबकारी विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. आज ग्रामीण महिलाओं ने शराब बनाने वालों के खिलाफ अभियान चलाते हुए दर्जनों भट्ठियां, हजारों लीटर लहन और शराब बनाने का सामान नष्ट कर दिया.

महिलाओं ने तोड़ी अवैध शराब की भट्ठियां.

ये भी पढ़े: ऋषिकेश: प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से हो रही शराब की बिक्री, ETV Bharat ने खोली पोल

महिलाओं का कहना था कि जंगल में खुलेआम चल रहे इस धंधे में वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत है. वहीं मौके पर पहुंचे वन विभाग के कर्मचारी कैमरे से बचते नजर आये और कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. स्थानीय लोगों का कहना था कि यहां तैनात वनकर्मी पिछले कई वर्षों से तैनात हैं और उनकी मिलीभगत से ही यह कार्य किया जा रहा है.

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ऋषिकेश--एक ओर उत्तराखंड सरकार जहरीली शराब के खिलाफ लगातार कार्यवाही की बात करती है।वहीं दूसरी ओर ऋषिकेश के ग्राम गुमानिवाला के पास के जंगलों में कच्ची शराब बनाने वालों को रोकने में नाकाम साबित हो रही है। अधिकारियों की लापरवाही के साथ - साथ कर्मचारियों की मिलीभगत से शराब बनाने वालों के होंसले बुलन्द है।जिसके बाद ग्रामीण महिलाओं ने स्थानीय प्रतिनिधियों के साथ मिलकर जंगलों में बनाई दर्जनों भटियाँ तोड़ी और हजारों लीटर लहन नष्ट किया।


Body:वी/ओ--ऋषिकेश के ग्रामीण क्षेत्र  गुलरानी गुमानिवाला के पास के जंगलों में कच्ची जहरीली शराब बनाने वाले दर्जनों भटियाँ लगाकर शराब बना रहे है। जिससे गांव का महौल खराब हो रहा है बावजूद जिम्मेदार जंगलात एवं अबकारी विभाग कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। जिसके बाद ग्रामीण महिलाओं ने भटियाँ तोड़ते हुए अवैध शराब बनाने वालों। के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एक तरफ तो प्रदेश में नशे की खिलाफ अभियान चला रही है , वहीं ऋषिकेश के गुमानिवाला में जंगलों के बीच कच्ची शराब बनाने का धंधा जोरो पर चल रहा है।आज ग्रामीण महिलाओं ने शराब बनाने वालों के खिलाफ अभियान चलाते हुए दर्जनों भटियाँ, हजारों लीटर लहन और शराब बनाने का सामान बरामद किया। ग्रामीण महिलाओं का कहना था कि जंगल मे खुलेआम चल रहे इस धंधे में वन विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत है। 




Conclusion:वी/ओ--वहीं मौके पर पंहुचे वन विभाग के कर्मचारी कैमरे से बचते नाजर आये और कुछ भी बोलने से इनकार करते रहे,लोगों का कहना था यहां तैनात वनकर्मी पिछले कई वर्षों से तैनात है और उनकी मिलीभगत से ही यह कार्य किया जा रहा है।

बाईट--शांति देवी(ग्रामीण)
बाईट--पिंकी गुसाईं(ग्रामीण)

वाकथ्रू--विनय पाण्डेय
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