देहरादून: फ्यूल लाइफ साइकिल में CO2 यानी कार्बन उत्सर्जन को 65 फीसदी तक कम करने की दिशा में देहरादून इंडियन पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट, स्पाइसजेट और बोईंग मिल कर एक संयुक्त शोध के लिए काम करने जा रहे हैं. जिसकी औपचारिक घोषणा शुक्रवार को आयोजित हुए एक कार्यक्रम में की गई.
हैदराबाद में चल रहे विंग्स इंडिया 2022 नागरिक उड्डयन सम्मेलन के दौरान हुए एक कार्यक्रम में स्पाइसजेट, बोइंग और सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (आईआईपी) ने भारतीय एविएशन इंडस्ट्री में सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) के उपयोग की संभावनाओं को तलाशने के लिए एक ज्वाइंट कार्यक्रम के तहत काम करने का फैसला लिया है. यह प्रयास भारत सरकार के पर्यावरणीय लक्ष्यों में योगदान करते हुए कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद करने के लिए संगठनों की प्रतिबद्धता का एक हिस्सा है.
स्पाइसजेट के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने कहा बोइंग के साथ यह विस्तारित कार्य, जिसके साथ हम पहले से ही अत्यधिक कुशल 737 मैक्स के माध्यम से एक मजबूत साझेदारी साझा करते हैं, साथ ही भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, जो भारत में एसएएफ के विकास के लिए सबसे आगे हैं, हवाई यात्रा सुनिश्चित करने की यात्रा में एक कदम है. यह हमारी आने वाली भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बेहतर और टिकाऊ प्रयास साबित होगा.
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बोइंग इंडिया के अध्यक्ष सलिल गुप्ते ने कहा 'हम स्थायी विमानन को आगे बढ़ाने के लिए स्पाइसजेट के साथ काम करने के लिए सम्मानित महसूस कर रहे हैं, जिसके साथ हमारी पहले से ही एक स्थायी साझेदारी है'. साथ ही उन्होंने कहा भारत में एसएएफ को सक्षम करने के लिए उत्प्रेरक का काम करने वाले भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (IIP) का भी वह आभार व्यक्त करते हैं.
सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम के निदेशक अंजन रे ने कहा 'हमारा संस्थान भारत में पहला और वर्तमान में एकमात्र संगठन है जो देश के लिए देश में पूरी तरह से स्वदेशी एसएएफ विकसित कर रहा है, भारतीय आसमान को स्वच्छ और हरा-भरा बनाने में योगदान देने के लिए स्पाइसजेट और बोइंग के साथ साझेदारी करके हमें खुशी हो रही है'
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कंपनियां सीएसआईआर-आईआईपी और उसके उत्पादन भागीदारों और लाइसेंसधारियों से एसएएफ आपूर्ति का लाभ उठाने के लिए मिलकर काम करेंगी, ताकि स्पाइसजेट को अपने बेड़े को डी कार्बोनाइज करने में मदद मिल सके. SAF भविष्य में 100 पीसी तक पहुंचने की क्षमता के साथ ईंधन के जीवन चक्र में CO2 उत्सर्जन को 65 पीसी तक कम कर सकता है.