देहरादून: भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत करते हुए सरकारी विभागों पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं. चतुर्वेदी ने कहा कि मंत्रालयों के अंदर आने वाले विभागों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है. इसकी मूल जड़ वो किसी और को नहीं बल्कि राजनेता और कुछ अधिकारियों को ही मानते हैं.
इसी को लेकर उन्होंने बीते दिनों प्रधानमंत्री कार्यालय से आरटीआई (सूचना का अधिकार) के तहत कुछ जानकारी मांगी थी, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय ने वो जानकारी देने से साफ इनकार कर दिया था. लेकिन बाद में सूचना आयोग उनके पक्ष में फैसला सुनाया और पीएमओ को सूचना देने के लिए कहा गया था.
चतुर्वेदी ने ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने पीएमओ से काले धन को लेकर कुछ जानकारियां मांगी थी. चतुर्वेदी ने पीएमओ से आरटीआई के तहत पूछा था कि देश को कितना काला धन मिला है और वो कितने लोगों को अबतक मिला. इसके अलावा उसको लाने और लोगों में बांटने के लिए क्या प्रयास किया है. हालांकि, अभी तक पीएमओ ने इससे संबंधित कोई भी जानकारी उन्हें नहीं दी.
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ईटीवी भारत से बात करते हुए चतुर्वेदी ने कहा कि भ्रष्टाचार बयानों और जुमलेबाजी से नहीं हटेगा. भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है. इसके लिए संकल्प शक्ति की जरूरत है. भ्रष्टाचार पर जल्द-जल्द से निर्णय आए इसके लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की जरूरत है. करप्शन के खिलाफ जो संस्थाएं काम कर रही हैं उनको भी मजबूत करने की जरूरत है.
चतुर्वेदी ने कहा कि उन्हें ये कहने में जरा भी संकोच नहीं कि आज भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए एक माफिया तंत्र विकसित हो चुका है. भ्रष्टाचार से मुक्ति पाने के लिए हमे दूसरा युद्ध लड़ना होगा.
लोकपाल में मांगी प्रतिनियुक्ति
चतुर्वेदी ने बताया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए उन्होंने लोकपाल की प्रतिनियुक्ति मांगी है. इसके लिए उन्होंने हरियाणा में किए गए अपने कामों को ब्यौरा भी लोकपाल की प्रतिनियुक्ति के लिए भेजा है. इसके साथ ही राष्ट्रपति ने चार बार उनके पक्ष में जो फैसला सुनाया था और एम्स में 200 से ज्यादा भ्रष्टाचार का मामला उजागर करने का ब्यौरा भी उन्होंने लोकपाल को भेजा है.
इसके अलावा चतुर्वेदी ने राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय और तमाम संस्था जिन्होंने मुझे ईमानदारी से काम करने के लिए प्रेरित किया है वह सभी ब्यौरा उन्होंने लोकपाल को भेजा है, ताकि वो प्रतिनियुक्ति पर लोकपाल में तैनात होकर उन तमाम मामलों को सामने ला सके जो अब तक लोगों के सामने नहीं आए हैं.
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जेल जा सकते हैं कई बड़े राजनेता
चतुर्वेदी ने दावा किया है कि यदि लोकपाल में उनकी नियुक्ति होती है तो उनका पहला काम भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली राजनीतिक पार्टियां, उनके राजनेता और उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों पर कार्रवाई करना होगा. यदि नेतागण जेल जाने लगेंगे तो उन्हें उम्मीद है कि देश से भ्रष्टाचार काफी हद तक खत्म किया जा सकता है.
परिवार का मिलता है साथ
भ्रष्टाचार के खिलाफ चतुर्वेदी जो लड़ाई लड़ रहे हैं, उस पर उनका परिवार क्या सोचता है और परिवार से उन्हें कितना सपोर्ट मिलता है. इस सवाल पर उन्होंने कहा कि उनके घर के बड़े आंदोलनकारी रहे हैं, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. इससे उन्हें शक्ति मिलती है. उनका परिवार, दोस्त और खास रिश्तेदार सभी इस काम के लिए उन्हें मोटिवेट करते है और उन्हें अच्छा लगता है कि वे ईमानदारी के साथ देश का सेवा कर रहे हैं.