देहरादूनः आपने खेतों में उगाई जाने वाली सब्जियों का स्वाद तो चखा होगा, लेकिन आज हम आपको हाइड्रोपोनिक तकनीक से उगाई जाने वाली सब्जियों से रूबरू कराने जा रहे हैं. इस तकनीक के जरिए छोटी सी जगह में ही पानी की मदद से सब्जियों के साथ ही फूल और फल की पैदावार की जा सकती है. खेतों की बजाय हाइड्रोपोनिक खेती में सब्जियां जल्द तैयार हो जाती हैं. साथ ही बिना पेस्टिसाइड वाले सब्जियों का स्वाद भी ले सकते हैं. इन सब्जियों का स्वाद भी अन्य सब्जियों से अलग होता है.
डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. एके शाह ने Etv Bharat से बातचीत करते हुए बताया कि अमूमन पौधों को 12 एलिमेंट और न्यूट्रिएंट्स की जरूरत होती है. हाइड्रोपोनिक तकनीक के जरिए पौधों को कंट्रोल रूप से दिया जाता है. जिससे पौधे की ग्रोथ काफी तेजी से हाती है. उन्होंने बताया कि खेतों में फल और सब्जियां करीब 3 महीने में तैयार होती है, लेकिन हाइड्रोपोनिक खेती में 2 ही महीने में फल और सब्जियां तैयार हो जाती है.
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उन्होंने कहा कि पौधों को सपोर्ट देने के लिए क्ले बॉल्स और कोको पीट के साथ ही छोटे-छोटे पत्थरों का भी इस्तेमाल किया जाता है. जिससे पानी में पौधों को खड़े रहने का सपोर्ट मिलता है. पौधों को न्यूट्रिएंट्स पानी से मिलता है. जिससे इस खेती में मिट्टी की बिल्कुल जरूरत नहीं पड़ती है. इसके तहत छोटी सी जगह में ही प्लांट लगाया जा सकता है. इसमें 20 और 4 फीट की जगह में करीब 350 पौधे लगा सकते हैं. जिसमें हरी सब्जियों समेत तमाम हर्ब्स लगाए जा सकते है.
डॉ. शाह ने बताया कि हाइड्रोपोनिक तरीके से बेहतर खेती की जा सकती है. क्योंकि, यहां की जमीन पथरीली है और मिट्टी भी काफी कम उपजाऊ है. ऐसे क्षेत्रों में काफी कम जगह पर हाइड्रोपोनिक खेती कर सब्जियां उगा सकते हैं. साथ ही बताया कि उत्तराखंड का वातावरण ठंडा है. लिहाजा कई प्रकार की सब्जियां, हर्ब्स आदि काफी मात्रा में उगाई जा सकती हैं. ये खेती पूरे साल की जा सकती है.
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वहीं, आरके शाह ने बताया कि चार-पांच साल पहले घर की छत पर हाइड्रोपोनिक खेती का काम शुरू किया था. रिसर्च और मेहनत की बदौलत सब्जियों का अच्छा प्रोडक्शन हो रहा है. साथ ही बताया कि अब परिवार के कई सदस्य मिलकर घर की छत पर हाइड्रोपोनिक खेती कर रहे है. इसके साथ ही लोगों को हाइड्रोपोनिक खेती करने की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं. जिससे वो भी छोटी से जगह में हाइड्रोपोनिक खेती कर सकें.