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कैंसर पीड़िता को पति ने छोड़ा, मायके की आर्थिक स्थिति खराब, मां मांग रही बेटी की मौत

ऋषिकेश के छिद्दरवाला की एक महिला कैंसर से जूझ रही है. महिला के पति ने उसका साथ छोड़ दिया और उसे मायके पहुंचा दिया. मायके वालों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वे पीड़िता का इलाज करने में असमर्थन है और अपनी ही बेटी की भगवान से मौत मांग रहे हैं.

Cancer victim
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Published : Aug 15, 2021, 9:47 AM IST

ऋषिकेश: छिद्दरवाला निवासी एक महिला कैंसर से जूझ रही है. बीमारी के वजह से महिला के पति ने भी उसका साथ छोड़ दिया और उसे मायके भेज दिया. महिला के मायके वालों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. परिवार वालों के पास इलाज के पैसे नहीं है. ऐसे में पीड़िता की मां अपनी बेटी के लिए भगवान से मौत मांग रही है.

आपको बता दें कि, सरस्वती देवी का वर्ष 2016 में उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ में विवाह हुआ था. विवाह के तीन साल बाद पति को पता चला कि पत्नी के पेट में कैंसर है. इलाज के लिए आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने का हवाला देकर पीड़िता को उसके पति ने मायके छोड़ दिया. तबसे सरस्वती देवी इलाज के लिए उनपर ही निर्भर है.

सरस्वती के सिर से पिता का साया भी काफी पहले उठ चुका था. घर पर तीन भाई है. जिसमें एक लालतप्पड़ स्थित एक फैक्ट्री में मजदूरी का काम करके परिवार का भरण पोषण करता है. जबकि, दूसरा भाई कोविड-19 के दौर की वजह से बेरोजगार है. एक भाई छोटा है. ऐसी स्थिति में बेटी का इलाज कराना परिवार पर भारी पड़ रहा है.

डॉक्टरों ने भी जांच के बाद फिलहाल ऑपरेशन नहीं कराते हुए पीड़िता को कीमोथेरेपी कराने की सलाह दी है. वहीं, आयुष्मान कार्ड से पीड़िता एक प्राइवेट अस्पताल में कीमोथेरेपी करवा रही है.

पढ़ें: केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह करेंगे मुख्यमंत्री घसियारी कल्याण योजना का शुभारंभ

समूण फाउंडेशन के मैनेजर कमल जोशी के कहना है कि पीड़िता की मां सुषमा देवी अपनी बेटी की मौत मांग रही है. पीड़िता की मां का कहना है कि उनसे बेटी का की पीड़ा नहीं देखी जाती. ऐसे में समूण फाउंडेशन भी इस पीड़ित परिवार की मदद का बीड़ा उठाया है और 15 हजार रुपये की मदद भी की है. संस्था के मैनेजर कमल जोशी ने बताया कि जरुरत पड़ने पर उनके द्वारा और भी मदद की जाएगी.

ऋषिकेश: छिद्दरवाला निवासी एक महिला कैंसर से जूझ रही है. बीमारी के वजह से महिला के पति ने भी उसका साथ छोड़ दिया और उसे मायके भेज दिया. महिला के मायके वालों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. परिवार वालों के पास इलाज के पैसे नहीं है. ऐसे में पीड़िता की मां अपनी बेटी के लिए भगवान से मौत मांग रही है.

आपको बता दें कि, सरस्वती देवी का वर्ष 2016 में उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ में विवाह हुआ था. विवाह के तीन साल बाद पति को पता चला कि पत्नी के पेट में कैंसर है. इलाज के लिए आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने का हवाला देकर पीड़िता को उसके पति ने मायके छोड़ दिया. तबसे सरस्वती देवी इलाज के लिए उनपर ही निर्भर है.

सरस्वती के सिर से पिता का साया भी काफी पहले उठ चुका था. घर पर तीन भाई है. जिसमें एक लालतप्पड़ स्थित एक फैक्ट्री में मजदूरी का काम करके परिवार का भरण पोषण करता है. जबकि, दूसरा भाई कोविड-19 के दौर की वजह से बेरोजगार है. एक भाई छोटा है. ऐसी स्थिति में बेटी का इलाज कराना परिवार पर भारी पड़ रहा है.

डॉक्टरों ने भी जांच के बाद फिलहाल ऑपरेशन नहीं कराते हुए पीड़िता को कीमोथेरेपी कराने की सलाह दी है. वहीं, आयुष्मान कार्ड से पीड़िता एक प्राइवेट अस्पताल में कीमोथेरेपी करवा रही है.

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समूण फाउंडेशन के मैनेजर कमल जोशी के कहना है कि पीड़िता की मां सुषमा देवी अपनी बेटी की मौत मांग रही है. पीड़िता की मां का कहना है कि उनसे बेटी का की पीड़ा नहीं देखी जाती. ऐसे में समूण फाउंडेशन भी इस पीड़ित परिवार की मदद का बीड़ा उठाया है और 15 हजार रुपये की मदद भी की है. संस्था के मैनेजर कमल जोशी ने बताया कि जरुरत पड़ने पर उनके द्वारा और भी मदद की जाएगी.

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