ऋषिकेश: एनजीटी के आदेश के बाद नगर निगम द्वारा चंद्रभागा नदी किनारे की बस्तियों को खाली कराया गया था. लेकिन उन लोगों के लिए किसी भी तरह की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई थी. जिसको लेकर समाजसेवी अजय कुमार ने लोगों की दुर्दशा को देखते हुए मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी. जिसके बाद आयोग द्वारा जिलाधिकारी देहरादून को बस्ती में रहने वाले लोगों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने के आदेश दिए गये हैं.
बता दें कि बीते 7 अगस्त को नगर निगम द्वारा चंद्रभागा नदी के किनारे बसी बस्ती को जेसीबी द्वारा तोड़ दिया गया था. लेकिन यहां रहने वाले परिवारों के लिए प्रशासन ने किसी भी तरह की रहने, खाने या फिर स्वास्थ्य की कोई व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई थी. जिस कारण सड़क पर आ चुके ये लोग बीमार पड़ने लगे. वहीं बीमारी की वजह से एक बच्चे की मौत भी हो चुकी है.
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इसके बाद सामाजिक कार्यकर्ता अजय कुमार ने मानवाधिकार आयोग उत्तराखंड में अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए शिकायत की थी. जिसके बाद आयोग ने शिकायत को स्वीकार करते हुए जिलाधिकारी देहरादून को बस्ती में रहने वाले लोगों के लिए उचित सुविधा उपलब्ध कराने के आदेश जारी किए हैं. सामाजिक कार्यकर्ता व शिकायतकर्ता अजय कुमार ने बताया कि उन्होंने मानवाधिकार आयोग में शिकायत की थी कि इस पूरे प्रकरण में आर्टिकल 21 का उल्लंघन हुआ है.
क्या है आर्टिकल 21
संविधान का ये आर्टिकल देश के हर नागरिक को जीवन जीने की आजादी और व्यक्तिगत आजादी के संरक्षण की व्याख्या करता है. इसमें कहा गया है, 'किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अतिरिक्त उसके जीवन और शरीर की स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता'.