देहरादून: उत्तराखंड में कोयला, पेट्रोलियम और खनिज आदि की कमी होने के बावजूद जल के अपार भंडार हैं. ऐसे में प्रदेश के भीतर जल विद्युत की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं. दरअसल, नवीकरणीय ऊर्जा के सेक्टर में हाइड्रो पावर और सोलर पावर सेक्टर में बहुत सारे अवसर मौजूद हैं. राज्य के भीतर ऊर्जा सामर्थ्य करीब 20,000 मेगावाट है, जबकि इसमें से सिर्फ 4000 मेगावाट ही इस्तेमाल हुआ है. प्रदेश के भीतर करीब 16,000 मेगावाट हाइड्रोपावर पोटेंशियल की कैपेसिटी अभी भी मौजूद है.
उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के एमडी संदीप सिंघल के मुताबिक ऊर्जा के क्षेत्र में अभी भी बहुत सारे इन्वेस्टमेंट की संभावनाएं मौजूद हैं, जो कंपनी इन क्षेत्रों में इन्वेस्ट करना चाहती हैं, उनके लिए यहां हाइड्रो पावर और सोलर पावर के क्षेत्र में सुनहरे अवसर हैं.
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उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने भी हाइड्रोपावर के महत्व को ध्यान में रखते हुए काफी सारी इंसेंटिव भी दिए हुए हैं, क्योंकि सोलर पावर को हाइड्रो पावर सपोर्ट करता है. इसलिए हाइड्रो पावर की आवश्यकता बढ़ जाती है. बता दें कि उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड सौर ऊर्जा उन्नति और उत्तराखंड में जल विद्युत क्षमता की दिशा में काम कर रहा है.
हाइड्रो पावर और सोलर पावर सेक्टर में संभावनाओं को देखते हुए आगामी 28 अगस्त को देश के ऊर्जा मंत्री सभी प्रदेशों के साथ इस दिशा में मीटिंग कर रहे हैं. प्रदेश में इस समय उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड सालाना 5000 मिलियन यूनिट ऊर्जा उत्पादित कर रहा है. हालांकि निगम के पावर प्लांट काफी पुराने हो चुके हैं. इसके बावजूद विद्युत उत्पादन कर रहे इन प्लांटस को रिनोवेशन और मॉडर्नाइजेशन करके चलाया जा रहा है और विद्युत उत्पादन किया जा रहा है.