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टिकटों के लिए इस तरह नेताओं को परखती है BJP, विस. चुनाव के लिए अभी से एक्सरसाइज शुरू

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Published : Sep 17, 2021, 9:14 PM IST

Updated : Sep 17, 2021, 10:50 PM IST

BJP ही एक ऐसी पार्टी है जहां एक आम कार्यकर्ता बड़े-बड़े पदों पर पहुंचता है. मगर ऐसा करने के लिए भी कार्यकर्ता को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. बीजेपी संगठन बड़ी ही ठोक-पीट कर चुनावों में टिकटों को देने का काम करता है. ये काम पार्टी में अन्य पदों के लिए भी किया जाता है.

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टिकटों के लिए इस तरह नेताओं को परखती है BJP

देहरादून: उत्तराखंड में अब विधानसभा चुनाव 2022 नजदीक हैं. वहीं ये मौका उत्तराखंड की राजनीति में अपना भविष्य तलाश रहे उन तमाम राजनितिक लोगों के लिए भी बेहद संवेदनशील है जो मन में विधायक बनने का समना संजोये हुए हैं. इसके लिए नेताओं ने भागदौड़ भी शुरू कर दी है. यानी की टिकटों को लेकर नेताओं ने अपनी कोशिश तेज कर ही है. आइए जानते हैं कि एक आम कार्यकर्ता से विधायक बनने तक के सफर में कौन-कौन सी कठिन सीढ़ियां चढ़नी होती हैं.

उत्तराखंड में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी ने अपने केंद्रीय नेताओं को देहरादून भेजना शुरू कर दिया है. दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली से देहरादून पहुंचे केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी, सह प्रभारी आरपी सिंह और अन्य नेताओं ने न केवल 2 दिनों में एक दर्जन से ज्यादा बैठकों में मौजूदा विधायक, प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद और मंडल अध्यक्षों की बैठक ली, बल्कि संगठन से लेकर संघ तक चर्चा भी की. चर्चा 2022 में उत्तराखंड में बीजेपी की वापसी को लेकर की गई. इस बार भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड में नेताओं के टिकट देने से पहले वह हर पहलू जान लेना चाहती है जिसको लेकर जनता के मन में अभी भी संशय बना हुआ है, यानी विधानसभा में जो भी बीजेपी का प्रत्याशी होगा उसमें क्या क्वालिटी होगी, जनता क्यों उसे चुनेगी, उसका आचरण कैसा है इन सभी बातों पर संगठन और चुनाव प्रभारी बैठकों में जोर दे रहे हैं.

पढ़ें- 18 सितंबर से शुरू होगी चारधाम की यात्रा, CS की बैठक में हुआ निर्णय

साल 2017 में जिन विधायकों को जनता ने चुनकर विधानसभा भेजा था, अगर उनके रिपोर्ट कार्ड में कोई भी त्रुटि या कमी पाई जाती है तो वे इस बार चुनाव लड़ने का सपना त्याग दें. तमाम वरिष्ठ नेता और चुनाव प्रभारी ने अभी यह तो साफ नहीं किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में किसको टिकट मिलेगा, हां इतना जरूर है कि बीजेपी दफ्तर में 2 दिनों तक तमाम जिलों के उन नेताओं ने परेड जरूर की जो साल 2022 में बीजेपी से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

पढ़ें- CM धामी ने 'युवा संवाद कार्यक्रम' को किया संबोधित, बोले- रोजगार सरकार की प्राथमिकता

भाजपा में टिकटों के लिए कसरत शुरू: इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीजेपी संगठन जिस तरह से तमाम राज्यों में काम कर रहा है, उनकी टीमें संगठन से जुड़े लोग जिस तरह से अपने नेताओं का फीडबैक ना केवल जनता के बीच जाकर लेते हैं बल्कि जो फीडबैक आता है उसके आधार पर ही नेता, मंत्री, विधायक और मुख्यमंत्री का रिपोर्ट कार्ड बनाया जाता है. 2022 की जिम्मेदारी जहां प्रदेश में मदन कौशिक की है तो वहीं दिल्ली से चुनाव प्रभारी बनाए गए प्रह्लाद जोशी ने भी उत्तराखंड की पॉलिटिक्स को समझने के लिए 2 दिनों तक उत्तराखंड में डेरा डाल कर रखा है. जिससे साफ पता चलता है कि पार्टी 2022 के चुनावों में कोई भी गलती नहीं करना चाहती है. वह जानती है कि पहले से ही जनता के बीच में तीन मुख्यमंत्री बदलकर जहां उन्होंने अपने लिए ही कांटे बो दिए हैं वहीं विधायकों की आपसी लड़ाई भी यह बता रही है कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है. ऐसे में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में कैसे 57 से ज्यादा सीटें या फिर बीजेपी सरकार बनाएगी इसको लेकर भी मंथन शुरू हो गया है.

पढ़ें- CM धामी और चुनाव प्रभारी से मिलने का इंतजार करते रहे विधायक और मेयर

प्रह्लाद जोशी का आना तो मात्र एक छोटा सा उदाहरण है जबकि बताया जा रहा है कि अक्टूबर महीने में राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा जैसे तमाम बड़े नेता भी प्रदेश का दौरा करेंगे. बता दें इस वक्त 70 में 57 सीटों पर भाजपा के विधायक हैं. 2 और विधायक भाजपा में शामिल हो गये हैं. जिसके बाद उत्तराखंड में भाजपा की सीटों की संख्या 59 हो गई है.

पढ़ें- RP सिंह ने PM के लिए की अरदास, कहा- BJP सरकार में सिखों को मिला सम्मान

इन मानकों पर मिलेगा टिकट: भाजपा में टिकटों के लिए उधेड़बुन भी अभी से शुरु हो चुकी है. चुनाव प्रभारी पिछले दो दिन से लगातार उत्तराखंड की नब्ज टटोल रहे हैं. पार्टी में क्या चल रहा है? क्या चलना चाहिए और किस चीज की संगठन में अभी दरकार है, ये सब लिस्टअप करके चुनाव प्रभारी जोशी दिल्ली जाएंगे. जहां आगामी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों को लेकर मंथन शुरू हो जाएगा. वहीं, अगर एक भाजपा के आम कार्यकर्ता से प्रत्याशी की दौड़ में शामिल होकर पार्टी के मापदंडों पर खरे उतरने और फिर चुनाव जीतकर पार्टी के साथ-साथ समाज सेवा करने का सफर कितना कठिन होता है इसे लेकर हमने भाजपा के वरिष्ट विधायक और मंत्री रह चुके खजान दास से बात की.

पढ़ें- RP की नजर में 'झूठी' है AAP, राजनीतिक जमीन तलाशने आई है उत्तराखंड

जिसमें उन्होंने बताया कि भाजपा एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसमें पार्टी खुद कार्यकर्ता के निस्वार्थ भाव को देखती है. यहां कार्यकर्ता के काम को देखा जाता है. वह समाज के प्रति किस तरह से अपनी आस्था और सक्रियता रखता है पार्टी सभी चीजों में फीडबैक लेकर प्रत्याशी का चयन करती है.

पढ़ें- मां नंदा-सुनंदा देवी महोत्सव में पंच आरती का है विशेष महत्व, जानिए कैसे

भाजपा में सिफारिश पंहुच से टिकट मिलेगा यह अगर कोई सोचता है तो वह खुद का समय बर्बाद करता है. पार्टी सबका खयाल रखती है, सबके बारे में बेहतर समय आने पर बेहतर निर्णय करती है. बात जहां तक टिकट की भागदौड़ को लेकर है तो यह बात सच है कि दावेदार को अपना प्रोफाइल बेहतर बनाना होता है. उसका बायोटाडा पार्टी फोरम के पैरामीटर से मैच होना चाहिए, तभी वह अगले राउंड में भाग ले पाएगा. यहीं, नही पार्टी कार्यकर्ता के समर्पण को भी गहनता से मॉनिटर करती है. अगर पार्टी के किसी फैसले की खिलाफत कोई करता है तो पार्टी उसे भी नोटिस करती है. अगर पार्टी के फैसले से कोई समर्पण करता है तो पार्टी उसे भी नोटिस करती है. निश्चित तौर पर उसका लाभ एक ईमानदार औस सर्मिपत कार्यकर्ता को समय आने पर जरुर मिलता है.

पढ़ें- RP की नजर में 'झूठी' है AAP, राजनीतिक जमीन तलाशने आई है उत्तराखंड

अपने दो दिवसीय दौरे पर आये चुनाव प्रभारी से जब पूछा गया कि टिकटों के आवंटन को लेकर क्या प्रकिया शुरु हुई है, पार्टी इस टास्क को लेकर कितना काम कर चुकी है. जिसके जवाब में उन्होने साफ कहा कि पार्टी अपना काम कर रही है. यह पार्टी की चुनावी रणनीति का हिस्सा है . रणनीति को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया जाता है.

पढ़ें- 18 सितंबर से शुरू होगी चारधाम की यात्रा, CS की बैठक में हुआ निर्णय

संघ क्या सोचता है: उत्तराखडं में भाजपा सबसे बड़ा संगठन है. राज्य बनने के बाद से अब तक उत्तराखंड में भाजपा ने ऐतिहासिक प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई है. भाजपा की इस जीत के पीछे सबसे बड़ा हाथ जमीनी स्तर पर बहुत सधे और सटीक तरीके से काम करने वाली आरएसएस का माना जाता है. आरएसएस लगतार पर्दे के पीछे रहकर समाज के निर्माण के साथ-साथ राज्य और देश में एक स्वस्थ्य और उन्नतशील राजनैतिक माहौैल बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत रहती है.

पढ़ें- बड़ी खबर: चारधाम यात्रा को हाईकोर्ट की हरी झंडी, कोविड प्रोटोकॉल का रखना होगा पूरा ध्यान

बात चाहे सरकार के काम को लेकर जमीनी स्तर से फीडबैक लेने की हो या फिर चुनावों में प्रत्याशी चयन की आरएसएस का सुझाव भाजपा में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. उत्तराखंड में आरएसएस के सह प्रांत प्रचार प्रमुख संजय बताते हैं कि आसएसएस लगतार समाज निर्माण के साथ-साथ समाज में जनप्रतिनिधियों के योगदान पर भी नजर रखती है. संजय बताते हैं कि एक जनप्रतिनिधि के लेकर आरएसएस के विचार बिल्कुल स्पष्ट है. वह जनता से जुड़ा हो और जनता का दर्द समझता हो ये एक जनप्रतिनिधि की खासियत है.

विधायक के लिए प्रत्याशी चयन के मापदंड

  • क्षेत्र में लोकप्रियता, पकड़, छवि
  • क्षेत्र में सामाजिक, राजनीतिक कार्य का इतिहास
  • चरित्र, लोक व्यवहार
  • आर्थिक भ्रष्टाचार
  • राज्य सरकार की योजनाओं को क्षेत्र में लागू करवाने में योगदान
  • केंद्र सरकार की योजनाओं को क्षेत्र में लागू करवाने में योगदान
  • पूरे क्षेत्र में निरंतर उपस्थिति, लोगों की समस्याओं का निदान कराना
  • विधायक निधि, जिला प्लान, सांसद निधि, मुख्यमंत्री घोषणा आदि द्वारा क्षेत्र की प्राथमिकताओं को पूरा कराना
  • सोशल मीडिया में सकारात्मक एवं प्रभावी उपस्थिति
  • सदैव अपने प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री आदि वरिष्ट नेताओं का सम्मान करना
  • पार्टी की राति-नीति का अनुसरण, समर्थन करना
  • सबसे बढ़कर पार्टी की संस्कृति, परंपरा, नीतियों, कार्यकर्ताओं का सम्मान करना

देहरादून: उत्तराखंड में अब विधानसभा चुनाव 2022 नजदीक हैं. वहीं ये मौका उत्तराखंड की राजनीति में अपना भविष्य तलाश रहे उन तमाम राजनितिक लोगों के लिए भी बेहद संवेदनशील है जो मन में विधायक बनने का समना संजोये हुए हैं. इसके लिए नेताओं ने भागदौड़ भी शुरू कर दी है. यानी की टिकटों को लेकर नेताओं ने अपनी कोशिश तेज कर ही है. आइए जानते हैं कि एक आम कार्यकर्ता से विधायक बनने तक के सफर में कौन-कौन सी कठिन सीढ़ियां चढ़नी होती हैं.

उत्तराखंड में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी ने अपने केंद्रीय नेताओं को देहरादून भेजना शुरू कर दिया है. दो दिवसीय दौरे पर दिल्ली से देहरादून पहुंचे केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी, सह प्रभारी आरपी सिंह और अन्य नेताओं ने न केवल 2 दिनों में एक दर्जन से ज्यादा बैठकों में मौजूदा विधायक, प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, सांसद और मंडल अध्यक्षों की बैठक ली, बल्कि संगठन से लेकर संघ तक चर्चा भी की. चर्चा 2022 में उत्तराखंड में बीजेपी की वापसी को लेकर की गई. इस बार भारतीय जनता पार्टी उत्तराखंड में नेताओं के टिकट देने से पहले वह हर पहलू जान लेना चाहती है जिसको लेकर जनता के मन में अभी भी संशय बना हुआ है, यानी विधानसभा में जो भी बीजेपी का प्रत्याशी होगा उसमें क्या क्वालिटी होगी, जनता क्यों उसे चुनेगी, उसका आचरण कैसा है इन सभी बातों पर संगठन और चुनाव प्रभारी बैठकों में जोर दे रहे हैं.

पढ़ें- 18 सितंबर से शुरू होगी चारधाम की यात्रा, CS की बैठक में हुआ निर्णय

साल 2017 में जिन विधायकों को जनता ने चुनकर विधानसभा भेजा था, अगर उनके रिपोर्ट कार्ड में कोई भी त्रुटि या कमी पाई जाती है तो वे इस बार चुनाव लड़ने का सपना त्याग दें. तमाम वरिष्ठ नेता और चुनाव प्रभारी ने अभी यह तो साफ नहीं किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में किसको टिकट मिलेगा, हां इतना जरूर है कि बीजेपी दफ्तर में 2 दिनों तक तमाम जिलों के उन नेताओं ने परेड जरूर की जो साल 2022 में बीजेपी से टिकट की उम्मीद लगाए बैठे हैं.

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भाजपा में टिकटों के लिए कसरत शुरू: इसमें कोई दो राय नहीं है कि बीजेपी संगठन जिस तरह से तमाम राज्यों में काम कर रहा है, उनकी टीमें संगठन से जुड़े लोग जिस तरह से अपने नेताओं का फीडबैक ना केवल जनता के बीच जाकर लेते हैं बल्कि जो फीडबैक आता है उसके आधार पर ही नेता, मंत्री, विधायक और मुख्यमंत्री का रिपोर्ट कार्ड बनाया जाता है. 2022 की जिम्मेदारी जहां प्रदेश में मदन कौशिक की है तो वहीं दिल्ली से चुनाव प्रभारी बनाए गए प्रह्लाद जोशी ने भी उत्तराखंड की पॉलिटिक्स को समझने के लिए 2 दिनों तक उत्तराखंड में डेरा डाल कर रखा है. जिससे साफ पता चलता है कि पार्टी 2022 के चुनावों में कोई भी गलती नहीं करना चाहती है. वह जानती है कि पहले से ही जनता के बीच में तीन मुख्यमंत्री बदलकर जहां उन्होंने अपने लिए ही कांटे बो दिए हैं वहीं विधायकों की आपसी लड़ाई भी यह बता रही है कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है. ऐसे में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में कैसे 57 से ज्यादा सीटें या फिर बीजेपी सरकार बनाएगी इसको लेकर भी मंथन शुरू हो गया है.

पढ़ें- CM धामी और चुनाव प्रभारी से मिलने का इंतजार करते रहे विधायक और मेयर

प्रह्लाद जोशी का आना तो मात्र एक छोटा सा उदाहरण है जबकि बताया जा रहा है कि अक्टूबर महीने में राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा जैसे तमाम बड़े नेता भी प्रदेश का दौरा करेंगे. बता दें इस वक्त 70 में 57 सीटों पर भाजपा के विधायक हैं. 2 और विधायक भाजपा में शामिल हो गये हैं. जिसके बाद उत्तराखंड में भाजपा की सीटों की संख्या 59 हो गई है.

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इन मानकों पर मिलेगा टिकट: भाजपा में टिकटों के लिए उधेड़बुन भी अभी से शुरु हो चुकी है. चुनाव प्रभारी पिछले दो दिन से लगातार उत्तराखंड की नब्ज टटोल रहे हैं. पार्टी में क्या चल रहा है? क्या चलना चाहिए और किस चीज की संगठन में अभी दरकार है, ये सब लिस्टअप करके चुनाव प्रभारी जोशी दिल्ली जाएंगे. जहां आगामी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों को लेकर मंथन शुरू हो जाएगा. वहीं, अगर एक भाजपा के आम कार्यकर्ता से प्रत्याशी की दौड़ में शामिल होकर पार्टी के मापदंडों पर खरे उतरने और फिर चुनाव जीतकर पार्टी के साथ-साथ समाज सेवा करने का सफर कितना कठिन होता है इसे लेकर हमने भाजपा के वरिष्ट विधायक और मंत्री रह चुके खजान दास से बात की.

पढ़ें- RP की नजर में 'झूठी' है AAP, राजनीतिक जमीन तलाशने आई है उत्तराखंड

जिसमें उन्होंने बताया कि भाजपा एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसमें पार्टी खुद कार्यकर्ता के निस्वार्थ भाव को देखती है. यहां कार्यकर्ता के काम को देखा जाता है. वह समाज के प्रति किस तरह से अपनी आस्था और सक्रियता रखता है पार्टी सभी चीजों में फीडबैक लेकर प्रत्याशी का चयन करती है.

पढ़ें- मां नंदा-सुनंदा देवी महोत्सव में पंच आरती का है विशेष महत्व, जानिए कैसे

भाजपा में सिफारिश पंहुच से टिकट मिलेगा यह अगर कोई सोचता है तो वह खुद का समय बर्बाद करता है. पार्टी सबका खयाल रखती है, सबके बारे में बेहतर समय आने पर बेहतर निर्णय करती है. बात जहां तक टिकट की भागदौड़ को लेकर है तो यह बात सच है कि दावेदार को अपना प्रोफाइल बेहतर बनाना होता है. उसका बायोटाडा पार्टी फोरम के पैरामीटर से मैच होना चाहिए, तभी वह अगले राउंड में भाग ले पाएगा. यहीं, नही पार्टी कार्यकर्ता के समर्पण को भी गहनता से मॉनिटर करती है. अगर पार्टी के किसी फैसले की खिलाफत कोई करता है तो पार्टी उसे भी नोटिस करती है. अगर पार्टी के फैसले से कोई समर्पण करता है तो पार्टी उसे भी नोटिस करती है. निश्चित तौर पर उसका लाभ एक ईमानदार औस सर्मिपत कार्यकर्ता को समय आने पर जरुर मिलता है.

पढ़ें- RP की नजर में 'झूठी' है AAP, राजनीतिक जमीन तलाशने आई है उत्तराखंड

अपने दो दिवसीय दौरे पर आये चुनाव प्रभारी से जब पूछा गया कि टिकटों के आवंटन को लेकर क्या प्रकिया शुरु हुई है, पार्टी इस टास्क को लेकर कितना काम कर चुकी है. जिसके जवाब में उन्होने साफ कहा कि पार्टी अपना काम कर रही है. यह पार्टी की चुनावी रणनीति का हिस्सा है . रणनीति को कभी भी सार्वजनिक नहीं किया जाता है.

पढ़ें- 18 सितंबर से शुरू होगी चारधाम की यात्रा, CS की बैठक में हुआ निर्णय

संघ क्या सोचता है: उत्तराखडं में भाजपा सबसे बड़ा संगठन है. राज्य बनने के बाद से अब तक उत्तराखंड में भाजपा ने ऐतिहासिक प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई है. भाजपा की इस जीत के पीछे सबसे बड़ा हाथ जमीनी स्तर पर बहुत सधे और सटीक तरीके से काम करने वाली आरएसएस का माना जाता है. आरएसएस लगतार पर्दे के पीछे रहकर समाज के निर्माण के साथ-साथ राज्य और देश में एक स्वस्थ्य और उन्नतशील राजनैतिक माहौैल बनाने की दिशा में लगातार प्रयासरत रहती है.

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बात चाहे सरकार के काम को लेकर जमीनी स्तर से फीडबैक लेने की हो या फिर चुनावों में प्रत्याशी चयन की आरएसएस का सुझाव भाजपा में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. उत्तराखंड में आरएसएस के सह प्रांत प्रचार प्रमुख संजय बताते हैं कि आसएसएस लगतार समाज निर्माण के साथ-साथ समाज में जनप्रतिनिधियों के योगदान पर भी नजर रखती है. संजय बताते हैं कि एक जनप्रतिनिधि के लेकर आरएसएस के विचार बिल्कुल स्पष्ट है. वह जनता से जुड़ा हो और जनता का दर्द समझता हो ये एक जनप्रतिनिधि की खासियत है.

विधायक के लिए प्रत्याशी चयन के मापदंड

  • क्षेत्र में लोकप्रियता, पकड़, छवि
  • क्षेत्र में सामाजिक, राजनीतिक कार्य का इतिहास
  • चरित्र, लोक व्यवहार
  • आर्थिक भ्रष्टाचार
  • राज्य सरकार की योजनाओं को क्षेत्र में लागू करवाने में योगदान
  • केंद्र सरकार की योजनाओं को क्षेत्र में लागू करवाने में योगदान
  • पूरे क्षेत्र में निरंतर उपस्थिति, लोगों की समस्याओं का निदान कराना
  • विधायक निधि, जिला प्लान, सांसद निधि, मुख्यमंत्री घोषणा आदि द्वारा क्षेत्र की प्राथमिकताओं को पूरा कराना
  • सोशल मीडिया में सकारात्मक एवं प्रभावी उपस्थिति
  • सदैव अपने प्रदेश अध्यक्ष, मुख्यमंत्री आदि वरिष्ट नेताओं का सम्मान करना
  • पार्टी की राति-नीति का अनुसरण, समर्थन करना
  • सबसे बढ़कर पार्टी की संस्कृति, परंपरा, नीतियों, कार्यकर्ताओं का सम्मान करना
Last Updated : Sep 17, 2021, 10:50 PM IST
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