देहरादून: कांवड़ यात्रा के संचालन के लिए उत्तराखंड सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है लेकिन उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा संचालित करने का फैसला ले लिया है. ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि कोरोना के मौजूदा हालातों के बीच उत्तराखंड सरकार भी कावड़ यात्रा खोलेगी या नहीं. इसको लेकर धामी सरकार ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. हालांकि, कांवड़ यात्रा को लेकर राजनीतिक दलों की ओर से अपने-अपने तर्क जरूर रखे जा रहे हैं.
शिव भक्तों के लिए कांवड़ यात्रा वो महत्वपूर्ण समय होता है, जब शिवभक्त कांवड़िए के रूप में गोमुख गंगोत्री या हरिद्वार से मां गंगा के दर्शन कर गंगाजल को लेकर अपने क्षेत्रों में जाते हैं और वहां पर भोले का महाअभिषेक करते हैं. यह यात्रा यूं तो हर साल सावन के महीने में की जाती है लेकिन कोरोना का असर पिछले सालों में इस यात्रा पर भी पड़ा है. ऐसे में अब जुलाई-अगस्त के आसपास होने वाली इस यात्रा का इस साल क्या स्वरूप रहेगा इस पर सवाल उठने लगे हैं.
यह सवाल इसलिए भी है क्योंकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बार कांवड़ यात्रा को चलाए जाने का फैसला ले लिया है. ऐसे में उत्तराखंड इस फैसले से कितना सहमत हैं. यह एक बड़ा सवाल है. हालांकि उत्तराखंड सरकार की तरफ से अब तक इस पर कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है लेकिन सत्ताधारी दल बीजेपी के नेता यह मानते हैं कि इस बार कांवड़ यात्रा को शुरू किया जाना चाहिए.
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बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता विनय गोयल कहते हैं कि जिस तरह से उत्तराखंड में कॉविड को लेकर बेहतर प्रबंधन हुआ है और कोरोना के मामले कम हुए हैं. इस लिहाज से राज्य में कांवड़ यात्रा को चलाया जाना चाहिए.
सरकार अभी इस पर कुछ विचार नहीं कर पाई है. माना जा रहा है कि कांवड़ यात्रा से ठीक पहले के कोरोना के हालातों के आधार पर ही सरकार फैसला लेगी. यूपी के सीएम की तरफ से कांवड़ यात्रा को चलाने की सहमति के बाद उत्तराखंड पर भी इसका बड़ा दबाव है. विपक्ष के नेता भी इस यात्रा को लेकर फिलहाल कुछ ज्यादा कहने से बच रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा है कि यह प्रश्न उस समय के आंकलन का है, जब यह यात्रा शुरू होने वाली होगी. उस दौरान सरकार को उस समय के हालातों के अनुसार ही निर्णय लेना चाहिए.