देहरादून: प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर सीबीआई ने शिकंजा कस लिया है. अपने कार्यकाल में विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में हरीश रावत पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है. हरीश रावत का विवादों से चोली-दामन का साथ रहा है. राजनीति में लंबी दूरी तय कर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हरीश रावत प्रदेश में इस वक्त हाशिए पर हैं. 2017 विधानसभा चुनाव और 2019 लोकसभा चुनाव में हार झेलने के बाद प्रदेश कांग्रेस के दिग्गजों ने उनसे किनारा कर लिया था. अब सीबीआई ने उन पर प्रहार किया है. इस तरह ऐसे में मामले में फंसे हरीश रावत प्रदेश के पहले पूर्व मुख्यमंत्री बन गए हैं.
हरीश रावत प्रदेश के ऐसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिनके खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया है. ये मामला उस वक्त का है जब साल 2016 में मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत की सरकार पर विधानसभा में बहुमत का संकट आ गया था. ऐसे में राज्य की राजनीति में तो भूचाल तो था ही, साथ ही साथ हरीश रावत को ये समझ में नहीं आ रहा था कि वो अपनी सरकार को कैसे बचाएं? क्योंकि सरकार का साथ दे रहे विधायक एक झटके में ही टूट कर विपक्षी खेमे बीजेपी के पाले में चले गए थे. ऐसे में चौरतरफा घिरे हरीश रावत का एक स्टिंग उसी दौरान सामने आया. इस स्टिंग में ऐसा दिखाया गया कि हरीश रावत विधायकों की खरीद-फरोख्त कर रहे हैं, यानी अपनी सरकार को बचाने के लिए पैसों का लालच दे रहे हैं.
उस वक्त सरकार के पास विधायक पूरे नहीं थे, लिहाजा सरकार फौरन अल्पमत में आ गई. हरीश रावत के रहते हुए ही राज्य ने पहली बार राष्ट्रपति शासन भी देखा.
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हालांकि बाद में हरीश रावत फ्लोर टेस्ट में पास भी हो गए. लेकिन स्टिंग के अचानक आ जाने से विपक्षी दल और कांग्रेस पार्टी के बागियों ने हरीश रावत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. उस वक्त बीजेपी ने सीबीआई जांच की मांग की थी. 31 मार्च 2016 में ही राज्यपाल की संस्तुति पर हरीश रावत के खिलाफ सीबीआई ने जांच शुरू कर दी. मामले की जांच के बाद सीबीआई ने बीते महीने ही कोर्ट में हरीश रावत के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए अनुमति मांगी और सीबीआई को दिशा निर्देश देते हुए मामला दर्ज करने के आदेश भी दिए.