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चुक्खूवाला हादसा: काश! पहले नींद से जाग जाता प्रशासन, बच जाती 4 जिंदगियां

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Published : Jul 15, 2020, 1:43 PM IST

Updated : Jul 15, 2020, 3:04 PM IST

प्रदेश के कई क्षेत्रों में हो रही लगातार मूसलाधार बारिश के चलते न सिर्फ उत्तराखंड के पहाड़ दरकने शुरू हो गए हैं, बल्कि मैदानी क्षेत्र के लोगों को भी अब इसका दंश झेलना पड़ रहा है. वहीं जर्जर मकानों के ढहने का खतरा बढ़ गया है.

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मकान ढहने से 4 की मौत.

देहरादून: उत्तराखंड में बारिश ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. भारी बारिश ने जहां एक ओर लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है वहीं दूसरी ओर चुक्खूवाला की घटना से लोग दहशत में हैं. प्रदेश में सबसे ज्यादा जान माल का नुकसान मॉनसून सीजन में ही होता है. प्रदेश के कई जिले आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील हैं, जहां बारिश लोगों का इंतहान लेती है.

काश नींद से पहले जाग जाता प्रशासन.

पढ़ें- भूख के आगे बेबस जिंदगी : कूड़ेदान में पड़ा दूषित भोजन खाने को मजबूर हुआ इंसान

प्रदेश के कई क्षेत्रों में हो रही लगातार मूसलाधार बारिश के चलते न सिर्फ उत्तराखंड के पहाड़ दरकने शुरू हो गए हैं, बल्कि मैदानी क्षेत्र के लोगों को भी अब इसका दंश झेलना पड़ रहा है. वहीं जर्जर मकानों के ढहने का खतरा बढ़ गया है. वहीं चुक्खूवाला की घटना ने शासन-प्रशासन को नींद से जगा दिया है. जहां चार लोगों की मौत से प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. देहरादून के चुक्खूवाला में मकान ढहने से चार लोगो की मौत हो गई है, जबकि दो घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया है.

Dehradun News
देहरादून चुक्खूवाला हादसा.

गौरतलब है कि स्थानीय निवासियों ने पहले ही पुश्ते के टूटने के खतरे को लेकर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा था. लेकिन उस दौरान कोई कार्रवाई न होने के चलते, एक बड़ा हादसा हो गया. जिसमें 4 लोगों की जान चली गयी है. वहीं, चुक्खूवाला में मकान ढहने से हुई मौत की घटना ने पूरे क्षेत्र के लोगों की नींद उड़ा दी है. वहीं लोग घटना से काफी डरे हुए हैं. प्रदेश के कई जिले आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील हैं. हर साल बरसात में इस क्षेत्र में आपदा में जानमाल का नुकसान होता है, लेकिन सरकारी तंत्र आपदा प्रभावित क्षेत्रों की उपेक्षा कर रहा है.

प्रशासन ने नहीं ली सुध

वहीं चुक्खूवाला के स्थानीय लोगों ने बताया कि पुश्ता ढहने की आशंका को लेकर वह पहले ही जिलाधिकारी को पत्र भेज चुके थे. लेकिन जिला प्रशासन ने इसे लेकर कोई कार्रवाई नहीं की, जिसका नतीजा यह हुआ कि पुश्ता ढह गया. लोगों का कहना है कि क्षेत्र में करीब 25 घर अभी भी खतरे की जद में हैं, ऐसे में अब शासन-प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो.

देहरादून: उत्तराखंड में बारिश ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. भारी बारिश ने जहां एक ओर लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है वहीं दूसरी ओर चुक्खूवाला की घटना से लोग दहशत में हैं. प्रदेश में सबसे ज्यादा जान माल का नुकसान मॉनसून सीजन में ही होता है. प्रदेश के कई जिले आपदा की दृष्टि से अति संवेदनशील हैं, जहां बारिश लोगों का इंतहान लेती है.

काश नींद से पहले जाग जाता प्रशासन.

पढ़ें- भूख के आगे बेबस जिंदगी : कूड़ेदान में पड़ा दूषित भोजन खाने को मजबूर हुआ इंसान

प्रदेश के कई क्षेत्रों में हो रही लगातार मूसलाधार बारिश के चलते न सिर्फ उत्तराखंड के पहाड़ दरकने शुरू हो गए हैं, बल्कि मैदानी क्षेत्र के लोगों को भी अब इसका दंश झेलना पड़ रहा है. वहीं जर्जर मकानों के ढहने का खतरा बढ़ गया है. वहीं चुक्खूवाला की घटना ने शासन-प्रशासन को नींद से जगा दिया है. जहां चार लोगों की मौत से प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. देहरादून के चुक्खूवाला में मकान ढहने से चार लोगो की मौत हो गई है, जबकि दो घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती किया गया है.

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देहरादून चुक्खूवाला हादसा.

गौरतलब है कि स्थानीय निवासियों ने पहले ही पुश्ते के टूटने के खतरे को लेकर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा था. लेकिन उस दौरान कोई कार्रवाई न होने के चलते, एक बड़ा हादसा हो गया. जिसमें 4 लोगों की जान चली गयी है. वहीं, चुक्खूवाला में मकान ढहने से हुई मौत की घटना ने पूरे क्षेत्र के लोगों की नींद उड़ा दी है. वहीं लोग घटना से काफी डरे हुए हैं. प्रदेश के कई जिले आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील हैं. हर साल बरसात में इस क्षेत्र में आपदा में जानमाल का नुकसान होता है, लेकिन सरकारी तंत्र आपदा प्रभावित क्षेत्रों की उपेक्षा कर रहा है.

प्रशासन ने नहीं ली सुध

वहीं चुक्खूवाला के स्थानीय लोगों ने बताया कि पुश्ता ढहने की आशंका को लेकर वह पहले ही जिलाधिकारी को पत्र भेज चुके थे. लेकिन जिला प्रशासन ने इसे लेकर कोई कार्रवाई नहीं की, जिसका नतीजा यह हुआ कि पुश्ता ढह गया. लोगों का कहना है कि क्षेत्र में करीब 25 घर अभी भी खतरे की जद में हैं, ऐसे में अब शासन-प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए ताकि ऐसी घटना दोबारा न हो.

Last Updated : Jul 15, 2020, 3:04 PM IST
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