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सालगिरह: धोनी-साक्षी की शादी में 'रानी' ने निभाया था खास रोल

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Published : May 26, 2020, 6:38 PM IST

Updated : Jul 4, 2020, 1:55 PM IST

रानी उसी घोड़ी का नाम है जिस पर बैठकर धोनी बैंड, बाजा और बारात के साथ धूमधाम से अपनी सजनी को लेने पहुंचे थे. मगर अब उसी रानी का जीवन थम सा गया है. लॉकडाउन के कारण रानी को काम नहीं मिल रहा. ये ही हाल काजल, बॉबी, मालती और माधुरी का भी है, जो शादी के सीजन में भी अस्तबल में सोये हैं.

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धोनी की 'रानी' को है 'राजकुमारों' का इंतजार

देहरादून: आज (4 जुलाई) भारतीय टीम के पूर्व महेंद्र सिंह धोनी और साक्षी सिंह रावत की शादी की सालगिरह है. सोशल मीडिया पर पोस्ट कर फैन्स उनको बधाई दे रहे हैं. लेकिन आज हम आपको इन दोनों की शादी से जुड़ी एक ऐसे 'रानी' से रूबरू कराने जा रहे हैं. जो इनके शादी के पलों की खास गवाह रही है.

धोनी की 'रानी' को है 'राजकुमारों' का इंतजार

गौर हो कि महेंद्र सिंह धोनी का गांव ल्वाली अल्मोड़ा की जैंती तहसील में स्थित है. ग्रामीण बताते हैं कि साल 2004 में महेंद्र सिंह धोनी आखिरी बार अपने गांव आए थे. धोनी के पिता पान सिंह ने भी करीब 40 साल पहले अपने गांव को छोड़कर रोजगार के लिए रांची चले गए. जिसके बाद से उनका परिवार वहीं रहता है. वहीं महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी साक्षी रावत भी देहरादून की रहने वाली हैं.

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4 जुलाई 2010 को शादी के बंधन में बंधे धोनी-साक्षी

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के जीवन के सबसे अहम पड़ाव में अहम किरदार निभाने वाली 'रानी' इन दिनों परेशान है. रानी ही नहीं, माधुरी, बॉबी और काजल भी यही हाल है. कोरोना काल के हर बीतते दिन के साथ धोनी की 'रानी' के 'राजकुमारों' का इंतजार बढ़ता ही जा रहा है. जिसके कारण 'रानी' को आराम फरमाना पड़ रहा है. दरअसल, महेंद्र सिंह धोनी की ये रानी कोई और नहीं बल्कि एक घोड़ी है, जिस पर चढ़कर धोनी साक्षी को ब्याहने चल दिये थे.

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धोनी और साक्षी का है देहरादून से नाता

रानी उसी घोड़ी का नाम है जिस पर बैठकर धोनी बैंड, बाजा और बारात के साथ धूमधाम अपनी सजनी के घर पहुंचे थे. मगर अब उसी रानी का जीवन थम सा गया है. कोरोनाकाल के कारण रानी को काम नहीं मिल रहा. ये ही हाल काजल, बॉबी, मालती और माधुरी का भी है, जो शादी के सीजन में भी अस्तबल में सोये हैं. कोरोना काल के कारण घोड़ा-बग्गी का काम पूरी तरह बंद हो गया है, जिससे इन्हें चारदीवारी तक ही सिमटकर रहना पड़ रहा है. हालात ये हैं कि घोड़ा-बग्गी संचालकों को ब्याज पर उधार लेकर रानी,माधुरी, बॉबी और काजल को पालना पड़ रहा है.

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महेंद्र सिंह धोनी और साक्षी.

पढ़ें- लॉकडाउन: घोड़ा-बग्घी संचालकों के 500 परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट

लॉकडाउन के कारण घोड़ा-बग्गी का काम पूरी तरह बंद हो गया है, जिससे इन्हें चारदीवारी के अंदर ही रहना पड़ रहा है, लॉकडाउन की मार से न केवल रानी बल्कि घोड़ा-बग्गी संचालकों को भी खासा नुकसान हुआ है. रानी के साथ ही इन संचालकों को भी लॉकडाउन खुलने का इंतजार है, जिससे बैंड बाजा बारात के साथ वो भी किसी रानी के राजकुमार को उसकी मंजिल तक पहुंचा सके.

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धोनी की 'रानी'.

बता दें भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने 4 जुलाई 2010 को देहरादून की रहने वाली साक्षी रावत से शादी की थी. इस समय कई धोनी की सवारी के लिए कई घोड़ियों को देखा गया था. जिसमें आखिर में रानी पर ही धोनी का दिल आया.

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रानी.

पढ़ें- यहां डोली नहीं घोड़ी पर ससुराल जाती है दुल्हन, परंपरा के पीछे है अनोखी कहानी

धोनी और साक्षी एक-दूसरे को बचपन से ही जानते थे. धोनी और साक्षी के पिता रांची में एक ही कंपनी में काम करते थे. दोनों परिवार को बीच आना जाना लगा रहता था. ये दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते भी थे. कुछ समय बाद में साक्षी का परिवार देहरादून शिफ्ट हो गया, जहां उनके दादा पहले से रहते थे.

इसके बाद कई सालों तक दोनों की मुलाकात नहीं हुई और न ही उनके बीच किसी तरह का कोई कॉन्टेक्ट था. मार्च 2008 में दोनों ने एक-दूसरे को डेट करना शुरू किया. 3 जुलाई 2010 को देहरादून के एक होटल में दोनों ने सगाई की.

देहरादून: आज (4 जुलाई) भारतीय टीम के पूर्व महेंद्र सिंह धोनी और साक्षी सिंह रावत की शादी की सालगिरह है. सोशल मीडिया पर पोस्ट कर फैन्स उनको बधाई दे रहे हैं. लेकिन आज हम आपको इन दोनों की शादी से जुड़ी एक ऐसे 'रानी' से रूबरू कराने जा रहे हैं. जो इनके शादी के पलों की खास गवाह रही है.

धोनी की 'रानी' को है 'राजकुमारों' का इंतजार

गौर हो कि महेंद्र सिंह धोनी का गांव ल्वाली अल्मोड़ा की जैंती तहसील में स्थित है. ग्रामीण बताते हैं कि साल 2004 में महेंद्र सिंह धोनी आखिरी बार अपने गांव आए थे. धोनी के पिता पान सिंह ने भी करीब 40 साल पहले अपने गांव को छोड़कर रोजगार के लिए रांची चले गए. जिसके बाद से उनका परिवार वहीं रहता है. वहीं महेंद्र सिंह धोनी की पत्नी साक्षी रावत भी देहरादून की रहने वाली हैं.

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4 जुलाई 2010 को शादी के बंधन में बंधे धोनी-साक्षी

भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के जीवन के सबसे अहम पड़ाव में अहम किरदार निभाने वाली 'रानी' इन दिनों परेशान है. रानी ही नहीं, माधुरी, बॉबी और काजल भी यही हाल है. कोरोना काल के हर बीतते दिन के साथ धोनी की 'रानी' के 'राजकुमारों' का इंतजार बढ़ता ही जा रहा है. जिसके कारण 'रानी' को आराम फरमाना पड़ रहा है. दरअसल, महेंद्र सिंह धोनी की ये रानी कोई और नहीं बल्कि एक घोड़ी है, जिस पर चढ़कर धोनी साक्षी को ब्याहने चल दिये थे.

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धोनी और साक्षी का है देहरादून से नाता

रानी उसी घोड़ी का नाम है जिस पर बैठकर धोनी बैंड, बाजा और बारात के साथ धूमधाम अपनी सजनी के घर पहुंचे थे. मगर अब उसी रानी का जीवन थम सा गया है. कोरोनाकाल के कारण रानी को काम नहीं मिल रहा. ये ही हाल काजल, बॉबी, मालती और माधुरी का भी है, जो शादी के सीजन में भी अस्तबल में सोये हैं. कोरोना काल के कारण घोड़ा-बग्गी का काम पूरी तरह बंद हो गया है, जिससे इन्हें चारदीवारी तक ही सिमटकर रहना पड़ रहा है. हालात ये हैं कि घोड़ा-बग्गी संचालकों को ब्याज पर उधार लेकर रानी,माधुरी, बॉबी और काजल को पालना पड़ रहा है.

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महेंद्र सिंह धोनी और साक्षी.

पढ़ें- लॉकडाउन: घोड़ा-बग्घी संचालकों के 500 परिवारों पर रोजी-रोटी का संकट

लॉकडाउन के कारण घोड़ा-बग्गी का काम पूरी तरह बंद हो गया है, जिससे इन्हें चारदीवारी के अंदर ही रहना पड़ रहा है, लॉकडाउन की मार से न केवल रानी बल्कि घोड़ा-बग्गी संचालकों को भी खासा नुकसान हुआ है. रानी के साथ ही इन संचालकों को भी लॉकडाउन खुलने का इंतजार है, जिससे बैंड बाजा बारात के साथ वो भी किसी रानी के राजकुमार को उसकी मंजिल तक पहुंचा सके.

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धोनी की 'रानी'.

बता दें भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने 4 जुलाई 2010 को देहरादून की रहने वाली साक्षी रावत से शादी की थी. इस समय कई धोनी की सवारी के लिए कई घोड़ियों को देखा गया था. जिसमें आखिर में रानी पर ही धोनी का दिल आया.

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रानी.

पढ़ें- यहां डोली नहीं घोड़ी पर ससुराल जाती है दुल्हन, परंपरा के पीछे है अनोखी कहानी

धोनी और साक्षी एक-दूसरे को बचपन से ही जानते थे. धोनी और साक्षी के पिता रांची में एक ही कंपनी में काम करते थे. दोनों परिवार को बीच आना जाना लगा रहता था. ये दोनों एक ही स्कूल में पढ़ते भी थे. कुछ समय बाद में साक्षी का परिवार देहरादून शिफ्ट हो गया, जहां उनके दादा पहले से रहते थे.

इसके बाद कई सालों तक दोनों की मुलाकात नहीं हुई और न ही उनके बीच किसी तरह का कोई कॉन्टेक्ट था. मार्च 2008 में दोनों ने एक-दूसरे को डेट करना शुरू किया. 3 जुलाई 2010 को देहरादून के एक होटल में दोनों ने सगाई की.

Last Updated : Jul 4, 2020, 1:55 PM IST
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