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उत्तराखंड होमगार्ड का अब आपदा प्रबंधन में भी होगा योगदान, होमगार्ड मुख्यालय में तैयार हो रहा मोबाइल एप

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 19, 2023, 7:32 AM IST

Updated : Sep 19, 2023, 8:04 AM IST

Uttarakhand Home Guard उत्तराखंड में होमगार्ड्स की समय के साथ जिम्मेदारियां बढ़ाई जा रही हैं. वहीं उत्तराखंड में आने वाले समय में होमगार्ड आपदा प्रबंधन में भी योगदान देते दिखाई देंगे. जिसके लिए होमगार्ड मुख्यालय ने तैयारियां तेज कर दी हैं.

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देहरादून: उत्तराखंड में होमगार्ड्स के कार्यों को पिछले कुछ सालों में काफी विस्तृत किया गया है. सड़कों पर ट्रैफिक सहायक और दफ्तरों में फाइलें उठाने तक सीमित होमगार्डस अब नई पहचान और योगदान की तरफ बढ़ रहे हैं. इसी कड़ी में अब होमगार्ड मुख्यालय एक ऐसा एप्लीकेशन तैयार कर रहा है जो आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भी होमगार्डस की भूमिका को तय करेगा.

होमगार्ड मुख्यालय ने अपने कर्मियों की कार्य कुशलता को बढ़ाकर विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान को बढ़ाया किया है. पिछले कुछ समय में ही ऐसे कई क्षेत्र है, जहां पहली बार होमगार्डस प्रतिभाग करते हुए नजर आए हैं. हालांकि होमगार्डस को पुलिस के सहायक के रूप में ही लाया गया था. लेकिन अब जरूरत के लिहाज से उनकी भूमिका को बढ़ाया जा रहा है. ताजा उदाहरण होमगार्ड मुख्यालय के उसे प्रयास से जुड़ा है, जिसमें एक मोबाइल एप्लीकेशन तैयार करते हुए आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भी होमगार्ड के योगदान को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. फिलहाल यह एप्लीकेशन अभी तैयार नहीं हुई है.
पढ़ें-अब देहरादून में पाइप बैंड से होगा पर्यटकों का स्वागत, होमगार्ड का मस्का बाजा लॉन्च

लेकिन मुख्यालय जल्द से जल्द एप्लीकेशन के काम को पूरा करने में लगा हुआ है. इसके बाद होमगार्ड को राहत बचाव कार्य और प्राथमिक उपचार के लिए भी तैयार किया जाएगा. इसके लिए विशेष प्रशिक्षण देने की योजना तैयार की गई है. उधर दूसरी तरफ होमगार्ड मुख्यालय में ही कंट्रोल रूम बनाकर प्रदेश भर में मॉनिटरिंग के साथ कमांडिंग का काम भी यही से होगा.मोबाइल एप के जरिए किसी भी दुर्घटना की जानकारी इस पर दी जा सकेगी और यह जानकारी आते ही तत्काल उसे क्षेत्र में तैनात होमगार्ड और चौकीदार को भी इसकी सूचना मिल जाएगी. इसके बाद कंट्रोल रूम से इन्हें प्रभावित क्षेत्र में राहत बचाव के लिए फौरन भेजा जा सकेगा.

वैसे फिलहाल अब तक ऐसी जानकारी पुलिस और एसडीआरएफ को दी जाती है, लेकिन कई बार दुर्घटना स्थल इन टीमों से दूर होने के कारण समय से राहत बचाव कार्य नहीं हो पाता और स्थानीय लोग ही इस कार्य में राहत बचाव करते हुए दिखाई देते हैं.जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में करीब पांच हजार से ज्यादा होमगार्ड तैनात हैं. जबकि ग्राम स्तर पर अपनी सेवाएं देने वाले इतने ही चौकीदार भी पर्वतीय क्षेत्र में काम कर रहे हैं. लिहाजा इन्हें ट्रेनिंग देकर आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भी होमगार्ड मुख्यालय एक बेहतर और नई पहल करने की कोशिश कर रहा है और इसकी शुरुआत मोबाइल एप्लीकेशन से की जाएगी.
पढ़ें- हथियार चलाने में पारंगत हुईं महिला होमगार्ड, सशक्त करने का बड़ा प्रयास

जिसे जल्द ही तैयार किया जाएगा. इससे पहले होमगार्ड को कमांडो ट्रेनिंग से लेकर पिस्टल और एसएलआर चलाने तक कि ट्रेनिंग दी गयी है. मोटरसाइकिल राइडिंग टीम से लेकर पाइप बैंड भी होमगार्ड में पहली ही मर्तबा बना है. चार धामों में हेल्प डेस्क बनाकर तीर्थ यात्रियों की मदद का काम भी होमगार्ड पहली बार ही कर रहे हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में होमगार्ड्स के कार्यों को पिछले कुछ सालों में काफी विस्तृत किया गया है. सड़कों पर ट्रैफिक सहायक और दफ्तरों में फाइलें उठाने तक सीमित होमगार्डस अब नई पहचान और योगदान की तरफ बढ़ रहे हैं. इसी कड़ी में अब होमगार्ड मुख्यालय एक ऐसा एप्लीकेशन तैयार कर रहा है जो आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भी होमगार्डस की भूमिका को तय करेगा.

होमगार्ड मुख्यालय ने अपने कर्मियों की कार्य कुशलता को बढ़ाकर विभिन्न क्षेत्रों में उनके योगदान को बढ़ाया किया है. पिछले कुछ समय में ही ऐसे कई क्षेत्र है, जहां पहली बार होमगार्डस प्रतिभाग करते हुए नजर आए हैं. हालांकि होमगार्डस को पुलिस के सहायक के रूप में ही लाया गया था. लेकिन अब जरूरत के लिहाज से उनकी भूमिका को बढ़ाया जा रहा है. ताजा उदाहरण होमगार्ड मुख्यालय के उसे प्रयास से जुड़ा है, जिसमें एक मोबाइल एप्लीकेशन तैयार करते हुए आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भी होमगार्ड के योगदान को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है. फिलहाल यह एप्लीकेशन अभी तैयार नहीं हुई है.
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लेकिन मुख्यालय जल्द से जल्द एप्लीकेशन के काम को पूरा करने में लगा हुआ है. इसके बाद होमगार्ड को राहत बचाव कार्य और प्राथमिक उपचार के लिए भी तैयार किया जाएगा. इसके लिए विशेष प्रशिक्षण देने की योजना तैयार की गई है. उधर दूसरी तरफ होमगार्ड मुख्यालय में ही कंट्रोल रूम बनाकर प्रदेश भर में मॉनिटरिंग के साथ कमांडिंग का काम भी यही से होगा.मोबाइल एप के जरिए किसी भी दुर्घटना की जानकारी इस पर दी जा सकेगी और यह जानकारी आते ही तत्काल उसे क्षेत्र में तैनात होमगार्ड और चौकीदार को भी इसकी सूचना मिल जाएगी. इसके बाद कंट्रोल रूम से इन्हें प्रभावित क्षेत्र में राहत बचाव के लिए फौरन भेजा जा सकेगा.

वैसे फिलहाल अब तक ऐसी जानकारी पुलिस और एसडीआरएफ को दी जाती है, लेकिन कई बार दुर्घटना स्थल इन टीमों से दूर होने के कारण समय से राहत बचाव कार्य नहीं हो पाता और स्थानीय लोग ही इस कार्य में राहत बचाव करते हुए दिखाई देते हैं.जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में करीब पांच हजार से ज्यादा होमगार्ड तैनात हैं. जबकि ग्राम स्तर पर अपनी सेवाएं देने वाले इतने ही चौकीदार भी पर्वतीय क्षेत्र में काम कर रहे हैं. लिहाजा इन्हें ट्रेनिंग देकर आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में भी होमगार्ड मुख्यालय एक बेहतर और नई पहल करने की कोशिश कर रहा है और इसकी शुरुआत मोबाइल एप्लीकेशन से की जाएगी.
पढ़ें- हथियार चलाने में पारंगत हुईं महिला होमगार्ड, सशक्त करने का बड़ा प्रयास

जिसे जल्द ही तैयार किया जाएगा. इससे पहले होमगार्ड को कमांडो ट्रेनिंग से लेकर पिस्टल और एसएलआर चलाने तक कि ट्रेनिंग दी गयी है. मोटरसाइकिल राइडिंग टीम से लेकर पाइप बैंड भी होमगार्ड में पहली ही मर्तबा बना है. चार धामों में हेल्प डेस्क बनाकर तीर्थ यात्रियों की मदद का काम भी होमगार्ड पहली बार ही कर रहे हैं.

Last Updated : Sep 19, 2023, 8:04 AM IST
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