मसूरीः मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-2 को पत्र लिखकर उनके 70 साल के शासनकाल के लिए शुभकामनाएं दी हैं. साथ ही 1956 में उनके पिता ज्योतिष आरजीआर भारद्वाज द्वारा बनाई गई महारानी एलिजाबेथ-2 की जन्मकुंडली की मूल प्रतिलिपि भी भेजी है. इससे पहले उनके पिता आरजीआर भारद्वाज द्वारा महारानी एलिजाबेथ-2 को 1953 में खत लिखकर उनकी जन्म कुंडली की जानकारी दी गई थी. जिसका उन्हें महारानी की ओर से धन्यवाद पत्र भी मिला था. उस दौरान महारानी एलिजाबेथ-2 की उम्र 26 साल थी.
मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-2 के 70 साल का शासन पूरे होने पर उनको शुभकामनाएं दी हैं. वहीं, उनके प्राइवेट सेक्रेटरी को पत्र लिखकर उनके पिता आरजीआर भारद्वाज द्वारा ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-2 की बनाई गई जन्म कुंडली की मूल कॉपी भेजी है. आरजीआर भारद्वाज ने महारानी-2 की यह जन्म कुंडली 20 मई 1953 में बनाई थी. जन्म कुंडली के मुताबिक, बताया था कि महारानी एलिजाबेथ-2 का शासन ऐतिहासिक रहेगा. महारानी शांतिपूर्ण तरीके से अपना शासन चलाएंगी और उनकी आयु लंबी होगी. इस दौरान महारानी एलिजाबेथ-2 की उम्र 96 साल हो गई है और 70 साल उनके शासन को हो गये हैं.
ज्योतिष भारद्वाज ने की थी भविष्यवाणीः इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बताया कि ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-2 पूरी दुनिया में जानी जाती हैं. 14 देशों के राष्ट्रपति उनसे मुलाकात कर चुके हैं. महारानी एलिजाबेथ-2 की जन्म कुंडली में खास बात है कि उनकी लंबी उम्र होगी और उनके शासन में किसी प्रकार की कोई बड़ी दुर्घटना नहीं होगी और वह शांतिपूर्ण तरीके से अपने राज्य को संचालित करेंगी. पूरी दुनिया में उनका नाम प्रसिद्ध होगा.
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भगवान श्रीकृष्ण और श्रीराम की भी बनाई थी जन्म कुंडलीः इतिहासकार गोपाल भारद्वाज ने बताया कि ज्योतिष आरजीआर भारद्वाज के द्वारा भगवान राम, कृष्ण, गुरुनानक देव की भी जन्मपत्री बनाई गई थी. वहीं, देश और विदेशों के बड़े राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता अपनी जन्म कुंडली बनवाने के लिए उनके पास आते थे. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, मोतीलाल नेहरू, मदन मोहन मालवीय आदि व्यक्तिगत रूप से उनके पास जन्म कुडंली बनवाने आते थे. जिसके प्रमाण उनके पास आज भी मौजूद हैं. उन्होंने बताया कि उनका परिवार 500 साल से ज्योतिष का काम कर रहा है.
म्यूजियम बनवाने की मांगः उन्होंने बताया कि उनके पास कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक, एंटीक सामग्री के साथ दस्तावेज हैं, जिसको सरकार द्वारा संरक्षित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा सरकार से लगातार मांग की जा रही है. परंतु इतिहास और महत्वपूर्ण सामग्री के संरक्षण को लेकर काम नहीं किया जा रहा है. उन्होंने सरकार से मांग की है कि उनके पास रखे ऐतिहासिक दस्तावेज और एंटीक चीजों को प्रदर्शित करने के लिए मसूरी में म्यूजियम बनवाया जाए, जिससे आने वाली पीढ़ियों को इतिहास के बारे में जानकारी मिल सके. देश विदेश से मसूरी आने वाले पर्यटकों के लिए ये म्यूजियम आकर्षण का केंद्र बन सके.
एलिजाबेथ द्वितीय के बारे में जानिए: एलिजाबेथ द्वितीय का जन्म 21 अप्रैल 1926 को मेफेयर, लंदन, इंग्लैंड में हुआ. वो यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैण्ड, जमैका, बारबाडोस, बहामास, ग्रेनेडा, पापुआ न्यू गिनी, सोलोमन द्वीपसमूह, तुवालू, सेंट लूसिया, सेंट विन्सेंट और ग्रेनाडाइन्स, बेलीज़, एंटीगुआ और बारमूडा और सेंट किट्स और नेविस की महारानी हैं. इसके अतिरिक्त वह राष्ट्रमण्डल के 54 राष्ट्रों और राज्यक्षेत्रों की प्रमुख हैं और ब्रिटिश साम्राज्ञी के रूप में, वह अंग्रेजी चर्च की सर्वोच्च राज्यपाल हैं. एलिजाबेथ द्वितीय राष्ट्रमण्डल के सोलह स्वतन्त्र सम्प्रभु देशों की संवैधानिक महारानी हैं.
घर पर हुई थी एलिजाबेथ की पढ़ाई: एलिजाबेथ का जन्म लंदन में ड्यूक जॉर्ज़ षष्टम व राजमाता रानी एलिज़ाबेथ के यहां हुआ. उनकी पढ़ाई घर में ही हुई. एलिज़ाबेथ को निजी रूप से पर घर पर शिक्षित किया गया था. उनके पिता ने 1536 में एडवर्ड अष्टम के राज-पाठ त्यागने के बाद राज ग्रहण किया. तब वह राज्य की उत्तराधिकारी हो गयी थीं. उन्होंने दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जनसेवाओं में हिस्सा लेना शुरु किया व सहायक प्रादेशिक सेवा में हिस्सा लिया. 1947 में उनका विवाह राजकुमार फिलिप से हुआ. दोनों के चार बच्चे, चार्ल्स, ऐने, राजकुमार एंड्रयू और राजकुमार एडवर्ड हैं.
1952 में हुआ था एलिजाबेथ का राज्याभिषेक: 6 फरवरी 1952 को अपने राज्याभिषेक के बाद एलिज़ाबेथ राष्ट्रकूल की अध्यक्ष व साथ स्वतंत्र देशों यूनाइटेड किंगडम, पाकिस्तान अधिराज्य, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका व सिलोन की शासक रानी बन गयीं. उनका राज्याभिषेक समारोह अपने तरह का पहला ऐसा राज्याभिषेक था जिसका दूरदर्शन पर प्रसारण हुआ था. 1956 से 1992 के दौरान विभिन्न देशों को स्वतंत्रता मिलते रहने से उनकी रियासतों की संख्या कम होती गई. वह विश्व में सबसे वृद्ध शासक और ब्रिटेन पर सबसे ज्यादा समय तक शासन करने वाली रानी हैं. 9 सितम्बर 2019 को उन्होंने अपनी परदादी महारानी विक्टोरिया के सबसे लंबे शासनकाल के कीर्तिमान को तोड़ दिया व ब्रिटेन पर सर्वाधिक समय तक शासन करने वाली साम्राज्ञी बन गयीं.
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एलिज़ाबेथ के शासन के दौरान यूनाइटेड किंगडम में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए. जैसे अफ्रीका की ब्रिटिश उपनिवेशीकरण से स्वतंत्रता, यूके की संसद की शक्तियों का वेल्स, स्कॉटलैंड, इंग्लैंड व आयरलैंड की संसदों में विभाजन इत्यादि. अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने विभिन्न युद्धों के दौरान अपने राज्य का नेतृत्व किया.