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हिंदी दिवस विशेष: हिंदी साहित्य के लिए अलंकरण से कम नहीं 'अलंकृता'

हिंदी साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी की पोती अलंकृता देहरादून में रहती हैं. अलंकृता बताती है कि उन्होंने अपनी पहली कविता पहली क्लास में लिखी थी.

हिंदी दिवस विशेष: हिंदी साहित्य के अलंकरण से कम नहीं 'अलंकृता'
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Published : Sep 14, 2019, 2:47 PM IST

Updated : Sep 14, 2019, 4:28 PM IST

देहरादून: आधुनिकता की दौड़ में जहां युवा पीढ़ी का हिंदी साहित्य से मोह भंग होता जा रहा है. वहां देहरादून की रहने वाली अंलकृता का छोटी सी उम्र में हिंदी साहित्य के प्रति लगाव देखते ही बनता है. अंलकृता को न सिर्फ हिंदी साहित्य में रुचि है, बल्कि उसे कविता लिखने और सुनाने का भी बड़ा शौक है.

देहरादून के नामी-गिनामी सेंट जोसफ स्कूल में कक्षा 6 में पढ़ने वाली अलंकृता अंग्रेजी बोलती है और बिल्कुल नई पीढ़ी होने का अहसास भी कराती है, लेकिन जब अलंकृता हिंदी में लिखी खुद की कविताएं सुनाती है तो लगता कि उसने अपने आसपास की चीजों को बढ़े सलीके से अपनी कविताओं में पिरोया है.

अंलकृता का छोटी सी उम्र में हिंदी साहित्य के प्रति लगाव देखते ही बनता है.

यह भी पढ़ें-हिंदी दिवस: देहरादून के युवाओं को कितना है हिंदी का ज्ञान, देखिए वीडियो

हिंदी साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी की पोती अलंकृता देहरादून में रहती हैं. अलंकृता बताती है कि उन्होंने अपनी पहली कविता पहली क्लास में लिखी थी, जब टीचर ने सभी बच्चों को घर से कुछ कर रचनात्मक आर्ट बना कर लाने की कहा तो अलंकृता कविता लिख कर लेकर गयी जो सभी को बहुत पसंद आया.

अलंकृता ने बताया कि उनकी मम्मी उनकी टाइप राइटर है और उनकी भावनाओं को उनकी मम्मी शब्दों में पिरोती हैं. अलंकृता प्रदूषण, प्रकृति के अलावा समाज से जुड़े तमाम विषयों पर कविताएं लिखती हैं.

देहरादून: आधुनिकता की दौड़ में जहां युवा पीढ़ी का हिंदी साहित्य से मोह भंग होता जा रहा है. वहां देहरादून की रहने वाली अंलकृता का छोटी सी उम्र में हिंदी साहित्य के प्रति लगाव देखते ही बनता है. अंलकृता को न सिर्फ हिंदी साहित्य में रुचि है, बल्कि उसे कविता लिखने और सुनाने का भी बड़ा शौक है.

देहरादून के नामी-गिनामी सेंट जोसफ स्कूल में कक्षा 6 में पढ़ने वाली अलंकृता अंग्रेजी बोलती है और बिल्कुल नई पीढ़ी होने का अहसास भी कराती है, लेकिन जब अलंकृता हिंदी में लिखी खुद की कविताएं सुनाती है तो लगता कि उसने अपने आसपास की चीजों को बढ़े सलीके से अपनी कविताओं में पिरोया है.

अंलकृता का छोटी सी उम्र में हिंदी साहित्य के प्रति लगाव देखते ही बनता है.

यह भी पढ़ें-हिंदी दिवस: देहरादून के युवाओं को कितना है हिंदी का ज्ञान, देखिए वीडियो

हिंदी साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी की पोती अलंकृता देहरादून में रहती हैं. अलंकृता बताती है कि उन्होंने अपनी पहली कविता पहली क्लास में लिखी थी, जब टीचर ने सभी बच्चों को घर से कुछ कर रचनात्मक आर्ट बना कर लाने की कहा तो अलंकृता कविता लिख कर लेकर गयी जो सभी को बहुत पसंद आया.

अलंकृता ने बताया कि उनकी मम्मी उनकी टाइप राइटर है और उनकी भावनाओं को उनकी मम्मी शब्दों में पिरोती हैं. अलंकृता प्रदूषण, प्रकृति के अलावा समाज से जुड़े तमाम विषयों पर कविताएं लिखती हैं.

Intro:Note- फीड FTP पर (uk_deh_01_alnkrita_on_hindi_divas_vis_byte_7205800) नाम से हैं।

Special Story---

एंकर- हिंदी दिवस को मिलिए 12 वर्ष की अंलकृता से जो आपको ऐसी कविताएं सुनाएगी की आपके चेहरे पर खुद ब खुद मुस्कान आ जातेगी। हिंदी दिवस पर अलंकृता की कविताएं बताती है कि हिंदी हामरे लिए प्राण वायु से कम नही है।


Body:वीओ- देहरादून के नामी-गिनामी सेंट जोजफ स्कूल में कक्षा 6 में पढ़ने वाली अलंकृता अंग्रेजी बोलती है और बिल्कुल नई पीढ़ी का अहसास कराती है लेकिन जब अलंकृता हिंदी में लिखी खुद की कविताएं सुनाती है तो लगता कि हिंदी से बढ़कर कुछ नही है।

हिंदी साहित्यकार लीलाधर जगूड़ी की पोती अलंकृता देहरादून में रहती है शहर के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान सेंट जोजफ स्कूल में कक्षा 6 में पढ़ती है। अलंकृता अपनी खुद की कविताएं लिखती है हां उनके दादा कविताओं में सुधार जरूर करते हैं। अलंकृता बताती है कि उन्होंने अपनी पहली कविता पहली क्लास में लिखी थी जब टीचर ने सभी बच्चों को घर से कुछ कर रचनात्मक आर्ट बना कर लाने की कहा तो अलंकृता कविता लिख कर लेकर गयी जो सभी को बहुत पसंद आया।

अलंकृता ने बताया कि उनकी मम्मी उनकी टाइप राइटर है और उनकी भावनाओं को उनकी मम्मी शब्दों में पिरोती है। अलंकृता प्रदूषण, प्रकृति के अलावा समाज से जुड़े तामम विषयों पर कविताएं लिखती है।


Conclusion:
Last Updated : Sep 14, 2019, 4:28 PM IST
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