देहरादून: कोरोनाकाल में जिन स्वास्थ्यकर्मियों पर उत्कृष्ट सेवाओं के लिए फूल बरसाए गए, आज स्थिति यह है कि इन मेडिकल स्टाफ को सड़कों पर उतरकर अपने हक के लिए भीख मांगनी पड़ रही है. जिस सिस्टम ने इनकी सेवाओं का कोविडकाल में भरपूर लाभ उठाया, आज वही सिस्टम इन्हें नकार रहा है. ऐसे में यह स्वास्थ्यकर्मी अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और प्रदेश सरकार से मांग कर रहे हैं कि इन्हें इनकी सेवाओं के बदले कहीं न कहीं समायोजित किया जाए. जिससे इनका भविष्य सुरक्षित हो सके.
बता दें कि कोविडकाल के दौरान लगातार दो सालों तक करीब 130 स्वास्थ्यकर्मियों ने एम्स ऋषिकेश में अपनी सेवाएं दी और उसके बाद इन्हें बिना नोटिस के मोबाइल पर एक मैसेज भेजकर नौकरी से निकाल दिया गया. ऐसे में करीब 150 नर्स और लैब टेक्नीशियन का भविष्य अधर में लटक गया है. वहीं, नौकरी से निकाले जाने के बाद इन्होंने एम्स ऋषिकेश प्रशासन से अपनी सेवाएं दोबारा बहाल करने की मांग की लेकिन जब इनकी सुनवाई नहीं हो पाई. अब ये अपनी मांगों को लेकर ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट पर धरने पर बैठे.
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वहीं, अब यह स्वास्थ्यकर्मी राजधानी के गांधी पार्क के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए हैं. इनका कहना है कि जब इनकी आवश्यकता थी, तो इनकी सेवाओं का भरपूर फायदा उठाया गया लेकिन अब इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया है. जिसके चलते यह तपती धूप के बीच सड़क पर धरना देने को मजबूर हैं. इनकी मांग है कि प्रदेश सरकार इनके भविष्य को देखते हुए इनको स्वास्थ्य विभाग में समायोजित करे. ऐसे में जब तक इनकी मांगें पूरी नहीं हो जाती तब तक इनका धरना जारी रहेगा.
कांग्रेस ने दिया समर्थन: धरने पर बैठे नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ के समर्थन में आज नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व सीएम हरीश रावत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा भी धरनास्थल पहुंचे और बेरोजगारों के पक्ष में धरना दिया. इस दौरान करण माहरा ने कहा कि कोरोना यह कठिन दौर में अपनी जान जोखिम में डालकर 200 से अधिक कर्मचारी लोगों की सेवा कर रहे थे और उनकी जाने बचा रहे थे.
तब स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने वादा किया था कि इन सभी कर्मचारियों को संविदा कर्मचारियों के रूप में समायोजित किया जाएगा. लेकिन धन सिंह रावत दोबारा सरकार में आने के बाद अपने वादे से मुकर गए. संकट के समय अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाने वालों को सरकार नौकरी से निकाल रही है, इससे बड़ा अन्याय नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि जिन्हें सम्मानित करना चाहिए था, उन्हें सरकार अपमानित कर रही है और उन्हें बेरोजगार कर रही है.