देहरादूनः कोरोनाकाल में उपनल और पीआरडी के माध्यम से लगाए गए स्वास्थ्य कर्मियों ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि कोरोनाकाल में सेवाएं दे रहे हेल्थ वर्कर्स को समायोजित करने की बात कहकर स्वास्थ्य मंत्री ने झूठ बोला है. जबकि कोरोना वॉरियर्स अभी भी समायोजित करने की मांग कर रहे हैं.
कोरोनाकाल में उपनल और पीआरडी के माध्यम से लगाए गए स्वास्थ्य कर्मियों की सेवाएं 31 मार्च को सरकार ने समाप्त कर दी गई थी. उसके बाद हेल्थ वर्कर्स धरने पर बैठ गए और सरकार से सेवा बहाली या समायोजित करने की मांग कर रहे हैं. हेल्थ वर्कर्स का कहना है कि शासन और स्वास्थ्य मंत्री की ओर से बार-बार उन्हें सेवा बहाली का आश्वासन दिया गया. लेकिन अभी तक उनका सेवा विस्तार नहीं किया गया. उन्होंने बताया कि सरकार ने उनकी मांगों को लेकर एक समिति भी बनाई. समिति में मंत्री सुबोध उनियाल और रेखा आर्य को सदस्य बनाया गया, लेकिन उसके बाद भी कुछ नहीं हुआ.
हेल्थ वर्कर्स ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने विपक्ष के सवाल पर विधानसभा सत्र के दौरान बताया कि सरकार की ओर से 1800 कर्मियों को समायोजित कर दिया गया है. लेकिन किन 1800 कर्मियों को समायोजित किया गया है. इसकी जानकारी किसी भी कर्मियों को नहीं है. इसके अलावा उन्होंने 30 जून को कोरोनेशन अस्पताल में 10 बेड के आईसीयू का शुभारंभ करने के बाद भी मीडिया को बाइट देते हुए यही जानकारी दी. हेल्थ वर्कर्स का कहना है कि 31 मार्च को जिन स्वास्थ्य कर्मियों की सेवाएं समाप्त की गई हैं, उनकी संख्या 2176 है. लेकिन इनमें से किन 1800 कर्मियों को समायोजित किया है, उनकी जानकारी हमें अभी तक नहीं दी गई है.
वहीं, स्टेट फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स यूनियन उत्तराखंड के पदाधिकारियों ने अपनी सेवा बहाली की प्रक्रिया जल्द पूरी करने की मांग उठाई है. उनका कहना है कि जब तक कर्मियों को विभागीय संविदा पर समायोजित नहीं किया जाता है, तब तक उनका सेवा विस्तार किया जाए. हटाए गए स्वास्थ्य कर्मियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द से जल्द इस विषय पर कार्रवाई नहीं हुई तो सभी कोरोना वॉरियर्स आंदोलन के तहत सड़क पर उतरेंगे.