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मसूरी के आस-पास के गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल

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Published : May 12, 2021, 5:14 PM IST

Updated : May 12, 2021, 8:00 PM IST

राजधानी देहरादून से महज 20 किलोमीटर दूर स्थित बासाघाट गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बेहाल है. बासाघाट गांव और आस-पास के क्षेत्र की जनसंख्या 500 से ऊपर है. कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद भी यहां स्वास्थ्य विभाग ध्यान नहीं दे रहा है.

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स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल

मसूरी: उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए सरकार ने गाइडलाइन जारी की है. वहीं, स्वास्थ्य सेवाओं को भी मुकम्मल करने के लाख दावे किए जा रहे हैं. लेकिन धरातल पर देखा जाए तो प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल है. सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए जा रहे सारे दावे खोखले नजर आ रहे हैं.

मसूरी के आस-पास के गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल.

ईटीवी भारत की टीम ने मसूरी से 8 किलोमीटर दूर बासाघाट गांव का जायजा लिया. यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल है. गांव में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. बीते दिन कोरोना संक्रमित बुजुर्ग व्यक्ति की अस्पताल ले जाते हुए मौत भी हो गई. परंतु न तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव के लोगों का कोरोना टेस्ट करवाया गया, न ही अधिकारियों द्वारा गांव का निरीक्षण किया गया. इसको लेकर ग्रामीणों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश व्याप्त है.

मसूरी से 8 किलोमीटर दूर और राजधानी देहरादून से करीब 20 किलोमीटर दूर बासाघाट गांव की स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बेहाल है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के सुदूर क्षेत्र के गांवों का क्या हाल होगा. बासाघाट गांव और आस-पास के क्षेत्र की जनसंख्या 500 से ऊपर है. यहां पर लगातार कोरोना संक्रमित मरीज पाए जा रहे हैं. परंतु बेपरवाह स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और प्रशासन द्वारा गांव के लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है. कई बार क्षेत्र में कोरोना के टेस्ट और वैक्सीन लगाए जाने को लेकर कैंप लगाए जाने का आग्रह किया गया. परंतु कोई सुनने को तैयार नहीं है. ऐसे में गांव से मसूरी का अस्पताल काफी दूर है और गांव से कोरोना कर्फ्यू के कारण यातायात का साधन नहीं है. ऐसे में बुजुर्ग और महिलाओं को अस्पताल में इलाज कराने को लेकर असमर्थ हैं. प्रशासन द्वारा कोरोना संक्रमित मरीजों को मात्र कोरोना किट दी गई है, परंतु ना तो जिला प्रशासन और ना ही स्वास्थ विभाग द्वारा कोरोना संक्रमित मरीजों का हालचाल जाना गया. उन्होंने बताया कि उन्हें आशा कार्यकत्री के भरोसे छोड़ दिया गया है.

ये भी पढ़ें : मसूरी की तलहटी में अवैध निर्माण का मामला, HC ने MDDA से मांगा जवाब

आशा कार्यकत्री ने बताया कि गांव का क्षेत्र भौगोलिक स्थितियों से काफी जटिल है. ऐसे में पैदल कई किलोमीटर चलकर काम कर रही हैं परन्तु स्वास्थ्य विभाग और सरकार द्वारा उनको यातायात का साधन नहीं उपलब्ध कराया गया है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में लोगों की सेवा करने का काम करना काफी मुश्किल हो रहा है.

क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि राकेश रावत ने बताया कि क्यारकुली भट्टा ग्राम में करीब 2,500 की जनसंख्या है. उनके गांव के विभिन्न क्षेत्रों में करीब 50 से 60 कोरोना संक्रमित मरीज वर्तमान में हैं. कई लोगों में कोरोना के लक्षण मिल रहे हैं. इसको लेकर उनके द्वारा जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से ग्राम क्षेत्र में आने वाले गांवों में कोरोना टेस्ट और वैक्सीनेशन को लेकर कैंप लगाने की मांग की गई थी.

ये भी पढ़ें: नगर पालिका के कर्मचारी वेतन के लिए हैं परेशान, जानिए कारण

उन्होंने बताया कि उनके माध्यम से बासाघाट के क्षेत्र को सैनिटाइज कर लोगों को कुछ दवाइयां उपलब्ध कराई गई हैं. परंतु ना तो सरकार और ना ही प्रशासन द्वारा क्षेत्र की सुध ली जा रही है. इससे लोगों में सरकार और स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ खासा आक्रोश व्याप्त है. उन्होंने कहा कि गांव से मसूरी जाने के लिए यातायात के साधन नहीं हैं. इससे ग्रामीणों को मसूरी अस्पताल जाने में दिक्कत हो रही है. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी से भी क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कोरोना टेस्ट का कैंप लगाने का आग्रह किया गया है.

मसूरी: उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए सरकार ने गाइडलाइन जारी की है. वहीं, स्वास्थ्य सेवाओं को भी मुकम्मल करने के लाख दावे किए जा रहे हैं. लेकिन धरातल पर देखा जाए तो प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल है. सरकार और स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए जा रहे सारे दावे खोखले नजर आ रहे हैं.

मसूरी के आस-पास के गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल.

ईटीवी भारत की टीम ने मसूरी से 8 किलोमीटर दूर बासाघाट गांव का जायजा लिया. यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बेहाल है. गांव में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है. बीते दिन कोरोना संक्रमित बुजुर्ग व्यक्ति की अस्पताल ले जाते हुए मौत भी हो गई. परंतु न तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव के लोगों का कोरोना टेस्ट करवाया गया, न ही अधिकारियों द्वारा गांव का निरीक्षण किया गया. इसको लेकर ग्रामीणों में सरकार और प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश व्याप्त है.

मसूरी से 8 किलोमीटर दूर और राजधानी देहरादून से करीब 20 किलोमीटर दूर बासाघाट गांव की स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बेहाल है. जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के सुदूर क्षेत्र के गांवों का क्या हाल होगा. बासाघाट गांव और आस-पास के क्षेत्र की जनसंख्या 500 से ऊपर है. यहां पर लगातार कोरोना संक्रमित मरीज पाए जा रहे हैं. परंतु बेपरवाह स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और प्रशासन द्वारा गांव के लोगों को भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है. कई बार क्षेत्र में कोरोना के टेस्ट और वैक्सीन लगाए जाने को लेकर कैंप लगाए जाने का आग्रह किया गया. परंतु कोई सुनने को तैयार नहीं है. ऐसे में गांव से मसूरी का अस्पताल काफी दूर है और गांव से कोरोना कर्फ्यू के कारण यातायात का साधन नहीं है. ऐसे में बुजुर्ग और महिलाओं को अस्पताल में इलाज कराने को लेकर असमर्थ हैं. प्रशासन द्वारा कोरोना संक्रमित मरीजों को मात्र कोरोना किट दी गई है, परंतु ना तो जिला प्रशासन और ना ही स्वास्थ विभाग द्वारा कोरोना संक्रमित मरीजों का हालचाल जाना गया. उन्होंने बताया कि उन्हें आशा कार्यकत्री के भरोसे छोड़ दिया गया है.

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आशा कार्यकत्री ने बताया कि गांव का क्षेत्र भौगोलिक स्थितियों से काफी जटिल है. ऐसे में पैदल कई किलोमीटर चलकर काम कर रही हैं परन्तु स्वास्थ्य विभाग और सरकार द्वारा उनको यातायात का साधन नहीं उपलब्ध कराया गया है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र में लोगों की सेवा करने का काम करना काफी मुश्किल हो रहा है.

क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि राकेश रावत ने बताया कि क्यारकुली भट्टा ग्राम में करीब 2,500 की जनसंख्या है. उनके गांव के विभिन्न क्षेत्रों में करीब 50 से 60 कोरोना संक्रमित मरीज वर्तमान में हैं. कई लोगों में कोरोना के लक्षण मिल रहे हैं. इसको लेकर उनके द्वारा जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से ग्राम क्षेत्र में आने वाले गांवों में कोरोना टेस्ट और वैक्सीनेशन को लेकर कैंप लगाने की मांग की गई थी.

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उन्होंने बताया कि उनके माध्यम से बासाघाट के क्षेत्र को सैनिटाइज कर लोगों को कुछ दवाइयां उपलब्ध कराई गई हैं. परंतु ना तो सरकार और ना ही प्रशासन द्वारा क्षेत्र की सुध ली जा रही है. इससे लोगों में सरकार और स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ खासा आक्रोश व्याप्त है. उन्होंने कहा कि गांव से मसूरी जाने के लिए यातायात के साधन नहीं हैं. इससे ग्रामीणों को मसूरी अस्पताल जाने में दिक्कत हो रही है. उन्होंने कहा कि उनके द्वारा क्षेत्रीय विधायक और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी से भी क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कोरोना टेस्ट का कैंप लगाने का आग्रह किया गया है.

Last Updated : May 12, 2021, 8:00 PM IST
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