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हरीश रावत ने लिया गेठी के गुटकों का स्वाद, फायदों से लोगों को कराया रूबरू

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सोशल मीडिया पर लगातार पहाड़ी उत्पादों की ब्रांडिंग करते दिखाई देते हैं. इसी कड़ी में हरीश रावत घर पर पहाड़ी गेठी के फायदे गिनाते दिखाई दिए. साथ ही उन्होंने गेठी के स्वाद का जमकर मजा लिया. पहाड़ी अंचलों में गेठी का काफी उत्पादन होता है. लेकिन बाजार न मिलने से किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पाता है.

Former Chief Minister Harish Rawat
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत
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Published : Mar 4, 2022, 10:23 AM IST

Updated : Mar 4, 2022, 10:45 AM IST

देहरादून: प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सोशल मीडिया पर लगातार पहाड़ी उत्पादों की ब्रांडिंग करते दिखाई देते हैं. आम, लीची, भुट्टा, नींबू पार्टी के अलावा खिचड़ी, मशरूम भोज कार्यक्रम आयोजित करके पूर्व सीएम हरीश रावत ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं. इसके अलावा मंडुआ, कोदा, झंगोरा जैसे उत्पादों को जमकर प्रमोट करते आ रहे हैं. इसी कड़ी में हरीश रावत अपने घर पर पहाड़ी गेठी के फायदे गिनाते दिखाई दिए. साथ ही उन्होंने गेठी के गुटकों का जमकर स्वाद लिया.

यह पहला मौके नहीं हैं जब हरीश रावत पहाड़ी उत्पादों का प्रचार करते दिखे हों. हरदा पहले भी पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देने की पहल करते रहे हैं. हरीश रावत घर पर पहाड़ी गेठी के फायदे गिनाते दिखाई दिए. साथ ही उन्होंने गेठी के स्वाद का जमकर मजा लिया और लोगों को इसके फायदों से भी रूबरू कराया.
औषधि भी है गेठी: गौर हो कि प्राचीन समय से ही पहाड़ों में लाइलाज बीमारियों का इलाज परंपरागत तरीकों से ही किया जाता रहा है. आज के दौर में भी कई बीमारियों के लिए कंदमूल फलों का उपयोग कर पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों का इलाज किया जाता है. ऐसा ही एक फल है गेठी जो आम तौर पर जंगलों में पाया जाता है. गेठी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो कई रोगों से लड़ने में मदद करते हैं. वहीं अब इसके औषधीय गुणों को देखते हुए लोग घरों में भी गेठी की खेती कर रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत

गेठी की हैं 600 प्रजातियां: बता दें कि गेठी का वानस्पतिक नाम डाइस्कोरिया बल्बीफेरा है. ये डाइस्कोरेसी फैमिली का पौधा है. विश्व भर में गेठी की कुल 600 प्रजातियां पाई जाती हैं. गेठी का फल बेल में लगता है जो हल्के गुलाबी, भूरे और हरे रंग का होता है. आम तौर पर गेठी के फल की पैदावार अक्टूबर से नवंबर माह के दौरान होती है.
पढ़ें-यूपी विधानसभा चुनाव: आज CM धामी का वाराणसी दौरा, चुनावी प्रचार अभियान को देंगे धार

गेठी में डायोसजेनिन और डायोस्कोरिन नामक रसायनिक यौगिक पाए जाते हैं. इसका उपयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता है. साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों में लोग इसका उपयोग सब्जी के रूप में भी करते हैं. आम तौर पर गेठी के फल को पानी में उबालने के बाद इसका छिलका उतारा जाता है. जिसके बाद इसे तेल में भून कर इसमें मसाले मिलाए जाते हैं. जिसके बाद इसका उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है.

गेठी में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है. इसका उपयोग च्यवनप्राश बनाने में भी किया जाता है. गेठी का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा का स्तर भी बढ़ता है. खास तौर पर गेठी का औषधीय उपयोग मधुमेह, कैंसर, सांस की बीमारी, पेट दर्द, कुष्ठ रोग, अपच, पाचन क्रिया संतुलित करने, दागों से निजात, फेफड़ों की बीमारी में, पित्त की थैली में सूजन कम करने और बच्चों के पेट में पनपने वाले कीड़ों को खत्म करने में किया जाता है.

देहरादून: प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सोशल मीडिया पर लगातार पहाड़ी उत्पादों की ब्रांडिंग करते दिखाई देते हैं. आम, लीची, भुट्टा, नींबू पार्टी के अलावा खिचड़ी, मशरूम भोज कार्यक्रम आयोजित करके पूर्व सीएम हरीश रावत ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं. इसके अलावा मंडुआ, कोदा, झंगोरा जैसे उत्पादों को जमकर प्रमोट करते आ रहे हैं. इसी कड़ी में हरीश रावत अपने घर पर पहाड़ी गेठी के फायदे गिनाते दिखाई दिए. साथ ही उन्होंने गेठी के गुटकों का जमकर स्वाद लिया.

यह पहला मौके नहीं हैं जब हरीश रावत पहाड़ी उत्पादों का प्रचार करते दिखे हों. हरदा पहले भी पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देने की पहल करते रहे हैं. हरीश रावत घर पर पहाड़ी गेठी के फायदे गिनाते दिखाई दिए. साथ ही उन्होंने गेठी के स्वाद का जमकर मजा लिया और लोगों को इसके फायदों से भी रूबरू कराया.
औषधि भी है गेठी: गौर हो कि प्राचीन समय से ही पहाड़ों में लाइलाज बीमारियों का इलाज परंपरागत तरीकों से ही किया जाता रहा है. आज के दौर में भी कई बीमारियों के लिए कंदमूल फलों का उपयोग कर पहाड़ी क्षेत्रों में लोगों का इलाज किया जाता है. ऐसा ही एक फल है गेठी जो आम तौर पर जंगलों में पाया जाता है. गेठी में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जो कई रोगों से लड़ने में मदद करते हैं. वहीं अब इसके औषधीय गुणों को देखते हुए लोग घरों में भी गेठी की खेती कर रहे हैं.

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत

गेठी की हैं 600 प्रजातियां: बता दें कि गेठी का वानस्पतिक नाम डाइस्कोरिया बल्बीफेरा है. ये डाइस्कोरेसी फैमिली का पौधा है. विश्व भर में गेठी की कुल 600 प्रजातियां पाई जाती हैं. गेठी का फल बेल में लगता है जो हल्के गुलाबी, भूरे और हरे रंग का होता है. आम तौर पर गेठी के फल की पैदावार अक्टूबर से नवंबर माह के दौरान होती है.
पढ़ें-यूपी विधानसभा चुनाव: आज CM धामी का वाराणसी दौरा, चुनावी प्रचार अभियान को देंगे धार

गेठी में डायोसजेनिन और डायोस्कोरिन नामक रसायनिक यौगिक पाए जाते हैं. इसका उपयोग कई रोगों के इलाज में किया जाता है. साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों में लोग इसका उपयोग सब्जी के रूप में भी करते हैं. आम तौर पर गेठी के फल को पानी में उबालने के बाद इसका छिलका उतारा जाता है. जिसके बाद इसे तेल में भून कर इसमें मसाले मिलाए जाते हैं. जिसके बाद इसका उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है.

गेठी में प्रचुर मात्रा में फाइबर पाया जाता है. इसका उपयोग च्यवनप्राश बनाने में भी किया जाता है. गेठी का सेवन करने से शरीर में ऊर्जा का स्तर भी बढ़ता है. खास तौर पर गेठी का औषधीय उपयोग मधुमेह, कैंसर, सांस की बीमारी, पेट दर्द, कुष्ठ रोग, अपच, पाचन क्रिया संतुलित करने, दागों से निजात, फेफड़ों की बीमारी में, पित्त की थैली में सूजन कम करने और बच्चों के पेट में पनपने वाले कीड़ों को खत्म करने में किया जाता है.

Last Updated : Mar 4, 2022, 10:45 AM IST
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