देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस के लिए संगठनात्मक रूप से बीते दिन बेहद महत्वपूर्ण था. दरअसल उत्तराखंड कांग्रेस की तरफ से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और एआईसीसी के सदस्यों के निर्वाचन को लेकर राहुल गांधी को अधिकार देने से जुड़ा प्रस्ताव पास किया गया. लेकिन हैरानी की बात यह रही कि इतनी महत्वपूर्ण बैठक में हरीश रावत (Former CM Harish Rawat) प्रीतम सिंह (Congress leader Pritam Singh) और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल (Former state president Ganesh Godiyal) नहीं पहुंचे. उत्तराखंड कांग्रेस में एक बार फिर सब कुछ ठीक नहीं होने की बात कही जा रही है.
बताया जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्यों के निर्वाचन को लेकर पार्टी के कई दिग्गज नेता और विधायक नाराज हैं. पार्टी के भीतर यह बात काफी ज्यादा चर्चाओं में रही थी कि राहुल गांधी को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के साथ ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्यों के निर्वाचन का अधिकार देने से जुड़ी, इस बैठक में अपनी नाराजगी के कारण ही दिग्गज नेता नहीं पहुंचे.
बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के 80 नामों की सूची में 50% नामों को भी पीसीसी के नए निर्वाचित सदस्यों में शामिल नहीं किया गया. इतना ही नहीं यही स्थिति गणेश गोदियाल और प्रीतम सिंह समेत कई विधायकों के साथ रही. कहा जा रहा है कि विधायकों और इन बड़े नेताओं से पीसीसी सदस्यों को लेकर राय मशविरा नहीं किया गया और इसलिए पार्टी की यह नेता इस बात से खफा होकर बैठक में नहीं पहुंचे.
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हालांकि इस बैठक में इसके बावजूद मौजूद नेताओं ने एक लाइन का प्रस्ताव पास करते हुए राहुल गांधी को सभी सदस्यों के निर्वाचन को लेकर अधिकार देने से जुड़ा प्रस्ताव पास किया गया. उत्तराखंड में कांग्रेस के भीतर माना जा रहा है कि अब यह मुद्दा लंबे समय तक पार्टी नेताओं के बीच की दूरियां बढ़ाता हुआ दिखाई देगा. वैसे पहले ही हरिद्वार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में प्रत्याशियों के नामों को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद का सुझाव नहीं लिए जाने को लेकर नाराज दिखाई दिए हैं और इसको लेकर उन्हें सार्वजनिक बयान भी जारी किया है. ऐसे में अब संगठन में पदाधिकारियों के नामों पर कांग्रेस के भीतर की लड़ाई और तेज हो सकती है.