देहरादून: उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के सभी विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद प्रदेश में सियासी हलचल शुरू हो गई है. सत्ताधारी दल से लेकर विपक्ष तक सभी आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनाने में जुट गए हैं. विधानसभा चुनाव में भले ही अभी डेढ़ साल का समय बचा हो मगर, पार्टियां इसके लिए आतुर दिखाई दे रही हैं, जिसका पता उनकी बयानबाजियों से चलता है. पूर्व सीएम हरीश रावत भी पिछले कई सालों से राज्य में कांग्रेस की वापसी का सपना देख रहे हैं. जिसे पूरा करने के लिए वे सोशल मीडिया से सड़कों तक सरकार को घेरने में लगे हैं. मगर, प्रदेश में कांग्रेस की गुटबाजी से ये सवाल खड़ा होता है कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने के सपने को साकार कर पाएंगे या नहीं?
प्रदेश के राजनीतिक दल 2022 विधानसभा चुनाव के गुणा-भाग की कवायद में जुटे नजर आ रहे हैं. कांग्रेस के सीनियर नेता हरीश रावत का दिया गया बयान तो कुछ इसी ओर इशारा करता नजर आ रहा है. हरीश रावत का कहना है कि कांग्रेस सत्ता में आने पर प्रदेश की जनता को पहले 100 यूनिट और उसके बाद 200 यूनिट बिजली के साथ ही 25 लीटर शुद्ध पीने का पानी मुफ्त देगी. हरीश रावत के इस बयान से साफ तौर पर पता चलता है कि सत्ता से दूर हरीश रावत प्रदेश में सरकार बनाने का सपना देख रहे हैं.
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अब ऐसे में सवाल यह है कि क्या विपक्षी दल कांग्रेस का उत्तराखंड में तीसरी बार सरकार बनाने का सपना साकार हो पाएगा या फिर उनके हाथ मायूसी ही लगेगी. हालांकि, इस पूरे मामले में सरकार किसकी बनेगी, जीत का अंतर कितना होगा, कौन नेता किस विधानसभा क्षेत्र से अपनी सियासी किस्मत आजमाएगा और किसको जनता का जनादेश प्राप्त होगा? ये तमाम ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब देना अभी बहुत ज्यादा जल्दबाजी होगी, क्योंकि उत्तराखंड के 2022 के विधानसभा चुनाव में अभी काफी वक्त बचा है.
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मगर, प्रदेश में अभी इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि सत्ता सुख भोग चुकी बीजेपी और कांग्रेस, विधानसभा के चुनाव होने के 2 साल पहले से ही अपनी- अपनी रणनीति बनाने में जुट जाते हैं. शायद यही वजह है कि चुनाव के ब्लूप्रिंट तैयार किए जाने से पहले का जो वक्त है वो न सिर्फ बयानबाजी के लिहाज से बल्कि संगठनात्मक लिहाज से अहम है.
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विपक्षी पार्टी के नेता भले ही सरकार बनाने पर जनता को कई सौगात देने के ख्वाब दिखा रहे हो, लेकिन सरकार के राष्ट्रीय प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक का साफ तौर पर कहना है कि कांग्रेस ने राज्य गठन के दौरान भी झूठ बोला, कांग्रेस ने गैरसैंण में राजधानी के नाम पर भी झूठ बोला और अब भी झूठ बोल रही है. लिहाजा, ऐसे में आरोप-प्रत्यारोप की सियासत को आप साफ तौर पर पक्ष-विपक्ष के नेताओं के बीच जुबानी जंग के रूप में देख सकते हैं.
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कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह मिल बैठकर हरीश रावत के बयान पर चिंतन और मंथन करने के साथ ही आगामी रोड मैप जल्द ही तैयार कर मीडिया से साझा करने का दम भर रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि हरीश रावत के बयान को पार्टी प्लेटफार्म पर रखकर, उस पर विचार किया जाएगा. साथ ही उन्होंने बताया कि हरीश रावत को मैनेजमेंट, राज्य को चलाने का तजुर्बा है. ऐसे में जो हरीश रावत ने जो बात कही है वो बहुत सोच समझ कर ही कही होगी. लिहाजा, हरीश के बयान पर चर्चा की जाएगी.
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विपक्ष भले ही प्रदेश के जनमानस को अपनी सरकार बनाने पर 2022 में कई सौगात देने के दावे कर रहा हो, लेकिन सत्ता पक्ष को यह हजम नहीं हो रहा है. सत्ताधारी पार्टी भाजपा, हरीश रावत के इस बयान को सियासी दाव पेंच बता रही है. बीजेपी के प्रदेश सचिव विपिन कैंथोला के मुताबिक, हरीश रावत का प्रदेश में सरकार बनाना सिर्फ एक सपना है. बीजेपी को सत्ता की कमान सौंपने से पहले प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को जनादेश देकर सेवा करने का एक मौका दिया था. जब कांग्रेस अपने शासनकाल में ऐसा नहीं कर पाई तो अब इस तरह की बयानबाजी का क्या फायदा.
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वहीं, उत्तराखंड में 70 की 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने और दिल्ली मॉडल पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी आम आदमी पार्टी भी देवभूमि के दंगल में है. हरीश रावत के बयान पर प्रदेश प्रवक्ता नवीन का कहना है कि प्रदेश की जनता को फ्री बिजली और पानी देने का सपना आम आदमी पार्टी ही पूरा करेगी.
बहरहाल, कुल मिलाकर कहा जाये तो उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले हरीश रावत ने सियासी 'सपने' का एक और ख्वाब जनता को दिखाकर, राजनीतिक दलों के होश उड़ा दिये हैं. उनका ये बयान सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ. मगर ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा कि उनके इस बयान से उनका सपना पूरा होगा या नहीं.