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कैप्टन Vs सिद्धू: हरीश रावत की बैठक में नहीं बनी बात, अब राहुल-सोनिया करेंगे फैसला - punjab congress revolt

पंजाब सीएम अमरिंदर सिंह से नाराज चल रहे प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू गुट के चार मंत्रियों और तीन विधायकों ने देहरादून में पंजाब कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश रावत से साथ बैठक की. बैठक में उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर की, लेकिन हरीश रावत के दरबार में मसले का कोई हल नहीं निकला. आखिर में अब फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही करेंगे. हरीश रावत जल्द ही दिल्ली जाने वाले हैं.

punjab congress revolt
पंजाब कांग्रेस कलह
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Published : Aug 25, 2021, 4:17 PM IST

Updated : Aug 25, 2021, 4:59 PM IST

देहरादून: राजधानी दून में चल रही पंजाब कांग्रेस की बैठक के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है. हरीश रावत का कहना है कि बैठक में उन्होंने सभी नेताओं की बातों को सुना और जो भी बातें हुई हैं. उससे लगता है कि तमाम मंत्री और विधायक सही मुद्दे उठा रहे थे. फिलहाल उन्होंने कहा है कि ये परिवार की लड़ाई है और जल्द ही इस मसले को हल कर लिया जाएगा. इस पूरे मामले को लेकर 2 दिनों के अंदर को पार्टी आलाकमान से मिलने हरीश रावत दिल्ली जा रहे हैं. फिलहाल बैठक में क्या हुआ-क्या नहीं, वो दिल्ली में अपने नेता और राहुल गांधी को अवगत कराएंगे.

पंजाब के नेताओं ने बताई अपनी चिंता: पंजाब के चारों मंत्रियों और तीनों विधायकों से मिलने के बाद हरीश रावत ने कहा कि उन्होंने अपनी चिंता बताई है, वो पार्टी की जीत की संभावनाओं को लेकर भी चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि उनका विरोध किसी व्यक्ति से नहीं है और वो चाहते हैं कि चुनाव में कांग्रेस एक स्पष्ट रोडमैप के साथ आगे जाए. रावत ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा और न ही सरकार को कोई खतरा है.

हरीश रावत की बैठक में नहीं बनी बात.

पढ़ें- सिद्धू को हरीश रावत की क्लीन चिट, कहा- कुछ सोच समझकर दिया दायित्व, पूरी कांग्रेस नहीं सौपी

कोई नाराजगी पार्टी के रास्ते न आए: हरीश रावत ने कहा कि सभी मंत्रियों एवं विधायकों की जिला और राज्य प्रशासन की कार्य पद्धति को लेकर भी कुछ शिकायतें थीं. कांग्रेस का कोई विधायक अगर अपने को असुरक्षित समझता है और प्रशासन उसको हराने की कोशिश कर सकता है या उसके खिलाफ काम कर सकता है तो ये बहुत चिंताजनक बात है. अगर किसी को किसी से कोई नाराजगी है तो ये कांग्रेस के रास्ते में नहीं आनी चाहिए. कांग्रेस के लिए बहुत आवश्यक है कि वो पंजाब में मिलकर चुनाव लड़े. मंत्रीगणों और विधायकों ने आश्वासन दिया कि उनका पार्टी और हाईकमान में पूरा विश्वास है.

क्या कहते हैं पंजाब के नेता: पंजाब के कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का कहना है कि कांग्रेस में अपनी बात रखने के लिए एक प्रोटोकॉल होता है, पार्टी आलाकमान को कहा जाता है. उन्होंने हरीश रावत के आगे अपनी बात रख दी है, क्योंकि वह पंजाब के प्रभारी हैं और काफी हद तक वह भी उनकी बातों से सहमत हैं. उन्होंने कहा है कि वह इस पूरे मामले को लेकर आलाकमान से बात करेंगे.

पढ़ें- हरदा के दरबार से सिद्धू समर्थकों को झटका, बोले- अमरिंदर ही रहेंगे चुनाव में 'कैप्टन'

चन्नी ने कहा कि जबतक वो सारे मुद्दे और सारे वादे पूरे नहीं हो जाते, जो चुनावों में विधायकों-मंत्रियों ने जनता से किए थे, तबतक वो जोरों-शोरों से पंजाब की आवाम और वहां के विधायकों की बात रखते रहेंगे. चन्नी ने कहा कि अगर यह मसले पूरे हो जाते हैं, तभी कांग्रेस के तमाम विधायक शांत हो पाएंगे.

सलाहकारों को संभालें सिद्धू: हरीश रावत का कहना है कि पार्टी आलाकमान ने पार्टी के नवनियुक्त पंजाब अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को भी कहा है कि वो अपने सलाहकारों को संभालें, ताकि उनकी वजह से कांग्रेस में कोई विवाद पैदा न हो. इसके साथ ही रावत ने कहा कि पूरे मामले के पीछे सिद्धू नहीं हैं, बल्कि सिद्धू एक अलग परिवेश से आए हैं. उनको पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ तालमेल बिठाने में वक्त लगेगा. उन्होंने कहा कि कई बातों और भविष्य को देखकर उनको पंजाब का दायित्व सौंपा गया है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि पूरी कांग्रेस उनको सौंप दी है.

इसके साथ ही पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के कार्यों की तारीफ की. उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब के किसानों को गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाकर तोहफा दिया है.

गौर हो कि पंजाब में कांग्रेस में जारी उथल-पुथल के बीच पंजाब सरकार के चार कैबिनेट मंत्री- तृप्त बिजेंद्र बाजवा, सुखजिंदर रंधावा, सुख सरकारिया, चरणजीत सिंह चन्नी और तीन कांग्रेस विधायक देहरादून हरीश रावत से मिलने पहुंचे हैं. वहीं, पंजाब के नेताओं के साथ बैठक से पहले हरीश रावत ने साफ कर दिया था कि 2022 का चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा, चेहरा बदलने जैसी कोई बात नहीं है. हरीश रावत ने कहा था कि सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री कुछ मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से नाराज हैं, उनकी नाराजगी को दूर कर दिया जाएगा.

देहरादून: राजधानी दून में चल रही पंजाब कांग्रेस की बैठक के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है. हरीश रावत का कहना है कि बैठक में उन्होंने सभी नेताओं की बातों को सुना और जो भी बातें हुई हैं. उससे लगता है कि तमाम मंत्री और विधायक सही मुद्दे उठा रहे थे. फिलहाल उन्होंने कहा है कि ये परिवार की लड़ाई है और जल्द ही इस मसले को हल कर लिया जाएगा. इस पूरे मामले को लेकर 2 दिनों के अंदर को पार्टी आलाकमान से मिलने हरीश रावत दिल्ली जा रहे हैं. फिलहाल बैठक में क्या हुआ-क्या नहीं, वो दिल्ली में अपने नेता और राहुल गांधी को अवगत कराएंगे.

पंजाब के नेताओं ने बताई अपनी चिंता: पंजाब के चारों मंत्रियों और तीनों विधायकों से मिलने के बाद हरीश रावत ने कहा कि उन्होंने अपनी चिंता बताई है, वो पार्टी की जीत की संभावनाओं को लेकर भी चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि उनका विरोध किसी व्यक्ति से नहीं है और वो चाहते हैं कि चुनाव में कांग्रेस एक स्पष्ट रोडमैप के साथ आगे जाए. रावत ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा और न ही सरकार को कोई खतरा है.

हरीश रावत की बैठक में नहीं बनी बात.

पढ़ें- सिद्धू को हरीश रावत की क्लीन चिट, कहा- कुछ सोच समझकर दिया दायित्व, पूरी कांग्रेस नहीं सौपी

कोई नाराजगी पार्टी के रास्ते न आए: हरीश रावत ने कहा कि सभी मंत्रियों एवं विधायकों की जिला और राज्य प्रशासन की कार्य पद्धति को लेकर भी कुछ शिकायतें थीं. कांग्रेस का कोई विधायक अगर अपने को असुरक्षित समझता है और प्रशासन उसको हराने की कोशिश कर सकता है या उसके खिलाफ काम कर सकता है तो ये बहुत चिंताजनक बात है. अगर किसी को किसी से कोई नाराजगी है तो ये कांग्रेस के रास्ते में नहीं आनी चाहिए. कांग्रेस के लिए बहुत आवश्यक है कि वो पंजाब में मिलकर चुनाव लड़े. मंत्रीगणों और विधायकों ने आश्वासन दिया कि उनका पार्टी और हाईकमान में पूरा विश्वास है.

क्या कहते हैं पंजाब के नेता: पंजाब के कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का कहना है कि कांग्रेस में अपनी बात रखने के लिए एक प्रोटोकॉल होता है, पार्टी आलाकमान को कहा जाता है. उन्होंने हरीश रावत के आगे अपनी बात रख दी है, क्योंकि वह पंजाब के प्रभारी हैं और काफी हद तक वह भी उनकी बातों से सहमत हैं. उन्होंने कहा है कि वह इस पूरे मामले को लेकर आलाकमान से बात करेंगे.

पढ़ें- हरदा के दरबार से सिद्धू समर्थकों को झटका, बोले- अमरिंदर ही रहेंगे चुनाव में 'कैप्टन'

चन्नी ने कहा कि जबतक वो सारे मुद्दे और सारे वादे पूरे नहीं हो जाते, जो चुनावों में विधायकों-मंत्रियों ने जनता से किए थे, तबतक वो जोरों-शोरों से पंजाब की आवाम और वहां के विधायकों की बात रखते रहेंगे. चन्नी ने कहा कि अगर यह मसले पूरे हो जाते हैं, तभी कांग्रेस के तमाम विधायक शांत हो पाएंगे.

सलाहकारों को संभालें सिद्धू: हरीश रावत का कहना है कि पार्टी आलाकमान ने पार्टी के नवनियुक्त पंजाब अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को भी कहा है कि वो अपने सलाहकारों को संभालें, ताकि उनकी वजह से कांग्रेस में कोई विवाद पैदा न हो. इसके साथ ही रावत ने कहा कि पूरे मामले के पीछे सिद्धू नहीं हैं, बल्कि सिद्धू एक अलग परिवेश से आए हैं. उनको पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ तालमेल बिठाने में वक्त लगेगा. उन्होंने कहा कि कई बातों और भविष्य को देखकर उनको पंजाब का दायित्व सौंपा गया है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि पूरी कांग्रेस उनको सौंप दी है.

इसके साथ ही पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के कार्यों की तारीफ की. उन्होंने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब के किसानों को गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाकर तोहफा दिया है.

गौर हो कि पंजाब में कांग्रेस में जारी उथल-पुथल के बीच पंजाब सरकार के चार कैबिनेट मंत्री- तृप्त बिजेंद्र बाजवा, सुखजिंदर रंधावा, सुख सरकारिया, चरणजीत सिंह चन्नी और तीन कांग्रेस विधायक देहरादून हरीश रावत से मिलने पहुंचे हैं. वहीं, पंजाब के नेताओं के साथ बैठक से पहले हरीश रावत ने साफ कर दिया था कि 2022 का चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा, चेहरा बदलने जैसी कोई बात नहीं है. हरीश रावत ने कहा था कि सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री कुछ मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से नाराज हैं, उनकी नाराजगी को दूर कर दिया जाएगा.

Last Updated : Aug 25, 2021, 4:59 PM IST
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