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हरदा ने मंत्री धन सिंह रावत को लगाई 'डांट', जानिए वजह - धन सिंह रावत

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ट्वीट करते हुए धन सिंह रावत पर हमला बोला है. हरदा लिखते हैं कि अगर उत्तराखंड में अशासकीय स्कूलों के अनुदान अंश को खत्म किया, तो ये सरकार का गलत निर्णय होगा.

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Published : Dec 11, 2020, 6:44 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड के कद्दावर कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. समय समय पर सूबे की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को निशाने पर लेते रहते हैं. इस बार उनके निशाने पर आए हैं उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत. ट्वीट करते हुए हरदा कहते हैं कि आज उनका मन धन सिंह रावत को डांटने का कर रहा है. वो आगे लिखते हैं कि धन सिंह उनके छोटे भाई की तरह हैं.

  • . @drdhansinghuk जी हमारे छोटे भाई हैं, आज थोड़ा सा उनको डांटने का मन कर रहा है। ये #अशासकीय_विद्यालयों के अनुदान बंद करने के विषय में जो चर्चाएं हैं, वो ठीक नहीं हैं।अशासकीय विद्यालयों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। शिक्षा में यदि हम प्राइवेट पूंजी नहीं लाएंगे तो उत्तराखंड के pic.twitter.com/lcaMW6cIWu

    — Harish Rawat (@harishrawatcmuk) December 11, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उत्तराखंड की राजनीति में हरीश रावत की चर्चा उतनी ही तार्किक है, जितना दाल में हींग का स्वाद. जी हां हरीश रावत को अपनी बयानबाजी से सुर्खिया बटोरना खूब आता है. इन दिनों उत्तराखंड में अशासकीय स्कूलों पर अंशदान बंद करने का खतरा मंडरा रहा है. इस पर हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत को डांट लगाई है. वे कहते हैं कि शिक्षण संस्थाओं पर सरकार का फोकस कम नहीं होना चाहिए. इसलिए अंशदान समाप्त कर देना गलत निर्णय है. हरदा आगे लिखते हैं कि ऐसी चर्चाएं चल रही हैं कि सरकार अशासकीय स्कूलों का अंशदान समाप्त करने पर विचार कर रही है. अगर ऐसा है तो ये गलत निर्णय है.

पढ़ेंः अब आपको आत्मनिर्भर भी बनाएगा मनरेगा, स्वरोजगार के लिए भी मिलेगी मदद

बता दें कि राज्य सरकार ने अशासकीय सहायता प्राप्त स्कूलों की समीक्षा कराने का निर्णय लिया है. शिक्षा निदेशक को सभी स्कूलों के शैक्षिक प्रदर्शन व छात्र संख्या के आधार पर समीक्षा के आदेश दिए गए हैं. सरकार का मानना है कि जो स्कूल अनुदान के बावजूद बेहतर प्रदर्शन नहीं कर रहे, उनका अनुदान खत्म किया जाए.

अनुदान को लेकर सरकार-शिक्षा विभाग के सख्त रुख से अशासकीय स्कूलों में बेचैनी है. अशासकीय शिक्षकों ने इस मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी भी दे डाली है. राज्य में इस वक्त 331अशासकीय हाईस्कूल और इंटर कॉलेज के शिक्षक-कर्मचारियों के वेतन का खर्च सरकार खुद उठाती है.

देहरादूनः उत्तराखंड के कद्दावर कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. समय समय पर सूबे की मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को निशाने पर लेते रहते हैं. इस बार उनके निशाने पर आए हैं उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत. ट्वीट करते हुए हरदा कहते हैं कि आज उनका मन धन सिंह रावत को डांटने का कर रहा है. वो आगे लिखते हैं कि धन सिंह उनके छोटे भाई की तरह हैं.

  • . @drdhansinghuk जी हमारे छोटे भाई हैं, आज थोड़ा सा उनको डांटने का मन कर रहा है। ये #अशासकीय_विद्यालयों के अनुदान बंद करने के विषय में जो चर्चाएं हैं, वो ठीक नहीं हैं।अशासकीय विद्यालयों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। शिक्षा में यदि हम प्राइवेट पूंजी नहीं लाएंगे तो उत्तराखंड के pic.twitter.com/lcaMW6cIWu

    — Harish Rawat (@harishrawatcmuk) December 11, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

उत्तराखंड की राजनीति में हरीश रावत की चर्चा उतनी ही तार्किक है, जितना दाल में हींग का स्वाद. जी हां हरीश रावत को अपनी बयानबाजी से सुर्खिया बटोरना खूब आता है. इन दिनों उत्तराखंड में अशासकीय स्कूलों पर अंशदान बंद करने का खतरा मंडरा रहा है. इस पर हरीश रावत ने सोशल मीडिया पर उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत को डांट लगाई है. वे कहते हैं कि शिक्षण संस्थाओं पर सरकार का फोकस कम नहीं होना चाहिए. इसलिए अंशदान समाप्त कर देना गलत निर्णय है. हरदा आगे लिखते हैं कि ऐसी चर्चाएं चल रही हैं कि सरकार अशासकीय स्कूलों का अंशदान समाप्त करने पर विचार कर रही है. अगर ऐसा है तो ये गलत निर्णय है.

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बता दें कि राज्य सरकार ने अशासकीय सहायता प्राप्त स्कूलों की समीक्षा कराने का निर्णय लिया है. शिक्षा निदेशक को सभी स्कूलों के शैक्षिक प्रदर्शन व छात्र संख्या के आधार पर समीक्षा के आदेश दिए गए हैं. सरकार का मानना है कि जो स्कूल अनुदान के बावजूद बेहतर प्रदर्शन नहीं कर रहे, उनका अनुदान खत्म किया जाए.

अनुदान को लेकर सरकार-शिक्षा विभाग के सख्त रुख से अशासकीय स्कूलों में बेचैनी है. अशासकीय शिक्षकों ने इस मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी भी दे डाली है. राज्य में इस वक्त 331अशासकीय हाईस्कूल और इंटर कॉलेज के शिक्षक-कर्मचारियों के वेतन का खर्च सरकार खुद उठाती है.

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