देहरादून: राजनीति में यूं तो झूठ के सहारे जनता को बेवकूफ बनाना कोई अनोखी बात नहीं है. लेकिन उत्तराखंड में सच-झूठ की बहस कांग्रेस के दो दिग्गजों पीसीसी चीफ प्रीतम सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच ही दिखने लगी है. देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.
हाल ही में कांग्रेस ने दो चुनावों में हार का मुंह देखा. पहला पिथौरागढ़ उपचुनाव और दूसरा रुड़की नगर निगम का मेयर पद. यूं तो ये बात अब पुरानी हो गयी है. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के एक बयान ने फिर चुनावी हार को ताज़ा कर दिया है.
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खास बात ये है कि इस बयान ने दो दिग्गज नेताओं पीसीसी चीफ प्रीतम सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच सच-झूठ की बहस भी खड़ी कर दी है. यहां तक कि कैमरे के पीछे नेताजी अपने सच के लिए मंदिर में जाकर कसम खाने तक को तैयार हैं. दरअसल हरीश रावत ने सरेराह कार्यकर्ताओं के सामने पिथौरागढ़ और रुड़की चुनाव में प्रत्याशी को लेकर उनसे न पूछे जाने का दावा किया है. तो प्रीतम सिंह ने हरदा के इस बयान को सिरे से ही झुठला दिया. हालांकि हरदा इसपर कुछ बचाव करते हुए कहते हैं कि इस मामले में उनसे पूछे जाने की जरूरत भी नहीं थी. वहीं प्रीतम सिंह दो टूक कहते हैं कि उनके द्वारा हरीश रावत से प्रत्याशी चयन के लिए पूछा गया था चाहे वह चुनाव पिथौरागढ़ हो या फिर रुड़की.
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अभी झूठ पर कौवा तो नहीं काटेगा. लेकिन यदि झूठ सामने आ गया तो नेताजी की किरकिरी होने से कोई नहीं बचा सकता. हालांकि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ, यह तो दोनों नेता ही जानते हैं. लेकिन राजनीति में अब अपनों पर भी झूठ का सितम पार्टी की एकता के लिए परेशानी जरूर पैदा कर सकता है.