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महंगाई पर फिर भड़के हरीश रावत, सरकार को दी ये नसीहत

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Published : Apr 26, 2021, 4:01 PM IST

पूर्व सीएम हरीश रावत ने उत्तराखंड सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि महंगाई ऐसे ही बढ़ती रही तो घर चलाना मुश्किल हो जाएगा.

महंगाई पर फिर भड़के हरदा
महंगाई पर फिर भड़के हरदा

देहरादून: समय-समय पर विभिन्न मुद्दों पर उत्तराखंड सरकार को नसीहत देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस बार महंगाई के मुद्दे पर सरकार को घेरा है. पूर्व सीएम हरीश रावत ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'सरकार चलाने वाला कोई व्यक्ति, क्या आवश्यक वस्तुओं के दामों में जिस तरीके से आग लगती जा रही है, उसको भी देख रहा है? केवल गेहूं और चावल से पेट नहीं भरता है. चावल और आटे के साथ-साथ बहुत सारी और चीजों की भी जरूरी होती है'.

महंगाई पर फिर भड़के हरदा
महंगाई पर फिर भड़के हरदा.

हरदा ने आगे लिखा कि 'पेट भरने के लिए और उन चीजों के दामों में जिस तरीके की वृद्धि हो रही है, छोटी-छोटी चीजें आवश्यकता की जो लोगों की रसोई के आवश्यक वस्तु में सम्मिलित हो गई हैं उनके दाम कितने तेजी से बढ़ रहे हैं. यदि ऐसी ही स्थिति रही तो अच्छे खासे लोगों के लिए अपना घर-परिवार चलाना, अपने बच्चों के लिए रोटी-कपड़े का इंतजाम करना असंभव हो जाएगा'.

पढ़ें: फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में कोरोना के 107 नए मरीज मिले, बाहरी लोगों की एंट्री बंद

प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बोलते हुए हरदा ने लिखा कि 'दवाइयों के दाम, पैरासिटामॉल मिल नहीं रही हैं और भी कुछ दवाइयां जो इस बीमारी में किसी भी प्रकार से प्रयोग में आती हैं, उनके दाम इतने बढ़ गये हैं कि खुली लूट सी लगती है.

देहरादून: समय-समय पर विभिन्न मुद्दों पर उत्तराखंड सरकार को नसीहत देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस बार महंगाई के मुद्दे पर सरकार को घेरा है. पूर्व सीएम हरीश रावत ने ट्वीट करते हुए लिखा कि 'सरकार चलाने वाला कोई व्यक्ति, क्या आवश्यक वस्तुओं के दामों में जिस तरीके से आग लगती जा रही है, उसको भी देख रहा है? केवल गेहूं और चावल से पेट नहीं भरता है. चावल और आटे के साथ-साथ बहुत सारी और चीजों की भी जरूरी होती है'.

महंगाई पर फिर भड़के हरदा
महंगाई पर फिर भड़के हरदा.

हरदा ने आगे लिखा कि 'पेट भरने के लिए और उन चीजों के दामों में जिस तरीके की वृद्धि हो रही है, छोटी-छोटी चीजें आवश्यकता की जो लोगों की रसोई के आवश्यक वस्तु में सम्मिलित हो गई हैं उनके दाम कितने तेजी से बढ़ रहे हैं. यदि ऐसी ही स्थिति रही तो अच्छे खासे लोगों के लिए अपना घर-परिवार चलाना, अपने बच्चों के लिए रोटी-कपड़े का इंतजाम करना असंभव हो जाएगा'.

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