देहरादून: उत्तराखंड सीएम (uttarakhand cm) के रूप में पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) की अभी ताजपोशी भी नहीं हुई कि उससे पहले वे बीजेपी पार्टी (BJP Party) और विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं. जहां उनको सीएम बनाने को लेकर भाजपा में बगावत (Revolt in BJP) की सुगबुगाहट देखी जा रही है. वहीं, विपक्ष भी लगातार हमलावर बना हुआ है. पूर्व सीएम हरीश रावत (Former CM Harish Rawat) ने जहां कल धामी को सीएम चुने जाने की बधाई दी थी. वहीं, आज वो उनके साथ बीजेपी पार्टी पर निशाना साधने से नहीं चुके.
हरदा ने सोशल मीडिया (social media) के माध्यम से बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि उत्तराखंड के नये मुख्यमंत्री जी को मैं कल ही बधाई दे चुका हूं. आज उन्हें एक सलाह देना चाहता हूं, उनके पास और उनकी पार्टी के पास यह अंतिम अवसर है कि वो 2017 के अपने चुनावी घोषणा पत्र (election manifesto) को खोलें. क्योंकि मुझे नहीं लगता है कि पहले के दोनों माननीय मुख्यमंत्रियों ने चुनावी घोषणा पत्र को खोला है.
यदि पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) चुनावी घोषणा पत्र को खोल लेते हैं तो उन्हें एक अच्छा विद्यार्थी माना जाएगा. जिस राज्य में बेरोजगारी की वृद्धि दर (unemployment growth rate) 23.30 प्रतिशत पहुंच गई हो, कोरोना की दूसरी लहर (second wave of corona) में हॉस्पिटलों ने किस तरीके से अंडर रिर्पोटिंग की है, उसकी कहानियां छप रही हों. जहां कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग (corona testing) का एक सर्वनाम घोटाला हो गया हो, विकास कार्य ठप पड़े हुए हों, अपराधों की वृद्धि दर सर्वाधिक हो, उस राज्य के नवागंतुक मुख्यमंत्री जी के लिए बहुत सारी चुनौतियां हैं.
उन्होंने कहा कि मैं एक सलाह धामी को और देना चाहूंगा कि वो इस मामले में अपने प्रदेश अध्यक्ष के झूठ को उत्तराखंड के नौजवानों के सामने न परोसें, उन्होंने एक झूठ परोसा है कि 7 लाख लोगों को नौकरियां दी हैं. मैं समझता हूंं कि इतना लंबा झूठ बोलने का रिकॉर्ड और किसी के नाम पर नहीं होगा. यह संख्या केवल कुछ दर्जनों तक सीमित है.
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जहां हरदा ने बीजेपी सरकार को जमकर खरी खोटी सुनाने में कोई कमी नहीं रखी. वहीं, उन्होंने अपने कार्यकाल की उपलब्धियों का गुणगान करने से नहीं चुके. उन्होंने कहा कि मेरे 3 साल के कार्यकाल में 32 हजार लोग राजकीय सेवाओं में किसी न किसी रूप में कार्यरत हुए. आज यह संख्या भाजपा राज में 320 तक भी नहीं पहुंच पाई है. नौजवान छटपटा रहा है. हमारे समय में जो अधियाचन हुए थे, वो अधियाचन सब रोक दिए गए. जो परीक्षाएं हुई उन परीक्षाओं के रिजल्ट घोषित नहीं हो रहे हैं.
वहीं, कुछ जगह यदि परीक्षाएं हुई हैं और रिजल्ट निकले हैं तो पोस्टों को सीज कर दी गई हैं. अर्थात कम कर दी गई हैं, जैसे विद्युत विभाग में. यदि पुष्कर धामी इन असंगतियों को भी ठीक कर दें, उनसे ऐसी बड़ी उम्मीद करना उनके ऊपर ज्यादती होगी. क्योंकि भाजपा का रिकॉर्ड रोजगार देने का है ही नहीं. फिर भाजपा के ही कुछ साथी उनको नाइट वॉचमैन बताते नहीं थक रहे हैं.
मैं कल से उत्तराखंड में कुछ सुगबुगाहटें सुन रहा हूंं. मेरी चिंता यह नहीं है कि भाजपा के अंदर क्या हो रहा है? उनका नाइट वॉचमैन बिना रन बनाए आउट होता है या कुछ देर टुक-टुक करता है. बल्कि मेरी चिंता यह है कि भाजपा उत्तराखंड को किस बात का दंड दे रही है, अपार बहुमत देने का.
मैं पुष्कर सिंह धामी से कहना चाहूंगा कि मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री होता है. वो कितनी ही अवधि का मुख्यमंत्री क्यों ना हो. यदि उसमें निर्णय लेने की संकल्प शक्ति है तो निर्णय लिए जाते हैं. मैंने सर्वाधिक निर्णय उस दौर में लिए जब मेरी सरकार पर केंद्र सरकार ने राजनैतिक अस्थिरता थोप दी थी. एक तरफ न्यायालय में मुकदमे लड़ रहे थे और दूसरी तरफ जनता के हित के लिए जिस दिन भी वक्त मिल रहा था, उस उस दिन फैसला कर रहे थे.
जिस दिन मैं 1 दिन के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन हुआ, मैंने एक दर्जन जन कल्याणकारी निर्णय लिए और उनको लागू करवाया. इसलिए भाजपा में तो किसी मुख्यमंत्री का ऐसा रिकॉर्ड नहीं है, वो हमारा रिकॉर्ड खंगाल लें और उस रिकॉर्ड में उनको बहुत सारे उदाहरण मिल जाएंगे कि निर्णय कैसे लिए जाते हैं. मेरा किसी भी भाजपाई के साथ कोई सॉफ्ट कॉर्नर नहीं है, लेकिन नौजवान के साथ जरूर सॉफ्ट कॉर्नर है, एक नौजवान को मौका मिला है तो मैं चाहता हूं कि वो नौजवान थोड़ा सा ही सही, कुछ तो चमक दिखाएं. यदि कुछ भी चमक नहीं दिखा पाया तो हजारों हजार उत्तराखंड के नौजवानों को घोर निराशा होगी.