देहरादून: उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के मौके पर द हंस फाउंडेशन ने भूमि संरक्षण वन प्रभाग, लैंसडाउन के साथ मिलकर राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज, द्वारीखाल से उत्तराखंड के वनों को आग से बचाने के लिए कठपुतली कार्यक्रम के माध्यम से संदेश दिया. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा हाल ही में जारी की गयी पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक रिपोर्ट 2022 के अनुसार भारत में पर्यावरण के प्रति जागरूकता काफी कम है. इसके अनुसार 180 देशों की रैंकिंग में भारत का स्थान सबसे पीछे रहा. जन समुदाय को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने तथा खास तौर पर उत्तराखंड के वनों को आग से बचाने के लिए द हंस फाउंडेशन द्वारा वर्ष 2022 की शुरूआत से ही फाउंडेशन द्वारा संचालित वन अग्नि शमन एवं रोकथाम परियोजना के माध्यम से वृहृद स्तर पर जन-जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है.
फाउंडेशन द्वारा राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज, द्वारीखाल में संचार जन चेतना ट्रस्ट के कलाकारों के माध्यम से कठपुतली नाटक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कठपुतली के माध्यम से संचार जन चेतना ट्रस्ट के कलाकारों द्वारा संदेश दिया गया कि वनों का हमारे जीवन में क्या महत्व है तथा किस प्रकार जाने-अनजाने हम लोग अपने वनों को आग से नुकसान पहुंचा रहे हैं.
प्रसिद्व पपेटर रामलाल एवं उनके साथी कलाकारों द्वारा कठपुतली के माध्यम से बतलाया गया कि वन नहीं होंगे तो हम नहीं होंगे, क्योंकि यदि वन नहीं रहेंगे तो न ही वन्य जीव रहेंगे, न ही पानी बचेगा और न ही हमारी खेती और जीवन बचेगा. कार्यक्रम में कठपुतली बोलती है कि हमें फिर से एकजुट होकर आगे आना होगा तथा अपने उत्तराखंड के वनों को बचाना होगा. यदि आज हमने अपनी बहुमूल्य वन संपदा को नहीं बचाया तो कल बहुत पछताना पडे़गा.
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द हंस फाउंडेशन द्वारा उत्तराखंड के वनों को आग से बचाने हेतु वन विभाग के साथ मिलकर पौड़ी एवं टिहरी गढ़वाल के 500 ग्रामों में यह परियोजना चलायी जा रही है, जिसमें वृहृद स्तर पर जन-जागरूकता के साथ ही ग्राम स्तर पर 2500 फायर फायटर्स का चयन किया गया है. इन चयनित ग्रामीणों को फाउंडेशन द्वारा वनाग्नि प्रबन्धन हेतु प्रशिक्षण तथा आवश्यक उपकरण भी उपलब्ध कराये जा रहे हैं. हाल ही में द हंस फाउंडेशन द्वारा चयनित 2500 फायर फायटर्स को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रत्येक का 5 लाख का दुर्घटना बीमा भी कराया गया है.
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कठपुतली नाटक कार्यक्रम में द हंस फाउंडेशन से परियोजना प्रबन्धक मनोज जोशी, परियोजना समन्वयक सतीश बहुगुणा एवं अन्य स्टाफ, वन विभाग के कार्मिक, संचार जन चेतना के कलाकार, अध्यापकगण, ग्रामीण एवं स्कूली छात्र-छात्रायें उपस्थित रहे.