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GROUND ZERO: तीर्थ पुरोहित बोले- केदारघाटी को पर्यटन स्थल नहीं, धार्मिक स्थल के रूप में विकसित करे सरकार

केदारनाथ में साल 2013 को आई आपदा को आज 6 साल पूरे हो चुके हैं. ऐसे में ETV Bharat की टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची और केदारधाम आपदा के बाद कितना बदला, इस बारे में तीर्थ पुरोहित से बातचीत की.

ग्राउंड जीरो पर ईटीवी भारत की टीम
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Published : Jun 16, 2019, 1:59 PM IST

Updated : Jun 16, 2019, 2:26 PM IST

केदारनाथ: 16 जून 2013 को केदारनाथ धाम में आई भीषण आपदा को आज 6 साल पूरे हो चुके हैं. यह आपदा हिमालयी क्षेत्र की सबसे बड़ी विनाशकारी आपदा थी. जिसमें सरकारी आंकड़ों के निसाब से लगभग 5 हजार लोग काल के गाल में समा गये. इसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे भी शामिल थे.

केदारनाथ त्रासदी को 6 साल पूरे होने के मौके पर ETV Bharat की टीम केदारधाम पहुंची. इस दौरान उस भयानक मंजर को लेकर तीर्थ पुरोहित से बातचीत की. साल 2013 के उस भयानक दिन को याद करते हुए तीर्थ पुरोहित ने बताया कि 15 जून 2013से शुरू हुई बारिश 24 घंटों से लगातार जारी थी.

ग्राउंड जीरो पर ईटीवी भारत की टीम.

लगातार जारी बारिश को देखकर एहसास होने लगा था कि यह सामान्य बारिश नहीं है. अगले दिन देर शाम बाबा केदार की आरती खत्म होने के कुछ देर बाद ही अचानक ही पीछे की पहाड़ी से जल सैलाब आया जो चंद मिनटों में ही बाबा केदार के मंदिर को छोड़ आस-पास मौजूद अन्य सभी इमारतों को अपने साथ बहा ले गया.

स्थानीय निवासियों में शासन-प्रशासन के प्रति नाराजगी- तीर्थ पुरोहित

तीर्थ पुरोहित का कहना है कि साल 2013 की आपदा के बाद चारधाम यात्रा पूरी तरह बे-पटरी हो गयी थी, लेकिन सरकार की कोशिशों के बाद यात्रा एक बार फिर पटरी पर आ गई है. केदारनाथ धाम एक बार फिर श्रद्धालुओं से गुलजार होने लगा है लेकिन यहां के निवासियों में शासन-प्रशासन के खिलाफ एक नाराजगी जरूर है.

पढ़ें- CM ने जल शक्ति मंत्री से की मुलाकात, नमामि गंगे प्रोजेक्ट के लिए 802 करोड़ रिलीज करने की मांग

केदारनाथ धाम को बने धार्मिक स्थल- तीर्थ पुरोहित

पुरोहित के अनुसार राज्य सरकार केदारनाथ धाम को एक पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित कर रही है, जबकि इसे एक धार्मिक स्थल के तौर पर विकसित किया जाना था. यही कारण है कि आज गौरीकुंड से पैदल केदारनाथ धाम तक पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए चलने तक की उचित व्यवस्था नहीं है. वहीं, दूर-दूर से आने वाले अमीर पर्यटकों के लिए यहां हेलीकॉप्टर तक की व्यवस्था की गई है.

केदारनाथ: 16 जून 2013 को केदारनाथ धाम में आई भीषण आपदा को आज 6 साल पूरे हो चुके हैं. यह आपदा हिमालयी क्षेत्र की सबसे बड़ी विनाशकारी आपदा थी. जिसमें सरकारी आंकड़ों के निसाब से लगभग 5 हजार लोग काल के गाल में समा गये. इसमें स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए पहुंचे भी शामिल थे.

केदारनाथ त्रासदी को 6 साल पूरे होने के मौके पर ETV Bharat की टीम केदारधाम पहुंची. इस दौरान उस भयानक मंजर को लेकर तीर्थ पुरोहित से बातचीत की. साल 2013 के उस भयानक दिन को याद करते हुए तीर्थ पुरोहित ने बताया कि 15 जून 2013से शुरू हुई बारिश 24 घंटों से लगातार जारी थी.

ग्राउंड जीरो पर ईटीवी भारत की टीम.

लगातार जारी बारिश को देखकर एहसास होने लगा था कि यह सामान्य बारिश नहीं है. अगले दिन देर शाम बाबा केदार की आरती खत्म होने के कुछ देर बाद ही अचानक ही पीछे की पहाड़ी से जल सैलाब आया जो चंद मिनटों में ही बाबा केदार के मंदिर को छोड़ आस-पास मौजूद अन्य सभी इमारतों को अपने साथ बहा ले गया.

स्थानीय निवासियों में शासन-प्रशासन के प्रति नाराजगी- तीर्थ पुरोहित

तीर्थ पुरोहित का कहना है कि साल 2013 की आपदा के बाद चारधाम यात्रा पूरी तरह बे-पटरी हो गयी थी, लेकिन सरकार की कोशिशों के बाद यात्रा एक बार फिर पटरी पर आ गई है. केदारनाथ धाम एक बार फिर श्रद्धालुओं से गुलजार होने लगा है लेकिन यहां के निवासियों में शासन-प्रशासन के खिलाफ एक नाराजगी जरूर है.

पढ़ें- CM ने जल शक्ति मंत्री से की मुलाकात, नमामि गंगे प्रोजेक्ट के लिए 802 करोड़ रिलीज करने की मांग

केदारनाथ धाम को बने धार्मिक स्थल- तीर्थ पुरोहित

पुरोहित के अनुसार राज्य सरकार केदारनाथ धाम को एक पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित कर रही है, जबकि इसे एक धार्मिक स्थल के तौर पर विकसित किया जाना था. यही कारण है कि आज गौरीकुंड से पैदल केदारनाथ धाम तक पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए चलने तक की उचित व्यवस्था नहीं है. वहीं, दूर-दूर से आने वाले अमीर पर्यटकों के लिए यहां हेलीकॉप्टर तक की व्यवस्था की गई है.

Intro:special report

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Folder name- kedarnath ground zero

केदारनाथ- 16 जून साल 2013 को केदारनाथ धाम में आई भीषण आपदा को आज 6 साल पूरे हो चुके है । ये आपदा समस्त हिमालयी क्षेत्र की सबसे अधिक विनाशकायी आपदा था । जिसमें सरकारी आंकड़ों के निसाब से लगभग 5000 लोग मारे गए । इसमें कई स्थानीय निवासियों के साथ बाबा केदारनाथ के दर्शनों के लिए देश- दुनिया से पहुचें श्रद्धालु भी शामिल थे।

आज केदारनाथ त्रासदी को 6 साल पूरे होने के मौके पर एटीवी भारत की टीम खुद केदार पहुची। इस दौरान 16 जून 2013 के उस भयानक मंज़र को लेकर हमने एक स्थानीय तीर्थ पुरोहित से खास बातचित की । जिसमें उन्होंने हमारे कैमरे के सामने 16 जून 2013 के उस भयानक मंजर को बयां किया ।




Body:16 जून 2013 के उस भयानक दिन को याद करते हुए केदारनाथ धाम के स्थानीय तीर्थ पुरोहित बताते हैं कि 15 जून से शुरू हुई बारिश 24 घंटो से लगातार जारी थी । जिसे देख कर ये एहसास होने लगा था कि ये बारिश कुछ सामान्य नही है। लेकिन अगले दिन देर शाम बाबा केदार की आरती खत्म होने के कुछ देर बाद ही अचानक ही पीछे की पहाड़ी से भयानक जल सैलाब आया जो चंद मिनटों में ही बाबा केदार के मंदिर को छोड़ आस-पास मौजूद अन्य सभी इमारतों को अपने साथ बहा ले गया । जिसमें कई हज़ारों लोग मारे गए ।



Conclusion:
गौरतलब है कि जून 2013 में आई भयानक त्रासदी के बाद अब केदारनाथ धाम एक बार फिर श्रद्धालुओं से गुलजार होने लगा है लेकिन यहां के स्थानीय निवासियों में शासन-प्रशासन के खिलाफ एक नाराजगी जरूर है स्थानीय तीर्थ पुरोहित के अनुसार राज्य सरकार केदारनाथ धाम को एक पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित कर रही है जबकि इसे एक धार्मिक स्थल के तौर पर विकसित किया जाना था ।यही कारण है कि आज गौरीकुंड से पैदल केदारनाथ धाम तक पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए चलने तक की उचित व्यवस्था नहीं है।। लेकिन वही दूर-दूर से आने वाले अमीर पर्यटकों के लिए यहां हेलीकॉप्टर तक की व्यवस्था की गई है ।शासन प्रशासन को चाहिए कि वह बाबा केदारनाथ के इस धाम को केके पर्यटक स्थल के तौर पर विकसित न कर एक धार्मिक स्थल के तौर पर विकसित करें । साथ ही उन श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं को और अधिक बेहतर बनाए जो पूरे श्रद्धा भाव के साथ 18 से 20 किलोमीटर का पैदल यात्रा मार्ग तय तक बाबा केदार के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं
Last Updated : Jun 16, 2019, 2:26 PM IST
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