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पुल हादसा: लापरवाह 'सिस्टम' ने ली मजदूर की जान, PM के ड्रीम प्रोजेक्ट पर लग रहा पलीता

इस मामले में अभीतक किसी भी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की गई है. हालांकि सरकार की तरफ से जांच के आदेश जरूर दिए गए हैं.

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पुल हादसा
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Published : Nov 23, 2020, 7:35 PM IST

ऋषिकेश: उत्तराखंड में किस तरह से निर्माण कार्यों में लापरवाही बरती जा रही है, इसका जीता जागता उदाहरण रविवार (22 नवंबर) देर शाम गूलर में देखने को मिला. यहां ऑल वेदर रोड के अंतर्गत निर्माणाधीन पुल भरभराकर गिर गया. इस हादसे में एक मजदूर की जान भी चली गई और 13 मजदूर घायल हो गए. इस लापरवाही पर सरकार खामोश है. महज जांच के आदेश कर सरकार कार्रवाई करने से बचती दिख रही है. लेकिन पटवारी ने निर्माण एजेंसी और एनएच की लापरवाही की पोल खोल कर रख दी है.

लापरवाह 'सिस्टम' ने ली मजदूर की जान

उत्तराखंड में बन रही ऑल वेदर रोड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक है. केंद्र सरकार की योजना के तहत करीब हजार करोड़ रुपए की लागत से ऑल वेदर रोड का निर्माण किया जा रहा है, ताकि भविष्य में चारधाम दर्शन के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं और पर्वतीय इलाकों के लोगों को सहूलियत हो. वो कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंच सकें और मौसम के बदलाव का असर भी इस सड़क पर देखने को न मिले. लेकिन ऑल वेदर रोड का काम देख रही कार्यदायी संस्था एनएच के अधिकारियों की लापरवाही ने रविवार को एक मजदूर की जान ले ली.

पढ़ें- कैसे गिर गया ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर बन रहा पुल? गंभीर नहीं जिम्मेदार !

इससे साफ पता चलता है कि कार्यदायी एजेंसियों की लापरवाही पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर पलीता लगाने में लगी है. इसका खुलासा खुद राज्य सरकार ने कुछ अधिकारियों ने किया है. क्षेत्र के राजस्व उप निरीक्षक (पटवारी) उत्तम सिंह राणा ने बताया कि जिस समय इस ब्रिज का निर्माण कार्य किया जा रहा था उस समय कोई भी राष्ट्रीय राजमार्ग का अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं था. इसके अलावा जब ये हादसा हुआ, उस समय वहां काफी अंधेरा था. किसी भी तरह की लाइट की व्यवस्था नहीं की गई थी.

निर्माणधीन पुल की शटरिंग गिरने से सिर्फ गुणवत्ता नहीं, बल्कि सुरक्षा मानकों की कलई भी खुल गई है. इस हादसे में एक मजदूर की मौत होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों की तरफ से अभीतक कोई बयान नहीं आया है. न ही ठेकेदार के ऊपर कोई एक्शन लिया गया है, जो अधिकारियों के साथ सरकार की कार्यशैली पर भी बड़े सवाल खड़े करता है.

हालांकि, पीडब्ल्यूडी सचिव आरके सुधांशु ने मामले की जांच के आदेश जरूर दिए हैं. लेकिन फौरी तौर इस हादसे में किसी भी अधिकारी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई है, जो सरकार की नीयत और उसके लोगों की सुरक्षा की प्रति जवाबदेही पर प्रश्नचिन्ह लगता है.

पुल से जुड़ी अहम जानकारी-

  • एनएच श्रीनगर डिविजन के अंतर्गत है निर्माणाधीन क्षेत्र.
  • बदरीनाथ नेशनल हाईवे पर गूलर में बन रहा था ऑल वेदर रोड का ब्रिज.
  • खतरनाक मोड़ को सीधा करने के लिए बन रहा है ब्रिज.
  • पुल की लंबाई 90 मीटर है.
  • 60 फीसदी पुल का निर्माण हो चुका है.
  • पूरा-श्यामा कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही थी ब्रिज का निर्माण.
  • अयोलिजा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड है प्रोजेक्ट की कंसल्टेंसी एजेंसी.

मृतक और घायलों के नाम

इस हादसे में सतपाल पुत्र घनश्याम निवासी हसनपुर, अमरोहा, यूपी की मौत हो गई थी. जबकि रियाज निवासी बिड़ोली, अमरोहा, रितिक निवासी सिम्भावली, मुजफ्फनगर, बृजेश निवासी नौतनखुर्द, बेतिया, बिहार, अनस, मुननाम, कादिर, मेहताब, मुस्तफा, नौशाद, वासिक और जावेद सभी निवासी मिर्जापुर, सहारनपुर घायल हो गए थे.

ऋषिकेश: उत्तराखंड में किस तरह से निर्माण कार्यों में लापरवाही बरती जा रही है, इसका जीता जागता उदाहरण रविवार (22 नवंबर) देर शाम गूलर में देखने को मिला. यहां ऑल वेदर रोड के अंतर्गत निर्माणाधीन पुल भरभराकर गिर गया. इस हादसे में एक मजदूर की जान भी चली गई और 13 मजदूर घायल हो गए. इस लापरवाही पर सरकार खामोश है. महज जांच के आदेश कर सरकार कार्रवाई करने से बचती दिख रही है. लेकिन पटवारी ने निर्माण एजेंसी और एनएच की लापरवाही की पोल खोल कर रख दी है.

लापरवाह 'सिस्टम' ने ली मजदूर की जान

उत्तराखंड में बन रही ऑल वेदर रोड प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स में से एक है. केंद्र सरकार की योजना के तहत करीब हजार करोड़ रुपए की लागत से ऑल वेदर रोड का निर्माण किया जा रहा है, ताकि भविष्य में चारधाम दर्शन के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालुओं और पर्वतीय इलाकों के लोगों को सहूलियत हो. वो कम समय में अपने गंतव्य तक पहुंच सकें और मौसम के बदलाव का असर भी इस सड़क पर देखने को न मिले. लेकिन ऑल वेदर रोड का काम देख रही कार्यदायी संस्था एनएच के अधिकारियों की लापरवाही ने रविवार को एक मजदूर की जान ले ली.

पढ़ें- कैसे गिर गया ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर बन रहा पुल? गंभीर नहीं जिम्मेदार !

इससे साफ पता चलता है कि कार्यदायी एजेंसियों की लापरवाही पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर पलीता लगाने में लगी है. इसका खुलासा खुद राज्य सरकार ने कुछ अधिकारियों ने किया है. क्षेत्र के राजस्व उप निरीक्षक (पटवारी) उत्तम सिंह राणा ने बताया कि जिस समय इस ब्रिज का निर्माण कार्य किया जा रहा था उस समय कोई भी राष्ट्रीय राजमार्ग का अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं था. इसके अलावा जब ये हादसा हुआ, उस समय वहां काफी अंधेरा था. किसी भी तरह की लाइट की व्यवस्था नहीं की गई थी.

निर्माणधीन पुल की शटरिंग गिरने से सिर्फ गुणवत्ता नहीं, बल्कि सुरक्षा मानकों की कलई भी खुल गई है. इस हादसे में एक मजदूर की मौत होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारियों की तरफ से अभीतक कोई बयान नहीं आया है. न ही ठेकेदार के ऊपर कोई एक्शन लिया गया है, जो अधिकारियों के साथ सरकार की कार्यशैली पर भी बड़े सवाल खड़े करता है.

हालांकि, पीडब्ल्यूडी सचिव आरके सुधांशु ने मामले की जांच के आदेश जरूर दिए हैं. लेकिन फौरी तौर इस हादसे में किसी भी अधिकारी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई है, जो सरकार की नीयत और उसके लोगों की सुरक्षा की प्रति जवाबदेही पर प्रश्नचिन्ह लगता है.

पुल से जुड़ी अहम जानकारी-

  • एनएच श्रीनगर डिविजन के अंतर्गत है निर्माणाधीन क्षेत्र.
  • बदरीनाथ नेशनल हाईवे पर गूलर में बन रहा था ऑल वेदर रोड का ब्रिज.
  • खतरनाक मोड़ को सीधा करने के लिए बन रहा है ब्रिज.
  • पुल की लंबाई 90 मीटर है.
  • 60 फीसदी पुल का निर्माण हो चुका है.
  • पूरा-श्यामा कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही थी ब्रिज का निर्माण.
  • अयोलिजा कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड है प्रोजेक्ट की कंसल्टेंसी एजेंसी.

मृतक और घायलों के नाम

इस हादसे में सतपाल पुत्र घनश्याम निवासी हसनपुर, अमरोहा, यूपी की मौत हो गई थी. जबकि रियाज निवासी बिड़ोली, अमरोहा, रितिक निवासी सिम्भावली, मुजफ्फनगर, बृजेश निवासी नौतनखुर्द, बेतिया, बिहार, अनस, मुननाम, कादिर, मेहताब, मुस्तफा, नौशाद, वासिक और जावेद सभी निवासी मिर्जापुर, सहारनपुर घायल हो गए थे.

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