देहरादूनः अंग्रेजी शासनकाल से ही देहरादून का पलटन बाजार (Paltan Bazar Dehradun) देश और दुनिया में एक अलग पहचान रखता है. कभी लोगों का पसंदीदा मार्केट रहा पलटन बाजार इन दिनों बदहाली से गुजर रहा है. पिछले 3 सालों से पलटन बाजार में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत सौंदर्यीकरण किया जा रहा है, लेकिन अभी तक पलटन बाजार स्मार्ट नहीं हो पाया है. पलटन बाजार की सड़कों से लेकर फुटपाथ और ड्रेनेज सिस्टम इस कदर खस्ताहाल है कि लोगों का यहां से आवाजाही करना मुसीबत का सबब बना हुआ है. पलटन बाजार कोतवाली से लेकर धामावाला-पीपल मंडी बाजार तक सड़क पर गड्ढे ही गड्ढे नजर आ रहे हैं. जो लोगों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.
देहरादून में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (Smart City Project in Dehradun) के तहत अव्यवस्थित तरीके से हुए निर्माण कार्य के चलते जरा सी बारिश में ड्रेनेज सिस्टम फेल हो जाता है. जिससे सारा सीवर का गंदा पानी ओवरफ्लो होकर दुकानों में घुस जाता है. ईटीवी भारत संवाददाता ने देहरादून के सबसे पुराने और नामचीन पलटन बाजार की स्थिति का जायजा लिया. इस दौरान पलटन बाजार में दशकों से व्यापार करने वाले कारोबारी सरकारी तंत्र की बदहाल व्यवस्था से बेहद त्रस्त दिखे.
खतरे में पलटन और धामावाला बाजार का अस्तित्वः आजादी के समय से पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी विरासत को संभालने वाले पलटन बाजार और धामावाला बाजार के व्यापारियों की मानें तो इतनी बुरी स्थिति इस बाजार की हो जाएगी, ऐसा कभी उन्होंने नहीं सोचा था. व्यापारियों के मुताबिक, जिस बाजार में देश विदेश के लोग यहां आना पसंद करते थे. वो आज यहां की टूटी जानलेवा सड़कें, खस्ताहाल फुटपाथ, बदहाल ड्रेनेज सिस्टम और आवाजाही में खासी दिक्कतों के चलते इस ऐतिहासिक बाजार में आने से कतराते हैं.
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सर्राफा व्यापारी सुनील मेसोन के मुताबिक, स्मार्ट सिटी सौंदर्यीकरण के नाम पर अव्यवस्थित तरीके से तोड़फोड़ कर घटिया निर्माण कार्य हो रहा है. जिसकी वजह से पलटन बाजार और धामावाला बाजार अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. क्षेत्रीय विधायक से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री समेत शहरी विकास मंत्री तक को इसकी हालत से वाकिफ कराया जा चुका है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. उनका साफ कहना है कि देहरादून में अपनी अहम पहचान रखने वाले इस बाजार की हालत एक दिन इतनी बदतर हो जाएगी, किसी ने कल्पना नहीं की थी.
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के नाम पर सिर्फ भ्रष्टाचार का खेलः वहीं, कुछ व्यापारियों का साफतौर पर कहना है कि जिस तरह से राज्य में अफसरशाही मौजूदा सरकार पर हावी है. उसमें सबसे बड़ा उदाहरण नासूर बन चुके स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट निर्माण का है. हाईटेक विकास के नाम का सपना दिखाकर सिर्फ भ्रष्टाचार का खेल जारी है. जिसको रोकने वाला कोई नहीं है. व्यापारी रणजीत सिंह के मुताबिक, बाजार की बदहाली बीते 3 सालों से मात्र 1 किलोमीटर दूर सचिवालय में बैठे मुख्यमंत्री और अफसरशाही को साफ तौर पर दिख रही है, लेकिन इसका संज्ञान लेने वाला कोई नहीं है.
टैक्स में योगदान देने वाले कारोबारियों पर सरकार की बेरूखी: देहरादून की शान कहे जाने वाले पलटन बाजार और धामावाला बाजार में आजादी के समय से व्यापार करने वाले दुकानदारों का कहना है कि इसी बाजार से सबसे ज्यादा सरकार को जीएसटी के रूप में टैक्स जाता है, लेकिन जिस तरह से इस बाजार की हालत दयनीय है. उसमें सुधार करने की जवाबदेही किसकी है? यह सवाल आज हर व्यापारी पूछ रहा है.
उनका कहना है कि अगर बाजार में आवाजाही की परेशानी से खरीदार ही नहीं आएगा तो व्यापार कहां से होगा? जब व्यापार ही नहीं होगा तो टैक्स के रूप में धनराशि सरकार के खजाने तक कैसे पहुंचेगी? इस बात को सरकारी तंत्र पूरी तरह से नजरअंदाज कर रहा है. ऐसे यह रवैया आने वाले दिनों में इस बाजार के अस्तित्व को खत्म कर देगा.
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बेहाल दौर से गुजर रहे व्यापारियों के मुताबिक, अब सरकार का सारा ध्यान बड़े-बड़े मॉल, कॉम्प्लेक्स और डिपार्टमेंटल स्टोर जैसे रसूखदार व्यापारियों पर है, लेकिन अर्से से सरकारी खजाने में टैक्स के रूप में अपना योगदान देने वाले छोटे और मध्यम वर्ग के व्यापारियों पर सरकार की यह नजरअंदाजी उनको खत्म करने जैसी नजर आती है.