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अच्छी खबरः एसिड अटैक पीड़िता और दिव्यांग महिलाओं को बनाया जाएगा आत्मनिर्भर - Acid attack law

सूबे में एसिड अटैक पीड़िता और पूर्ण रूप से दिव्यांग महिलाओं के उत्थान के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. जिसके माध्यम से सरकार की ओर से इन सभी महिलाओं को आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाएगा.

रेखा आर्य
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Published : Sep 17, 2019, 8:53 PM IST

देहरादूनः राज्य सरकार अब एसिड अटैक पीड़िता और पूर्ण रूप से दिव्यांग महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने जा रही है. इसके लिए सरकार की ओर से एक योजना लाने की तैयारी की जा रही है. जिसमें सरकार की ओर से इन महिलाओं को आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाएगा.

एसिड अटैक पीड़िता और पूर्ण रूप से विकलांग महिलाओं को बनाया जाएगा आत्मनिर्भर.

महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि एसिड अटैक पीड़िता और जन्म से ही पूर्ण रूप से दिव्यांग महिलाओं के उत्थान के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. जिसके माध्यम से सरकार की ओर से इन सभी महिलाओं को आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाएगा. साथ ही कहा कि उम्मीद है कि पंचायत चुनाव के संपन्न होने के बाद यह प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा.

ये भी पढे़ंः उत्तराखंड में डेंगू के बाद अब स्वाइन फ्लू का अटैक, स्वास्थ्य महकमे की चिताएं बढ़ीं

वहीं, अधिवक्ता नितिन नारंग ने बताया कि एसिड अटैक के मामले में आईपीसी की धारा 326 (ए) और 326 (बी) के तहत कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाती है. ऐसे मामलों में कम से कम 10 साल की सजा के साथ उम्र कैद की भी सजा का प्रावधान है. इसके अलावा पीड़िता के लिए इस अपराध में मुआवजे का भी प्रावधान रखा गया है.

उन्होंने बताया कि किसी पर एसिड अटैक होता है तो सीआरपीसी की धारा 357 (सी) के तहत पीड़िता किसी भी सरकारी अस्पताल में जाकर मुफ्त प्राथमिक उपचार ले सकती है. ऐसी स्थिति में यदि कोई अस्पताल प्राथमिक उपचार देने से मना करता है तो उस अस्पताल के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान है.

देहरादूनः राज्य सरकार अब एसिड अटैक पीड़िता और पूर्ण रूप से दिव्यांग महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने जा रही है. इसके लिए सरकार की ओर से एक योजना लाने की तैयारी की जा रही है. जिसमें सरकार की ओर से इन महिलाओं को आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाएगा.

एसिड अटैक पीड़िता और पूर्ण रूप से विकलांग महिलाओं को बनाया जाएगा आत्मनिर्भर.

महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि एसिड अटैक पीड़िता और जन्म से ही पूर्ण रूप से दिव्यांग महिलाओं के उत्थान के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है. जिसके माध्यम से सरकार की ओर से इन सभी महिलाओं को आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाएगा. साथ ही कहा कि उम्मीद है कि पंचायत चुनाव के संपन्न होने के बाद यह प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा.

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वहीं, अधिवक्ता नितिन नारंग ने बताया कि एसिड अटैक के मामले में आईपीसी की धारा 326 (ए) और 326 (बी) के तहत कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाती है. ऐसे मामलों में कम से कम 10 साल की सजा के साथ उम्र कैद की भी सजा का प्रावधान है. इसके अलावा पीड़िता के लिए इस अपराध में मुआवजे का भी प्रावधान रखा गया है.

उन्होंने बताया कि किसी पर एसिड अटैक होता है तो सीआरपीसी की धारा 357 (सी) के तहत पीड़िता किसी भी सरकारी अस्पताल में जाकर मुफ्त प्राथमिक उपचार ले सकती है. ऐसी स्थिति में यदि कोई अस्पताल प्राथमिक उपचार देने से मना करता है तो उस अस्पताल के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान है.

Intro:देहरादून- प्रदेश सरकार जल्द ही एसिड अटैक ( तेजाब से हमला) पीड़िता और जन्म से पूर्ण रूप से विकलांग महिलाओं के लिए एक खास योजना लाने की तैयारी में है । जिसका मकसद ऐसी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है।



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इस खास योजना के संबंध में जानकारी देते हुए प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से एसिड अटैक पीड़िता और पूर्ण रूप से विकलांग महिलाओं के उत्थान के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है । जिसके माध्यम से सरकार की ओर से ऐसी महिलाओं को आर्थिक सहयोग प्रदान किया जाएगा । उन्होंने उम्मीद जताई कि पंचायत चुनाव के संपन्न होने के बाद यह प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा ।





Conclusion:वहीं एसिड अटैक से जुड़े मामले में कानूनी कार्रवाई के संबंध में अधिवक्ता नितिन नारंग ने जानकारी देते हुए बताया कि एसिड अटैक के मामलों में आईपीसी की धारा 326 (ए) और 326 (बी) के तहत कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाती है । वही ऐसे मामलों में कम से कम 10 साल की सजा के साथ ही उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान है । इसके अलावा पीड़िता के लिए इस अपराध में मुआवजे का भी प्रावधान रखा गया है

अधिवक्ता नितिन बताते हैं कि यदि किसी पर एसिड अटैक होता है तो सीआरपीसी की धारा 357 (सी) के तहत पीड़िता किसी भी सरकारी अस्पताल में जा कर मुफ्त प्राथमिक उपचार ले सकती है । ऐसी स्थिति में यदि कोई अस्पताल प्राथमिक उपचार देने से मना करता है तो उस अस्पताल के खिलाफ भी कार्रवाई का प्रावधान है।
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