ऋषिकेश: परमार्थ निकेतन में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन 8 और 9 अक्तूबर को दो दिवसीय नारी संसद लगने जा रहा है. नारी संसद के सहसंयोजक रवि शंकर तिवारी ने बताया कि इसके अलग-अलग सत्रों में मुख्य अतिथि के तौर पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल शामिल होंगी. साथ ही केंद्रीय संस्कृति मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण की भी औपचारिक सहमति मिल गई है.
वहीं, अभी कई नाम सम्मानित लोगों से औपचारिक पत्र शीघ्र ही मिलने की संभावना है. सांसद मनोज तिवारी, पर्यावरणविद वंदना शिवा, कई विश्वविद्यालयों की महिला कुलपति बतौर विशिष्ट अतिथि शिरकत करेंगी. इसके अलावा दिल्ली, लखनऊ, गोरखपुर समेत दूसरे विश्वविद्यालयों की प्रोफेसर, उत्तराखंड से तमिलनाडु तक के उद्यमी , शोधार्थी और जमीन पर काम करके समाज में सकारात्मक बदलाव ला रही महिलाएं भी अपने अनुभव से नारी संसद को समृद्ध करेंगी.
दो दिवसीय आयोजन का मकसद भारतीय नजरिए से महिलाओं के अतीत और वर्तमान पर संजीदा विमर्श को आगे बढ़ाना है. इससे व्यावहारिक ज्ञान की जो धारा निकलेगी, उससे भविष्य की कार्ययोजना के प्रस्ताव तैयार होंगे, जो काम 'राज' को करना है, उससे जुड़े प्रस्ताव केंद्र व राज्य सरकारों को सौंपे जाएंगे और जो समाज को करना है, उसे समाज को.
गंगा के आंचल में आयोजित नारी संसद 'गंगा के लोक' को साथ ला रहा है. ऋषिकेश गंगा के तट पर लोक संस्कृतियों का भी मिलन होगा, संगीतमय 8-9 अक्तूबर की शाम, ‘लोक में गंगा’ आयोजन में पहाड़ से सागर तट के लोक कलाकार साथ-साथ प्रस्तुति देंगे.
परमार्थ निकेतन में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन 'भारतीय नारी-घर और बाहर' की जानकारी देने हेतु आज शुक्रवार को प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि नारी संसद की जरूरत इसलिये है, क्योंकि समाज में जो विषमताएं और वायरस हैं. उनके समाधान के लिये विचार मंथन अत्यंत आवश्यक है. यह केवल नारी संसद नहीं बल्कि नारी कुम्भ है, शक्ति कुम्भ है. नारी शक्ति स्वरूपा है, उन्हें अवसर प्रदान करना होगा. सुरक्षित वातावरण के साथ उनकी शक्ति का सही सद्उपयोग करना होगा, तभी परिवार, समाज और राष्ट्र समृद्धि के शिखर पर पहुंच सकता है.
डॉ साध्वी भगवती सरस्वती (Dr Sadhvi Bhagwati Saraswati) ने कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी का केवल सम्मान ही नहीं बल्कि नारी को पूजा जाता है. हमारी सृष्टी और प्रकृति मां स्वरूप है. पूरी सृष्टी और जिससे सृष्टी बनी है. वह शक्ति भी मां की ही हैं. नारी केवल अपने लिये नहीं बल्कि पूरे परिवार, समाज और राष्ट्र के लिये सोचती है, इसलिये नारियों के विषय में चिंतन करना आवश्यक है.
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लोक संसद का अगला जुटान 8-9 अक्टूबर को ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन आश्रम में होने जा रहा है. स्वामी चिदानन्द सरस्वती की अध्यक्षता में परमार्थ निकेतन, आश्रम एवं माता ललिता देवी सेवाश्रम ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में होने वाले इस आयोजन के विमर्श के केंद्र में भारतीय नारी रहेगी और नारी संसद लगेगी. दो दिवसीय इस संसद के चार सत्र होंगे. भारतीय समाज की प्राथमिक इकाई परिवार है और इसके केंद्र में महिला है, तो पहला सत्र परिवार की संरचना और कार्य संचालन पर रहेगा. दूसरे सत्र में विदुषी वक्ता खुद बताएंगी कि भारतीय नारी के लिए क्या-क्या करना ठीक रहेगा ? उसके सपने क्या हैं और चुनौती कहां आ रही है? तीसरा सत्र नारी शिक्षा, स्वास्थ्य व पर्यावरण से जुड़ा है.
पहले और तीसरे सत्र के दो हिस्से हैं. पहला संबोधन, जिसमें वक्ता विस्तार से विषय की बारीकियों पर बात रखेंगी, जबकि दूसरा हिस्सा संवाद है. जिसमें बुनियादी महलों पर जमीन पर करने वाली महिलाएं व इनका समूह अपना अनुभव शेयर करेगा. यह हिस्सा नॉलेज शेयरिंग और नेटवर्क बिल्डिंग से जुड़ा है. हर सत्र में परमार्थ निकेतन के ऋषिकुमार लघु नाटिका से विषय विशेष पर नाट्य मंचन करेंगे.