देहरादूनः राजभवन में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (रि) गुरमीत सिंह ने राष्ट्रीय जल सर्वेक्षण कार्यालय, नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) और भारतीय सर्वेक्षण विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ संवाद किया. इस दौरान डिजिटल कार्टोग्राफी से ब्लू इकोनॉमी की तरफ जाने पर प्रस्तुतिकरण दिया गया. राज्यपाल ने देहरादून में चल रहे 42वें आईएनसीए अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस के लिए अधिकारियों की सराहना की.
राज्यपाल गुरमीत सिंह ने सुझाव दिया कि राष्ट्रीय जल सर्वेक्षण कार्यालय, भारतीय सर्वेक्षण विभाग (Survey of India) और नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (National Remote Sensing Center) के अधिकारियों को तीन संस्थानों को एकीकृत करने के तरीकों का पता लगाना चाहिए, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (Marine Ecosystem), सुरक्षा, योजना, अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे एवं मानचित्रण की खोज में उपयोग आने वाली तीन प्रौद्योगिकी (हाइड्रोग्राफी, कार्टोग्राफी और रिमोट सेंसिंग) को एकीकृत करेंगे. इसके लिए राज्यपाल ने गति शक्ति परियोजना को एक आदर्श उदाहरण के रूप में उद्धृत किया. इस कार्यक्रम के तहत 16 मंत्रालयों को एकीकृत किया गया है.
राज्यपाल गुरमीत सिंह ने कहा कि प्रत्येक भारतीय को समुद्री परिस्थितियों से परिचित होना चाहिए और इसके रहस्योद्घाटन, संसाधन से अवगत होना चाहिए. उत्तराखंड एक हाइड्रो ब्लेस्ड राज्य है. जहां संभावनाएं तलाशने के पर्याप्त अवसर हैं. उन्होंने कहा कि यह सदी उत्तराखंड की है. ऐसे में डिजिटल संसाधन, प्रौद्योगिकी और संस्थानों का एकीकरण समय की जरूरत है. राज्यपाल गुरमीत ने कहा कि भारत के विकसित राष्ट्र एवं विश्व गुरु बनने का रास्ता समुद्र से होकर गुजरेगा. इस दिशा में भारतीय सेना अपने कदम मजबूती से आगे बढ़ा रही है. एआई (AI) और डाटा (Data) का उपयोग नए द्वार खोलने का कार्य करेगा.
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बता दें कि राज्यपाल (Governor of Uttarakhand Gurmit Singh) ने बीती रोज नेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑफिस (National Hydrographic Office) में इंडियन नेशनल कार्टोग्राफिक एसोसिएशन की ओर से आयोजित डिजिटल कार्टोग्राफी से हार्नेस ब्लू इकोनॉमी (Digital Cartography to Harness Blue Economy) विषय पर 42वें अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र को भी संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने इंटरनेशनल कांग्रेस की स्मारिका एवं संस्थान की वार्षिक पत्रिका का विमोचन भी किया.