देहरादून: रोजगार को लेकर लगातार सवालों में घिर रही सरकार ने उपनल के जरिए रोजगार के द्वार खोले हैं. अब केवल पूर्व सैनिकों के आश्रित ही नहीं बल्कि आम नागरिक भी उपनल के जरिए नौकरी पा रहे हैं. तो वहीं, किस तरह से आम लोगों को उपनल के जरिए रोजगार मिल रहा है और अब कितने लोगों को रोजगार मिल पाया है आइए जानते हैं.
5 हजार से बढ़कर 40 हजार बेरोजगार हुए पंजीकरण
उपनल पूर्व सैनिक और उनके आश्रितों के अलावा वॉरविडो महिलाओं को रोजगार देने के लिए बनाया गया है. उत्तराखंड पूर्व सैनिक कल्याण निगम यानी उपनल अब सिविलियंस यानी आम लोगों को भी रोजगार देने के लिए खोल दिया गया है. जिसके बाद उपनल में रजिस्टर्ड होने वाले बेरोजगारों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है. उपनल के प्रबंध निदेशक ब्रिगेडियर पीपीएस पाहवा के अनुसार पहले जहां उपनल में तकरीबन 5 हजार लोग रजिस्टर्ड थे, तो वहीं सरकार द्वारा सिविलियंस के लिए दी गई अनुमति के बाद उपनल में तकरीबन 40 हजार बेरोजगार रजिस्टर्ड हुए हैं. उपनल के संचालकों ने एक बात बिल्कुल स्पष्ट की है कि भले ही सरकार द्वारा उपनल के जरिए आम लोगों के लिए भी रोजगार की अनुमति दे दी है, लेकिन उसके बावजूद भी उपनल के पास सरकार द्वारा वैकेंसियां अपेक्षाकृत बेहद कम हैं.
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मेडिकल और तकनीकी क्षेत्रों सिविलियन को मिला मौका
उपनल के प्रबंध निदेशक ब्रिगेडियर पीपीएस पाहवा ने ईटीवी भारत से बताया कि उपनल में भले ही सिविलियंस के लिए रजिस्ट्रेशन खोल दिए हों, लेकिन इसके बावजूद भी पहली प्राथमिकता पूर्व सैनिक और उनके आश्रित ही रहेंगे. इसके अलावा सिविलियंस के लिए तकनीकी और मेडिकल क्षेत्र में ज्यादा अवसर खुले हैं. पिछले कुछ महीनों में उपनल द्वारा दून मेडिकल कॉलेज में वार्ड बॉय, सफाई कर्मी, नर्सेज, लैब टेक्नीशियन डॉक्टर इत्यादि तैनात किए गए हैं, जिसमें पूर्व सैनिक और उनके आश्रितों की उपलब्धता न होने के चलते आम लोगों को अवसर मिले हैं.
सर्विस सेक्टर की निविदाओं में भी उपनल प्रयासरत
उपनल संचालकों का कहना है कि सरकार द्वारा जिस तरह से सिविलयंस के लिए उपनल के दरवाजे खोले गए हैं, उसकी उपेक्षा में वैकेंसी यहां बेहद कम भेजी जा रही हैं. लेकिन उसके बावजूद भी उपनल पूरी तरह से प्रयासरत है कि प्रदेश में अधिक से अधिक सेना के आश्रितों पूर्व सैनिकों के बाद सिविलियंस को भी रोजगार दिला सके. उपनल के एमडी ब्रिगेडियर पाहवा ने बताया कि उपनल अब सर्विस सेक्टर के टेंडर में भी प्रयास कर रहा है, जिसके जरिए उपनल में रोजगार को बढ़ाया जा सकता है.
घर बैठे उपनल में रजिस्ट्रेशन ऐसे करें
अप्रैल में रजिस्ट्रेशन करने के लिए पहले पूर्व सैनिक या फिर सैनिक आश्रित होना जरूरी था, लेकिन अब कोई भी उपनल में अपना रजिस्ट्रेशन करा सकता है, जिसके लिए आपको उपनल की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा और अपने सभी डाक्यूमेंट्स वहां पर अपलोड करने होंगे. जिसके बाद आपको अपने डॉक्यूमेंट के वेरिफिकेशन के लिए उपनल के कार्यालय में जाना पड़ सकता है, तो वहीं एक बार रजिस्ट्रेशन होने के बाद उपनल में आपकी कैटेगरी के अनुसार आप का रजिस्ट्रेशन हो जाएगा. जब भी सरकार के किसी भी विभाग द्वारा उपनल को वैकेंसी भेजी जाएगी तो आपके स्किल के अनुसार आपको सूचित किया जाएगा.
हर महीने सौ से लेकर सवा सौ लोगों को दी जा रही है नौकरी
बीते कुछ महीनों के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर माह सौ से लेकर सवा सौ तक पूर्व सैनिक उनके आश्रित के अलावा सिविलियंस को रोजगार उपनल द्वारा मुहैया करवाया जा रहा है. ऐसे में उपनल के संचालकों की सरकार से दरख्वास्त की है कि उपनल में बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है. लिहाजा, संतुलन बनाए रखने के लिए उपनल में अधिक से अधिक रिक्तियां भेजने का काम करें.
सीनियर सिटीजन के लिए होम डिलीवरी का अच्छा रिस्पॉन्स नहीं
कोविड-19 के दौरान सीनियर सिटीजन के लिए शुरू की गई होम सर्विस उपनल की एक बेहतरीन योजना थी, जिसके जरिए वरिष्ठ नागरिकों को किसी भी तरह की जरूरत होने पर उन्हें घर पर ही होम डिलीवरी करवाने का प्रावधान था. इस सर्विस के लिए मिनिमम 100 रुपए चार्ज रखा गया था. प्रथम चरण में यह योजना देहरादून और हल्द्वानी में शुरू की गयी.
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उपनल के एमडी ने बताया कि अभी इस स्कीम में ज्यादा रिस्पॉन्स देखने को नहीं मिला. देहरादून शहर में शुरू की गई इस योजना के लिए शहर को 5 अलग-अलग जोन में बांटा गया था. जहां पर 40 लोगों को चिन्हित किया गया, जिनमें मैकेनिक, नर्स, फिजियोथैरेपिस्ट के अलावा अन्य कई तरह के स्किल रखने वाले लोगों को तैनात किया गया था. लेकिन कोविड-19 में सुरक्षा के दृष्टिकोण से लोगों द्वारा इन सर्विस पर कम भरोसा किया. उपनल का मानना है कि आने वाले समय में यह योजना रंग लाएगी. साथ ही उन्होंने बताया कि उपनल द्वारा जिन लोगों को चिन्हित किया जाता है. वह सभी मानक पूरे करते हैं.
सरकारी आउट सोर्स एजेंसी को देनी चाहिए प्राथमिकता
राज्य के कई विभागों में उपनल के अलावा और भी कई प्राइवेट एजेंसियों द्वारा लोगों को नौकरियां पर रखा गया है, जिस पर उपनल संचालकों का कहना है कि इन प्राइवेट एजेंसियों में एंप्लॉइ का शोषण किया जाता है. प्राइवेट एजेंसीयां भले ही सर्विस चार्ज कम लेती है, लेकिन यह एंप्लॉय से शोषण करती है. उनसे पैसे लेती है और उनके मानवाधिकारों का भी हनन करती है.
उपनल के एमडी ने बताया कि उपनल एक सरकारी प्रक्रम है. इसको पूर्व सैनिक संचालित करते हैं जो कि बेहद अनुशासन में रहते हैं. साथ ही उपनल एक ऐसी एजेंसी है, जिसका लेन देन एंप्लॉयर से रहता है, न कि एंप्लॉइ से. उन्होंने कहा कि उपनल में सभी मानकों का ध्यान रखा जाता है और किसी भी एंप्लॉय के साथ शोषण ओर उसके अधिकारों का हनन नहीं होता है.