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पुलवामा हमला: आज भी उस दिन को याद कर सिहर जाते हैं शहीद के परिजन, सरकार से की ये मांग

पुलवामा आतंकी हमले को पूरे एक साल होने वाले हैं. इस हमले में देवभूमि के लाल मोहनलाल रतूड़ी भी शहीद हुए थे. आज भी शहीद का परिजन इस घटना से उबर नहीं पाए हैं.

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पुलवामा आतंकी हमला
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Published : Feb 10, 2020, 10:02 AM IST

Updated : Feb 14, 2020, 7:15 AM IST

देहरादून: वैसे तो पुलवामा आतंकी हमले को पूरा एक साल होने वाला है और इस आतंकी हमले में कई जवान शहीद हुए थे. वहीं, जवानों के परिवारों के जख्म अभी भी उतने ही ताजे हैं. साथ ही इस घटना के एक साल बाद उनके परिवार की क्या स्थिति है. इन एक सालों में शहीद के परिजनों को किन-किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा जानते हैं उन्हीं की जुबानी.

पुलवामा आतंकी हमला

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में हुए अब तक के सबसे बड़े आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए और 40 से ज्यादा गंभीर रूप से घायल हुए हैं. जम्मू- श्रीनगर नेशनल हाईवे पर ये घटना घटित हुई थी. हमलावर ने विस्फोटक भरी कार को सीआरपीएफ काफिले की बस को टक्करा दी थी. इस आतंकी हमले की चौतरफा निंदा हुई थी. वहीं इस हमले में देवभूमि के लाल मोहनलाल रतूड़ी भी शहीद हुए थे. जिनकी मौत के बाद उनका परिवार गम के साए में डूब गया. शहीद की चार लड़कियां और दो बेटे हैं, जिसमें से एक पुत्री का विवाह हो चुका है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंडः औली नेशनल स्कीइंग चैंपियनशिप में प्रियांशु ने उत्तराखंड को दिलाया पहला गोल्ड, हिमाचल का दबदबा

शहीद मोहनलाल की पत्नी सरिता आज भी उस दर्दनाक मंजर को याद कर सिहर उठती हैं और उनकी आखों में आंसूओं का सैलाब भर आता है. जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार शहीद के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और 26 लाख रुपए की आर्थिक मदद भी दे चुकी है. लेकिन इस मदद से शहीद की भरपाई नहीं की जा सकती. इस दौरान शहीद रतूड़ी की बेटी के पति सर्वेश नौटियाल ने बताया कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद पूरा परिवार अभी उस दर्दनाक मंजर से उबर नहीं पाया है. लेकिन सीआरपीएफ के साथ ही राज्य और केंद्र सरकार ने शहीद के परिवार को इस दुख की घड़ी में सहारा देने और उससे उबारने की प्रयास किया है.

ये भी पढ़ें:मनेरी झील में बोटिंग का आगाज, जानिए कैसे मिलेगा युवतियों को रोजगार

सर्वेश बताते हैं कि सरकार द्वारा शहीद के बड़े बेटे शंकर को उत्तरकाशी के जिलाधिकारी कार्यालय में सरकारी नौकरी दी जा चुकी है. वहीं बेटी वैष्णवी देहरादून डीएवी कॉलेज से बीएड कर रही है और दूसरी बेटी गंगा मेडिकल की पढ़ाई के लिए एनईईटी परीक्षा की तैयारी कर रही है. जिसके लिए सरकार द्वारा आर्थिक मदद दी जा रही है. इसके अलावा शहीद के परिवार को सरकार ने 26 लाख रुपए की आर्थिक सहायता भी दी है. वहीं, शहीद की पत्नी सरिता का कहना है कि अगर सरकार शहीद के नाम से कोई स्मारक, पार्क या सड़क बनवा दे तो उन्हें बेहद खुशी होगी. साथ ही उनकी याद भी ताजा रहेगी.

देहरादून: वैसे तो पुलवामा आतंकी हमले को पूरा एक साल होने वाला है और इस आतंकी हमले में कई जवान शहीद हुए थे. वहीं, जवानों के परिवारों के जख्म अभी भी उतने ही ताजे हैं. साथ ही इस घटना के एक साल बाद उनके परिवार की क्या स्थिति है. इन एक सालों में शहीद के परिजनों को किन-किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा जानते हैं उन्हीं की जुबानी.

पुलवामा आतंकी हमला

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में हुए अब तक के सबसे बड़े आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए और 40 से ज्यादा गंभीर रूप से घायल हुए हैं. जम्मू- श्रीनगर नेशनल हाईवे पर ये घटना घटित हुई थी. हमलावर ने विस्फोटक भरी कार को सीआरपीएफ काफिले की बस को टक्करा दी थी. इस आतंकी हमले की चौतरफा निंदा हुई थी. वहीं इस हमले में देवभूमि के लाल मोहनलाल रतूड़ी भी शहीद हुए थे. जिनकी मौत के बाद उनका परिवार गम के साए में डूब गया. शहीद की चार लड़कियां और दो बेटे हैं, जिसमें से एक पुत्री का विवाह हो चुका है.

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शहीद मोहनलाल की पत्नी सरिता आज भी उस दर्दनाक मंजर को याद कर सिहर उठती हैं और उनकी आखों में आंसूओं का सैलाब भर आता है. जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार शहीद के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी और 26 लाख रुपए की आर्थिक मदद भी दे चुकी है. लेकिन इस मदद से शहीद की भरपाई नहीं की जा सकती. इस दौरान शहीद रतूड़ी की बेटी के पति सर्वेश नौटियाल ने बताया कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद पूरा परिवार अभी उस दर्दनाक मंजर से उबर नहीं पाया है. लेकिन सीआरपीएफ के साथ ही राज्य और केंद्र सरकार ने शहीद के परिवार को इस दुख की घड़ी में सहारा देने और उससे उबारने की प्रयास किया है.

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सर्वेश बताते हैं कि सरकार द्वारा शहीद के बड़े बेटे शंकर को उत्तरकाशी के जिलाधिकारी कार्यालय में सरकारी नौकरी दी जा चुकी है. वहीं बेटी वैष्णवी देहरादून डीएवी कॉलेज से बीएड कर रही है और दूसरी बेटी गंगा मेडिकल की पढ़ाई के लिए एनईईटी परीक्षा की तैयारी कर रही है. जिसके लिए सरकार द्वारा आर्थिक मदद दी जा रही है. इसके अलावा शहीद के परिवार को सरकार ने 26 लाख रुपए की आर्थिक सहायता भी दी है. वहीं, शहीद की पत्नी सरिता का कहना है कि अगर सरकार शहीद के नाम से कोई स्मारक, पार्क या सड़क बनवा दे तो उन्हें बेहद खुशी होगी. साथ ही उनकी याद भी ताजा रहेगी.

Last Updated : Feb 14, 2020, 7:15 AM IST
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