देहरादून: दुनिया भर में महिलाएं प्रेरणा का स्त्रोत हैं. अपने पारिवारिक जीवन और व्यावसायिक कार्य में वे जिस तरह से संतुलन कायम करती हैं. वही संतुलन उन्हें शक्ति और गरिमा का प्रतीक बनाता है. इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 'चूज टू चैलेंज' विषय पर आधारित है. जब चुनौतियों की बात आती है तो भारत की महिलाएं हमेशा मुकाबले को तैयार रहती हैं. वे हमेशा ही विजयी बनकर उभरती हैं.
उत्तराखंड पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि महिला सशक्तिकरण हमेशा से हमारी सरकार का एजेंडा रहा है. प्रदेश की महिलाएं सभी क्षेत्रों में सफल हो रही हैं. इसके साथ ही राज्य सरकार ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को प्रोत्साहित भी कर रही हैं. उत्तराखंड के पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने कहा प्रदेश सरकार निरंतर ऐसी योजनाओं पर काम कर रही है, जो प्रदेश की महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता प्रदान करने में सहायक हो रही हैं. हमारी योजनाएं- पंडित दीनदयाल उपाध्याय, होमस्टे तथा ट्रैकिंग ट्रैक्शन सेंटर, होमस्टे ग्रांट स्कीम पर्यटकों के लिए साफ-सुथरे और किफायती होमस्टे निर्मित व प्रदान करने के लिए कार्यरत हैं.
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उत्तराखंड में होमस्टे का रुझान स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया करा रहा है. गढ़वाल मंडल के खिर्सू स्थित 'बासा' होमस्टे को महिला समूह द्वारा सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है. पर्यटकों को गढ़वाली शैली का अनुभव प्रदान करने के इरादे से इसे डिजाइन किया गया है. ’बासा’ गढ़वाली की एक अभिव्यक्ति है जिसका तात्पर्य अतिथि को अपने घर में रात्रि ठहराव के लिए किया जाता है.
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महिला समूह की अध्यक्षा रचना रावत ने बताया कि यह होम स्टे 40 महिलाओं द्वारा चलाया जाता है, जो पांच समूहों में बंटा है. हर एक समूह भिन्न जिम्मेदारियां निभाता है. हमारे होमस्टे में आने वाले पर्यटकों को ऑर्गेनिक भोजन परोसा जाता है.
इससे हर क्षेत्र में स्थानीय महिलाओं के लिए रोजगार उत्पन्न होता है. मुनाफे को सभी महिलाओं में वितरित किया जाता है. जिससे प्रत्येक महिला को प्रति माह लगभग 5,000 रुपए की आय होती है. हम अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों का भी आतिथ्य करते हैं. हाल ही में हमारे होमस्टे में ठहरने के लिए ऑस्ट्रेलिया से पर्यटक आए थे, उन्हें यह बेहद पसंद आया.