देहरादून: अटल आयुष्मान योजना के 9 महीने बाद भी 68 लाख लोगों ने गोल्डन कार्ड नहीं बनवाए हैं. अब इस योजना में इतने लोगों के कार्ड न बन पाना लोगों के इस योजना के प्रति जागरुक न होना है या फिर प्रशासन की लापरवाही. जिस कारण ये योजना एक बार फिर प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है.
उत्तराखंड में हर शख्स 5 लाख के निशुल्क सरकारी बीमा से कवर है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि योजना के 9 महीने बाद भी 68 लाख लोगों ने अपना गोल्डन कार्ड नहीं बनवाया है. साल 2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तराखंड में मौजूद एक करोड़ 86 लाख लोगों में महज करीब 35 लाख लोगों ने ही गोल्डन कार्ड बनवाए हैं.
बता दें कि भारत सरकार ने सितंबर 2018 में अटल आयुष्मान योजना शुरू की थी, जिसमें उत्तराखंड के करीब 5 लाख परिवार कवर हो रहे थे. ऐसे में उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने 25 दिसंबर 2018 को इस योजना को बढ़ाते हुए प्रदेश के सभी 23 लाख परिवारों को इस योजना का लाभ देने की घोषणा की. इस योजना के तहत उत्तराखंड के करीब 150 से ज्यादा हॉस्पिटल योजना में इंपैनल्ड हैं.
उत्तराखंड में अब तक कुल 32 लाख 96 हजार 266 गोल्डन कार्ड बनाए गए हैं. इसमें 30,72,338 राज्य सरकार की अटल आयुष्मान योजना के तहत बनाए गए हैं जबकि 2,23,928 गोल्डन कार्ड भारत सरकार की अटल आयुष्मान योजना के तहत बनाए हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो उत्तराखंड में करीब 68 लाख लोगों ने अब तक गोल्डन कार्ड नहीं बनवाए हैं.
योजना के रूप में बात करें तो प्रदेश में अटल आयुष्मान योजना को लेकर लोगों में कम जागरुकता और योजना का लाभ नहीं मिल पाने की निराशा भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है. साथ ही सरकारी सिस्टम में योजना के लिए बनने वाले गोल्डन कार्ड के लिए परेशानियां भी लोगों को इस योजना से महरूम कर रही है.
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केंद्रीय अटल आयुष्मान योजना के मानकों में 5.37 लाख परिवार कवर हुए हैं. इस योजना में अब तक 75,278 मरीजों का इलाज हो चुका है. जबकि राज्य सरकार 72 करोड़ 87 लाख रुपये योजना के लाभार्थियों पर खर्च कर चुके हैं.
साफ है कि इस योजना में प्रदेश के आम लोग कवर तो किए गए हैं. लेकिन, योजना को लेकर उत्सुकता बेहद कम है. योजना के लिए बनाए जाने वाले गोल्डन कार्ड की स्थिति को देखकर ये साफ समझा जा सकता है.