ऋषिकेशः सूबे में सरकार और उनके नुमाइंदे बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था मुहैया कराने का लाख दावा करते हैं, लेकिन हकीकत ठीक उलट है. जी हां, ऋषिकेश राजकीय अस्पताल (Rishikesh Government Hospital) में सिस्टम की लापरवाही की वजह से एक दुधमुंही बच्ची की जान चली गई. इतना ही नहीं डॉक्टरों ने बच्ची को भर्ती करने की बजाय महज दवाई लिखकर चलता कर दिया. अगले दिन जब बच्ची को भर्ती किया गया तो बहुत देर हो चुकी थी. अब बच्ची इस दुनिया को छोड़ कर चली गई है.
दरअसल, चंद्रेश्वर नगर निवासी सब्जी विक्रेता राजू की पत्नी सीमा अपनी 8 माह की बच्ची को बीती शाम सात बजे राजकीय अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पंहुची. परिजनों के मुताबिक, बच्ची को उल्टियां हो रही थी. उन्होंने इलाज के लिए इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर से बच्ची को एडमिट करने की गुहार लगाई, लेकिन डॉक्टरों ने बच्ची को दवाई देकर चलता कर दिया. साथ ही उनसे कहा गया कि दवाई से बच्ची ठीक हो जाएगी और सुबह ओपीडी में बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर (Rishikesh Pediatrician Doctor) को दिखाने को कहा.
वहीं, परिजन बच्ची को घर ले गए. सुबह के समय दवाई देने के बावजूद बच्ची की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई. आनन-फानन में परिजन फिर राजकीय अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे. जहां डॉक्टरों ने फिर पर्ची बनवाकर ओपीडी में चेकअप कराने के लिए कहा. करीब डेढ़ घंटे बाद डॉक्टर के पास नंबर आया. जहां चेकअप के बाद बच्ची को अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन इलाज के दौरान बच्ची ने दम तोड़ दिया.
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बच्ची की मौत की खबर सुनते ही परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई. दुधमुंही बच्ची की मौत पर परिजन बिलख पड़े और डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर कोसने लगे. उनका आरोप था कि यदि रात ही इमरजेंसी में उनकी बच्ची को भर्ती कर इलाज शुरू कर दिया जाता तो उनकी बेटी बच जाती है, लेकिन डॉक्टरों और स्टाफ ने लापरवाही बरती. बच्ची की मौत ने राजकीय अस्पताल के सिस्टम की लापरवाही को उजागर कर दिया है.
क्या बोले सीएमएस चंदोला? वहीं, जब ऋषिकेश राजकीय अस्पताल के सीएमएस प्रदीप चंदोला से बात की गई तो उन्होंने मामले की जानकारी न होने की बात कही. उन्होंने कहा कि यदि लापरवाही की वजह से बच्ची की मौत हुई है तो यह जांच का विषय है. जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा.
लापरवाह स्वास्थ्य सिस्टम की वजह से हुई बच्ची की मौतः ऋषिकेश राजकीय अस्पताल के इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर की लापरवाही का अंदाजा (Girl Child died due to Negligence of Doctor) इस बात से लगाया जा सकता है कि 8 माह की बच्ची जो कि अस्वस्थ थी और उल्टी जैसी गंभीर बिमारी से पीड़ित थी. इसके बावजूद भी इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने सेकंड ओपिनियन लेना ठीक नहीं समझा.
साथ ही बच्ची की हालत को देखते हुए उसे हायर सेंटर तक रेफर करना मुनासिब नहीं समझा. डॉक्टर ने गंभीर मामला होने के बावजूद भी बच्ची को भर्ती करने के बजाय घर रवाना कर दिया. नतीजा यह रहा कि 8 माह की निधि ने दम तोड़ दिया. ऐसे में डॉक्टरों पर सवालिया निशान लग रहे हैं.
पिथौरागढ़ में भी बीमार स्वास्थ्य विभाग ने बच्चे की जान ले ली: ऐसा ही मामला, सीमांत जनपद पिथौरागढ़ से सामने आया है. पिथौरागढ़ के बीडी पांडे अस्पताल (BD Pandey Hospital Pithoragarh) का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा है. वीडियो दो तीन दिन पुराना बताया जा रहा है. वीडियो के मुताबिक, माता पिता अपने 4 साल के बच्चे को लेकर अस्पताल पहुंचे थे.
बच्चे की हालत ज्यादा खराब थी, इसलिए माता पिता बच्चे को लेकर इमरजेंसी में गए. इमरजेंसी में मौजूद डॉक्टर ने माता पिता को यह कहकर लौटा दिया का अभी ओपीडी का समय है, ओपीडी में जाकर डॉक्टर को दिखाओ. इस दौरान ओपीडी में मरीजों की संख्या ज्यादा थी. बच्चे की मां ओपीडी का पर्चा बनाने के लिए लाइन में लग गई. लेकिन इस दौरान बच्चे ने दम तोड़ दिया.