ETV Bharat / state

सहकारी समिति में नहीं मिल रही खाद, महंगे दामों पर बाजार से खरीदने को मजबूर किसान

कालसी ब्लॉक के नागथात सहकारी समिति में खाद उपलब्ध न होने के कारण किसानों को महंगे दामों पर बाहर से खाद खरीदनी पड़ रही है. किसानों का कहना है कि आस-पास की सहकारी समितियों में खाद उपलब्ध नहीं है. ऐसे में उन्हें खुले बाजारों से महंगे दामों पर खाद लेनी पड़ रही है.

सहकारी समिति में नहीं मिल रही खाद
author img

By

Published : Sep 11, 2019, 5:45 PM IST

विकासनगरः कालसी ब्लॉक के नागथात सहकारी समिति को पिछले एक महीने से खाद नहीं मिल रही है. जिसके कारण जिले के किसान काफी परेशान हैं. बताया जा रहा है कि लाइसेंस रि-न्यू ना होने के कारण समिति को भी खाद नहीं मिल पा रही है. ऐसे में किसानों में विभाग के खिलाफ खासा रोष है.

बता दें कि सहकारी समिति में खाद उपलब्ध न होने के कारण किसानों को महंगे दामों पर बाहर से खाद खरीदनी पड़ रही है. किसानों का कहना है कि आस-पास की सहकारी समितियों में खाद उपलब्ध नहीं है. ऐसे में उन्हें खुले बाजारों से महंगे दामों पर खाद लेनी पड़ रही है.

सहकारी समिति में नहीं मिल रही खाद

ये भी पढ़ेंः बिहार के मोतिहारी से 'महात्मा' बने थे मोहनदास करमचंद गांधी, जानें पूरी कहानी

किसानों का आरोप है कि विभागीय हीलाहवाली के चलते समिति में खाद नहीं पहुंच रही है. ऐसे में अदरक, अरबी, मक्का, मंडुवा और मिर्च जैसी फसलों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

वहीं, को-ऑपरेटिव सोसाइटी के सहायक विकास अधिकारी प्रेम कुमार का कहना है कि समिति का लाइसेंस रिन्यूअल नहीं हो पा रहा है, जिस कारण समिति में खाद नहीं पहुंच पाई है. रिन्यूअल की प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जाएगा, ताकि किसानों को समय से खाद उपलब्ध हो सके.

विकासनगरः कालसी ब्लॉक के नागथात सहकारी समिति को पिछले एक महीने से खाद नहीं मिल रही है. जिसके कारण जिले के किसान काफी परेशान हैं. बताया जा रहा है कि लाइसेंस रि-न्यू ना होने के कारण समिति को भी खाद नहीं मिल पा रही है. ऐसे में किसानों में विभाग के खिलाफ खासा रोष है.

बता दें कि सहकारी समिति में खाद उपलब्ध न होने के कारण किसानों को महंगे दामों पर बाहर से खाद खरीदनी पड़ रही है. किसानों का कहना है कि आस-पास की सहकारी समितियों में खाद उपलब्ध नहीं है. ऐसे में उन्हें खुले बाजारों से महंगे दामों पर खाद लेनी पड़ रही है.

सहकारी समिति में नहीं मिल रही खाद

ये भी पढ़ेंः बिहार के मोतिहारी से 'महात्मा' बने थे मोहनदास करमचंद गांधी, जानें पूरी कहानी

किसानों का आरोप है कि विभागीय हीलाहवाली के चलते समिति में खाद नहीं पहुंच रही है. ऐसे में अदरक, अरबी, मक्का, मंडुवा और मिर्च जैसी फसलों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

वहीं, को-ऑपरेटिव सोसाइटी के सहायक विकास अधिकारी प्रेम कुमार का कहना है कि समिति का लाइसेंस रिन्यूअल नहीं हो पा रहा है, जिस कारण समिति में खाद नहीं पहुंच पाई है. रिन्यूअल की प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जाएगा, ताकि किसानों को समय से खाद उपलब्ध हो सके.

Intro:विकासनगर कालसी ब्लॉक के नागथात मैं पिछले कई वर्षों से किसानों को सहकारी समिति से खाद उपलब्ध हो पा रहा है नई सरकार की अन्य योजनाओं की जानकारी प्राप्त हो रही है किसानों का आरोप है कि सरकारी समिति खंडहर में तबदील हो रही है और कोई भी अधिकारी कर्मचारी नहीं आते


Body:कालसी ब्लॉक के नाथ आपने बनी सहकारी समिति का भवन देखरेख के अभाव में जर्जर हो चुका है किसान खुशीराम जोशी ने बताया कि हमने कई बार मांग की लेकिन अब तक यहां पर कोई भी कर्मचारी नहीं आए ना ही समिति से लोगों को खाद उपलब्ध हो रही है इस समिति से कई गांव जुड़े हुए हैं और हम चाहते हैं कि समिति सही ढंग से संचालित है ओम शांति राम ने बताया कि समिति से किसानों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है और कई वर्षों से यह बंद है आज समिति का भवन बिजी नसीम हो चुका है खंडहर में तब्दील होने वाला है अगर शीघ्र इसकी सुध नहीं ली गई तो कभी भी धराशाई भी हो सकता है हम चाहते हैं कि यहां पर कर्मचारी रहे किसानों को खाद उपलब्ध हो और सरकार की योजना किसानों तक पहुंचे


Conclusion:इस संबंध में कोऑपरेटिव सोसाइटी के सहायक विकास अधिकारी प्रेम कुमार ने बताया नाक का सोसाइटी में स्थाई सचिव नहीं है एक सचिव दो समितियों को देख रहा है डबल चार्ज में है वहां पर खाद के लिए लाइसेंस नहीं हो पा रहा है क्योंकि एग्रीकल्चर विभाग ने बताया है कि जो खाद बेचने वाला होगा वह बीएससी एग्रीकल्चर हो ऐसा कोई भी कर्मचारी हमारे पास नहीं है सचिव है चार्ज में हैं किसी किसान को कोई समस्या हो तो सचिव हफ्ते में एक दिन चार्ज वाली संभालते हैं और समिति में भेजे जाते हैं
बाइट_ किसान
बाइट _किसान
बाइट_ प्रेम कुमार_ सहायक विकास अधिकारी कॉपरेटिव
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.