देहरादून: शीशमबाड़ा सॉलिड वेस्ट प्लांट में लगने वाला वेस्ट टू एनर्जी प्लांट अब ठंडे बस्ते में जाता दिख रहा है. इन्वेस्टर्स समिट के दौरान इस प्लांट के लिए सरकार और इन्वेस्टर्स के बीच एमओयू भी साइन किया गया था, जिसके तहत प्लांट में कूड़े के निस्तारण के लिए बिजली बनाना तय हुआ था, लेकिन करीब 9 महीने बीत जाने के बाद भी इस प्लांट के शुरू होने की गुंजाइश नहीं दिख रही है.
वर्तमान में शीशमबाड़ा सॉलिड वेस्ट प्लांट में कुड़े के दो पहाड़ बन गए हैं, अगर प्लांट नहीं शुरू होता है तो जल्द ही तीसरा पहाड़ भी तैयार हो जाएगा, लेकिन नगर निगम प्रशासन को उम्मीद है कि जल्द ही कोई ना कोई समाधान निकाल लिया जाएगा.
देहरादून के शीशमबाड़ा प्लांट में कूड़े के निस्तारण के बाद कार्य कर रही कंपनी ने आरडीएफ से बिजली बनाने की योजना बनाई थी, जिस पर इन्वेस्टर्स समिट के दौरान सरकार और कंपनी के बीच एमओयू साइन हुआ था. इस प्लांट से राज्य को तीन फायदे थे, पहला प्लांट लगा रहे आरडीएफ का निस्तारण होना, दूसरा राज्य को करीब 6 मेगावाट बिजली मिलना और तीसरे प्लांट से राज्य के करीब 150 युवाओं को रोजगार मिलना. वहीं नगर निगम प्रशासन का कहना है कि इस प्लांट के शुरू होने में शासन स्तर पर कुछ दिक्कतें आ रही हैं, जिसके लिए रुड़की में बन रहे प्लांट से आरडीएफ का निस्तारण किया जायेगा.
देहरादून मेयर सुनील उनियाल गामा ने बताया कि शीशमबाड़ा सॉलिड वेस्ट प्लांट में अब तक कूड़े के दो पहाड़ बन चुके हैं. वहीं एक पहाड़ की जगह अभी बची हुई, अगर अगले एक साल तक ऐसे ही चलता रहा तो हमे प्लांट बन्द करना पड़ेगा, लेकिन कूड़े से बिजली बनने के साथ कोई अन्य काम भी शुरू हो जाता है तो सभी कूड़ा एक साल के अंदर खत्म हो जाएगा.