देहरादून: उत्तराखंड की स्थाई राजधानी और गैरसैंण को राजधानी बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राजधानी के मुद्दे को राज्य सरकार के पाले में डाल दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह राज्य का नीतिगत फैसला है , इसमें कोर्ट कोई निर्देश जारी नहीं कर सकता. जिसके बाद से ही अब प्रदेश की दोनों मुख्य पार्टियों के बीच जुबानी जंग छिड़ गयी है. जहां एक ओर कांग्रेस जन-भावनाओं के अनुरूप राजधानी की बात कह रही है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा भी गैरसैंण को ग्रीष्कालीन राजधानी बनाने का निर्णय जनभावनाओं के अनुरूप बता रही है.
उत्तराखंड राज्य बने 19 साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन अभी तक उत्तराखंड को पूर्ण स्थायी राजधानी नहीं मिल पाई है. उत्तराखंड राज्य निर्माण के समय से ही गैरसैंण को राजधानी बनाने की मांग उठती आई है. इसे लेकर राज्य की राजनीति भी खूब गरम रहती है. मगर 19 साल बाद भी इस मुद्दे पर कोई ठोस फैसला नहीं लिया जा सका है. हालांकि, इस साल गैरसैंण में हुए बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ऐतहासिक फैसला लेते हुए गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया था. जिस पर कांग्रेस ने जमकर हंगामा किया था.
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वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब एक बार फिर से गैरसैंण को लेकर बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा राज्य की राजधानी कहां हो यह राज्य की सरकार तय करती है, मगर राज्य बनने के बाद से भाजपा का राजधानी को लेकर कभी नीति और नीयत स्पष्ट नहीं रही है. उन्होंने कहा यह राजनीतिक मामला नहीं है बल्कि जन-भावनाओं से जुड़ा हुआ मसला है. जिस पर सरकार को सोच समझ कर फैसला लेना चाहिए.
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इस मामले पर सरकार का पक्ष रखते हुए शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा राज्य बनने के बाद से ही कांग्रेस गैरसैंण को लेकर राजनीति करती रही है. उन्होंने कहा भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2017 के घोषणा पत्र में स्पष्ट कर दिया था कि वह सत्ता में आने के बाद गैरसैंण को लेकर बड़ा फैसला लेगी. जिसके तहत भाजपा सरकार ने जन भावनाओं के अनुरूप ही गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया है, जो किसी भी सरकार के लिए बहुत बड़ा निर्णय है.